उत्तराखंड विविध विकास योजना व आर्थिक कार्यक्रम |
अनुसूचित जाति कल्याण योजना
राज्य में अनुसूचित जाति कल्याण योजनाएँ निम्न हैं-
1.राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के सहयोग से संचालित टर्म लोन योजना
2.अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आई. टी. आई. में अध्ययनरत् छात्रों को छात्रवृत्ति.
3.अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों को मेरिट उच्चीकृत किए जाने की योजना पूर्वदशम छात्रवृत्ति.
4.पूर्वदशम कक्षाओं में अनुसूचित जाति के छात्रों को शुल्क क्षतिपूर्ति.
5.दशमोत्तर छात्रवृत्ति.
6.स्वैच्छिक संगठनों द्वारा शिक्षा सम्बन्धी कार्य तथा उन्हें दी जाने वाली आर्थिक सुविधाएं.
7. प्रदेश के अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु राजकीय औद्योगिक आस्थान का संचालन.
8.अनुसूचित जातियों हेतु आई. टी. आई. की स्थापना.
9.शादी अनुदान योजना.
10.बीमारी अनुदान योजना.
11.हाईस्कूल तथा इण्टरमीडिएट की अन्तिम परीक्षा पूर्व अनुसूचित जाति के छात्रों को विशेष कोचिंग व्यवस्था.
12.वृद्धावस्था पेंशन योजना.
13.शहरी क्षेत्र दुकान निर्माण.
14.स्वरोजगार योजना.
15.सैनिक कल्याण योजना.
अल्पसंख्यक कल्याण योजनाएं
राज्य में अल्पसंख्यक योजनाएं निम्नलिखित हैं-
2.राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम के सहयोग से संचालित टर्म लोन योजना.
3.अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना.
4.पूर्वदशम छात्रवृत्ति.
5.दशमोत्तर छात्रवृत्ति.
6.स्वरोजगार योजना.
7.महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास योजना.
8.सैनिक कल्याण योजना.
मत्स्यपालन एवं मत्स्य विकास कार्यक्रम
प्रदेश की झीलों, नदियों एवं जलधाराओं में विभिन्न जाति की मछलियाँ पाई जाती हैं. कभी-कभी नैनीताल की झीलों में ही 12 किग्रा. से 15 किग्रा. तक की मछली पकड़ी गई हैं, परन्तु सामान्य रूप से छोटी जाति की खाई जाने वाली मछली पकड़ी जाती है. पर्वतीय क्षेत्रों में मछली की अधिक लोकप्रिय जाति महासिर तथा असला है. 1947 तक मछलियों के अँधारधुँध शिकार को रोकने का कोई विशेष क्रमवद्ध प्रयास नहीं किया गया. मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चलाई गईं कृष्ठपरियोजनाएँ इस प्रकार हैं-
1. मछुआ समुदाय की दुर्घटना बीमा योजना
उक्त योजना विभाग में वर्ष 1985 से चल रही है. इसके अन्तर्गत पंजीकृत मछुआ सहकारी समितियों के सदस्य आच्छादित किए जाते हैं. जिसका बीमा प्रीमियम 12 रुपए प्रति सदस्य है, जिसका 50 प्रतिशत प्रीमियम व्यय भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है. अंजीकृत मछुआ सदस्य की मृत्यु की दशा में 35,000 रुपए तथा अपंग की दशा में 17,500 रुपए की बीमा राशि का भुगतान किया जाता है. वित्तीय वर्ष 1996-97 में 33.000 रुपए मछुआ सदस्यों को आच्छादित करने का प्रीमियम व्यय 3-41 लाख तथा वर्ष 1997-98 के 34,000 संख्या को करने पर 4-20 लाख रुपए व्यय हुआ है. वित्तीय वर्ष 2008-09 में 19,600 रुपए सदस्यों को आच्छादित करने के उपरान्त बजट में 7-25 लाख रुपए का प्रावधान प्रस्तावित है.
उत्तराखण्ड की स्वजल परियोजना
स्वजल परियोजना विश्व बैंक द्वारा पोषित पर्वतीय अंचलों में ग्रामीण सहभागिता तथा स्वैच्छिक संगठनों द्वारा
संचालित सामाजिक सुधार योजना है, इसमें बुजुर्ग व युवको का ही नहीं, वरन् महिलाओं ने भी सक्रिय भागीदारी की अद्भुत मिसाल कायम की है.
'स्वजल' नामक यह देश की पहली परियोजना है, जिसमेंसरकार सिर्फ सुविधा उपलब्ध कराने का काम करती है, लेकिन असली कार्य स्थानीय ग्रामीणों व स्वैच्छिक संगठनों के जिम्मे होता है.
एकीकृत ग्रामीण जल सप्लाई व स्वच्छता परियोजना राज्य के 12 पर्वतीय जिलों व बुंदेलखण्ड के सात जिलों में सफलतापूर्वक चलाई जा रही है. यह परियोजना 19 जिलों के 1243 गाँवों में चलाई जा रही है, जिसमें से लगभग 900 गाँव उत्तराखण्ड में हैं. सर्वेक्षण स्तर से लेकर समाप्त होने के बाद तक स्थानीय लोगों का योजना से जुड़ाव इस परियोजना की विशेषता है. इस परियोजना के कारण स्थानीय लोग न केवल अपनी जरूरतें पूरी करने के प्रति जागरूक हुए हैं, बल्कि उनमें सामाजिक चेतना भी पैदा हुई है. इसके लिए स्थानीय ग्रामीणों को प्रेरित करना योजना का अंग है. स्वजल परियोजना के दर्शन व प्रक्रिया के आधार पर केन्द्र सरकार ने देश के 58 जिलों में सेक्टर रिफॉर्म कार्यक्रम शुरू किया है. सोनल, उत्तर रौन, चमौली, दुमाना, मल्ला, भाकुड़ा, अल्मोड़ा, कमतीली, मायल, कनकरिया, पिथौरागढ़ जैसे उत्तराखण्ड के अनेक गाँव इस परियोजना के कारण जलापूर्ति व शौचालय सुविधा से युक्त हैं.
वर्ष 1996 से 2006 तक चलने वाली चार सौ करोड़ रुपए से अधिक की यह परियोजना गढ़वाल के चमोली, देहरादून, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी एवं कुमाऊँ के अल्मोड़ा, वागेश्वर, चम्पावत, नैनीताल, पिथौरागढ़ तथा ऊधरमसिंह नगर जिलों में चल रही है.
स्वजल परियोजना का क्रियान्वयन स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से ग्रामीण समुदाय द्वारा नकद व श्रम के रूप में किया जाता है. स्वयंसेवी संस्थाएँ इसमें प्रेरक की भूमिका निभाती हैं. परियोजना के लिए चयनित गाँव में स्वच्छ पेयजल का क्रियान्वयन, स्वच्छ पर्यावरण का सृजन, व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण व स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं के सशक्तीकरण की कार्यवाही सुनिश्चित की जाती है.
कुएँ, हैण्डपम्प व पानी की टंकी कौनसा विकल्प गाँव के लिए उपयुक्त होगा, इसका निर्णय गाँव वाले स्वयं करते हैं ? इसके कुल लागत का 10 प्रतिशत अंशदान गाँव वालों से लेकर उनकी आर्थिक सहभागिता, अकुशल श्रम सम्वन्धी कार्य लेकर श्रमिक सहभागिता और नियोजन में राय लेकर गाँव वालों की भावनात्मक सहभागिता सुनिश्चित की जाती है.
इस परियोजना में सरकारी हस्तक्षेप कम-से कम किया जाता है, कार्य समाप्त होने के वाद निर्मित परिसम्पत्तियों का रख-रखाव व संचालन भी गाँव वाले गठित समितियों के माध्यम से करते हैं,
सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना
ग्राम्य विकास विभाग द्वारा माह जून 2005 में आवंटित लक्ष्य 8695.00 हजार मानव दिवस को जनपदों को आवंटित किया गया. माह जून व जुलाई में इस कार्यक्रम में सभी जनपदों की प्रगति धीमी रही, जबकि माह सितम्बर 2005 से सभी जनपदों की प्रगति लगातार 'ए' श्रेणी प्राप्त हुई है, वित्तीय वर्ष 2008-09 में 9526 हजार मानव दिवसों के सापेक्ष 11239.69 हजार मानव दिवसों का सृजन हुआ है, जा लक्ष्य का 129.30 प्रतिशत है,
सिचन क्षमता का सृजन राजकीय लघु सिंचाई
वर्ष 2010-11 में राज्य में सकल सिंचित क्षेत्रफल 5,61.733 रहा तथा शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल 3.36136 रहा. जनपदों की स्थिति का अवलोकन करने पर जहाँ अधिकांश जनपदों द्वारा शत-प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त की है, वही जनपद
नैनीताल, ऊथमसिंह नगर, टिहरी व हरिद्वार द्वारा क्रमशः 189.7, 147.7, 147.0 व 136.0 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त
की है.
सिंचन क्षमता का सृजन-निजी लघु सिंचाई
विभाग द्वारा माह जून 2005 में निर्धारित 6101 हेक्टेयर सीचन क्षमता लक्ष्य के सापेक्ष राज्य स्तर पर वित्तीय वर्ष
2010-11 में 24,747 हेक्टेयर प्रतिवेदन किया गया है. प्रायः जनपदों की प्रगति देखने पर ज्ञात हुआ कि हरिद्वार व
ऊधमरसिंह नगर जनपद को छोड़कर, सभी जनपदों ने अत्यधिक उपलब्धि प्राप्त की है. उदाहरणार्थ-जनपद पिथौरागढ़ 571.1, चम्पावत 394.2, वागेश्वर 430.9, अल्मोड़ा 318.9, चमोली 275.3, देहरादून 327.9, टिहरी 263.2 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त की है.
अतिरिक्त भूमि आबंटन
विभाग द्वारा मात्र ऊधमसिंह नगर जनपद को 52 एकड़ भूमि के आवंटन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. मार्च
2007 तक 62.05 एकड़ भूमि आवंटित की गई, जो लक्ष्य का 105.25 प्रतिशत है.
पेयजल समस्याग्रस्त मजरें
भारत सरकार द्वारा आवंटित 450 लक्ष्य के सापेक्ष 447 ग्रामोंमजरों को पेयजल से आच्छादित किया गया, का 106 प्रतिशत है. इस प्रकार सभी जनपदों की प्रगति 'ए' श्रेणो में वर्गीकृत हुई है.
बीमारियों के विरुद्ध बच्चों का प्रतिरक्षण
भारत सरकार से आवंटित लक्ष्य 148666 के सापेक्ष 219091 टीकाकरण किया गया, जो 147.4 प्रतिशत उपलब्धि है. इस प्रकार सभी जनपदों की प्रगति 'ए' श्रेणी में वर्गीकृत हुई है.
समन्वित बाल विकास केन्द्रों की स्थापना (संवयी)
भारत सरकार से आवंटित 99 वाल विकास केन्द्र(संचयी) के सापेक्ष शत-प्रतिशत केन्द्रों की स्थापना का राज्य स्तर पर 'ए' श्रेणी प्राप्त हुई है.
आँगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना
भारत सरकार स्तर से प्राप्त 6658 लक्ष्य के सापेक्ष इस वित्तीय वर्ष तक 6820 ऑगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना हो चुकी है, जो लक्ष्य का 102.4 प्रतिशत है. सभी जनपदों की प्रगति 'ए' श्रेणी वर्गीकृत हुई है. जनपद चम्पावत व देहरादून के अधिक उपलब्धि हुई है, जो क्रमशः तक्ष्य का 121.2 व 112.5 प्रतिशत है. वित्तीय वर्ष के प्रारम्भिक माहों में प्रगति कम हुई है तथा माह मार्च 2007 में ही 173 ऑगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना की गयी है.
अनुसूचित जाति के परिवारों को आर्थिक सहायता
भारत सरकार सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय से माह सितम्बर 2006 में संशोधित लक्ष्य 7300 निर्धारित किए गए. माह मार्च 2007 तक राज्य द्वारा 7935 लाभार्थियों को लाभान्वित किया गया, जो लक्ष्य का 143 प्रतिशत है. सभी जनपदों की प्रगति 'ए' श्रेणी में वर्गीकृत हुई है.
अनुसूचित जनजाति के परिवारों को आर्थिक सहायता
भारत सरकार द्वारा आवंटित 1500 लक्ष्य के सापेक्ष राज्य स्तर पर वित्तीय वर्ष तक कुल 1856 परिवारों को लाभान्वित कर परिसम्पत्तियाँ स्थापित की गई हैं, जो लक्ष्य का 123.7 प्रतिशत है. सभी जनपदों की उपलब्धि 'ए' श्रेणी में वर्गीकृत है.
आवास स्थल आवंटन
राज्य सरकार द्वारा आवंटित कुल 542 प्लाटों का लक्ष्य हरिद्वार व ऊधमरसिंह नगर जनपद में आवंटन किया गया है. माह मार्च 2006 तक कुल 549 प्लाट आवंटित किए गए, जो लक्ष्य का 101.3 प्रतिशत है. उक्त दोनों जनपदों की प्रगति 'ए' श्रेणी में वर्गीकृत हुई है.
इन्दिरा आवास नए
वर्ष के प्रारम्भ में भारत सरकार कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 10483 अनन्तिम लक्ष्य आवंटित किए गए थे. जिनको ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा माह जुलाई 2005 में संशोधित कर 7863 किया जाए. यह लक्ष्य केवल नव निर्माण के लिए निर्धारित किए गए हैं. जिनको विभाग ने जनपदवार आवंटन भी किया गया. उक्त लक्ष्य के सापेक्ष राज्य स्तर पर वित्तीय वर्ष में 8523 आवास निर्मित किए गए हैं, जो लक्ष्य का 108.4 प्रतिशत है.
इन्दिरा आवासों का उच्चीकरण
ग्राम्य विकास विभाग द्वारा वर्ष के प्रारम्भ में 2098 आवासों का लक्ष्य निर्धारित किया गया. जिसके सापेक्ष में 5389 आवासों का उच्चीकरण किया गया, जो लक्ष्य का 256.9 प्रतिशत है. ग्राम्य विकास विभाग द्वारा वर्ष के प्रारम्भ में 2098 आवासों का लक्ष्य निर्धारित किया गया. जिसके सापेक्ष में 5389 आवासों का उच्चीकरण किया गया, जो लक्ष्य का 256.9 प्रतिशत है.
मलिन बस्ती सुधार
भारत सरकार द्वारा आवंटित 104311 लक्ष्य के सापेक्ष वित्तीय वर्ष में मलिन वस्तियों में 114246 जनसंख्या को विभिन्न सुविधाओं से लाभान्वित किया गया है, जो लक्ष्य का 109.5 प्रतिशत है. माह अक्टूबर 2005 तक इस कार्यक्रम में अधिकांश जनपदों की प्रगति खराब थी. माह विभाग, शासन स्तर द्वारा इस कार्यक्रम की गहन समीक्षा की गई, परिणामस्वरूप माह मार्च 2006 तक सभी जनपदों द्वारा ए' श्रेणी प्राप्त कर राज्य को भी 'ए' श्रेणी में वर्गीकृत
किया गया.
निजी भूमि पर वृक्षारोपण
भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष के 17.500,000 पौध रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया. जिसके सापेक्ष 2.67.45,000 पीध रोपित किए गए, जो लक्ष्य का 152.8 प्रतिशत है. इस कार्यक्रम में मात्र निजी भूमि पर ही वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है.
वृक्षारोपण के अन्तर्गत क्षेत्राच्छादन
भारत सरकार द्वारा आवंटित 12500) हेक्टेयर क्षेत्रफल के सापेक्ष 1,29.376,97 हेक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण कार्य
किया गया है, जो लक्ष्य का 103.5 प्रतिशत है, इस कार्यक्रम में भी जनपदों की प्रगति माह सितम्बर से ठीक रही है. इस प्रकार माह मार्च तक सभी जनपदों के साथ-साथ राज्य को भी 'ए' श्रेणी वर्गकृत हैं. अतः इस कार्यक्रम में निजी भूमि +सार्वजनिक भूमि के आच्छादित क्षेत्रफल को सम्मिलित किया जाना आवश्यक है.
ग्रामों का वियुतीकरण
इस कार्यालय में गत वर्षों में कार्य जिला योजना, एम एन. पी., पी. एम. जी. वाई. व आर ई. सी. की व्याज मुक्त योजना के अन्तर्गत किया जाता था, गत वर्षों के आधार पर वर्ष 2005-06 में 598 ग्रामों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. भारत सरकार द्वारा अव राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में समाहित किया गया. माह फरवरी 2006 में लक्ष्य संशोधित 350 किए गए. इसके अन्तर्गत पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा Un-clectrificd तथा De-electrified ग्रामों को सम्मिलित कर, जनपदों को लक्ष्य आवंटित किए गए. माह मार्च 2006 तक उक्त 350 ग्रामों के सापेक्ष 366 ग्रामों को विद्युतीकरण किया गया, जो लक्ष्य का 104.6 प्रतिशत है. माह नवम्बर 2005 में हुई वैठक में अपर सचिव, ऊर्जा द्वारा लिए गए निर्णयानुसार उरेडा द्वारा विद्युतीकृत ग्रामों को सम्मिलित नहीं किया गया है. अतः जनपद अल्मोड़ा के 12 ग्रामों को प्रतिवेदित सूचना में से हटाया गया है. जनपदों की प्रगति का अवलोकन करने पर ज्ञात हुआ कि उरेडा की प्रगति हटाकर दिए जाने पर जनपद चमोली व अल्मोड़ा की प्रगति 'सी' श्रेणी में वर्गीकृत है.
पम्प सेटों का ऊर्जन
इस कार्यक्रम में भारत सरकार द्वारा आवंटित 350 लक्ष्य को जनपद देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर को आवंटित किए गए हैं. राज्य स्तर पर मार्च 2006 तक 558 पम्प सेटों का ऊर्जीकरण किया गया है, जो लक्ष्य का 159.4 प्रतिशत है. लक्ष्य निर्धारण की व्यवहारिकता को ध्यान में न रखने के फलस्वरूप लक्ष्य के सापेक्ष 159.4 प्रतिशत है. लक्ष्य निर्धारण की व्यवहारिकता के ध्यान में न रखने के फलस्वरूप लक्ष्य के सापेक्ष 1.5 गुणा अधिक उपलब्ध हुई है. सभी जनपदों की प्रगति अच्छी है.
बायोगैस संयंत्रों की स्थापना
कार्यक्रम को आवंटित 300 बायोगैस संयंत्रों लक्ष्य के सापेक्ष 305 की पूर्ति हुई है, जो लक्ष्य का 101.7 प्रतिशत है. इस कार्यक्रम में सभी जनपदों को 'ए' श्रेणी वर्गीकृत हुआ
राष्ट्रीय बचत (शुद्ध जमा धनराशि)
इस कार्यक्रम में वित्त विभाग द्वारा प्रारम्भिक माहों में 110000 लाख रुपए के लक्ष्य निर्धारित किए थे. माह जनवरी तक कम प्रगति होने के कारण वित्त विभाग द्वारा लक्ष्य कम कर 101500 लाख रुपए का जनपदवार संशोधितलक्ष्य आवंटित कर दिए गए. माह मार्च 2006 तक राज्य स्तर पर कुल 97287.91 लाख रुपए की धनराशि विभिन्न प्रतिभूतियों द्वारा जमा की गई, जो लक्ष्य का 95.5 प्रतिशत है, जनपदों की प्रगति का अवलोकन करने पर जनपरद प्रकार माह मार्च तक सभी जनपदों के साथ-साथ राज्य को भी 'ए' श्रेणी वर्गकृत हैं. अतः इस कार्यक्रम में निजी भूमि + सार्वजनिक भूमि के आच्छादित क्षेत्रफल को सम्मिलित किया जाना आवश्यक है.
ग्रामों का वियुतीकरण
इस कार्यालय में गत वर्षों में कार्य जिला योजना, एम एन. पी., पी. एम. जी. वाई. व आर ई. सी. की व्याज मुक्त योजना के अन्तर्गत किया जाता था, गत वर्षों के आधार पर वर्ष 2005-06 में 598 ग्रामों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. भारत सरकार द्वारा अव राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में समाहित किया गया. माह फरवरी 2006 में लक्ष्य संशोधित 350 किए गए. इसके अन्तर्गत पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा Un-clectrificd तथा De-electrified ग्रामों को सम्मिलित कर, जनपदों को लक्ष्य आवंटित किए गए. माह मार्च 2006 तक उक्त 350 ग्रामों के सापेक्ष 366 ग्रामों को विद्युतीकरण किया गया, जो लक्ष्य का 104.6 प्रतिशत है. माह नवम्बर 2005 में हुई वैठक में अपर सचिव, ऊर्जा द्वारा लिए गए निर्णयानुसार उरेडा द्वारा विद्युतीकृत ग्रामों को सम्मिलित नहीं किया गया है. अतः जनपद अल्मोड़ा के 12 ग्रामों को प्रतिवेदित सूचना में से हटाया गया है. जनपदों की प्रगति का अवलोकन करने पर ज्ञात हुआ कि उरेडा की प्रगति हटाकर दिए जाने पर जनपद चमोली व अल्मोड़ा की प्रगति 'सी' श्रेणी में वर्गीकृत है.
पम्प सेटों का ऊर्जन
इस कार्यक्रम में भारत सरकार द्वारा आवंटित 350 लक्ष्य को जनपद देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर को आवंटित किए गए हैं. राज्य स्तर पर मार्च 2006 तक 558 पम्प सेटों का ऊर्जीकरण किया गया है, जो लक्ष्य का 159.4 प्रतिशत है. लक्ष्य निर्धारण की व्यवहारिकता को ध्यान में न रखने के फलस्वरूप लक्ष्य के सापेक्ष 159.4 प्रतिशत है. लक्ष्य निर्धारण की व्यवहारिकता के ध्यान में न रखने के फलस्वरूप लक्ष्य के सापेक्ष 1.5 गुणा अधिक उपलब्ध हुई है. सभी जनपदों की प्रगति अच्छी है.
बायोगैस संयंत्रों की स्थापना
कार्यक्रम को आवंटित 300 बायोगैस संयंत्रों लक्ष्य के सापेक्ष 305 की पूर्ति हुई है, जो लक्ष्य का 101.7 प्रतिशत है.
इस कार्यक्रम में सभी जनपदों को 'ए' श्रेणी वर्गीकृत हुआ
राष्ट्रीय बचत (शुद्ध जमा धनराशि)
इस कार्यक्रम में वित्त विभाग द्वारा प्रारम्भिक माहों में 110000 लाख रुपए के लक्ष्य निर्धारित किए थे. माह जनवरी तक कम प्रगति होने के कारण वित्त विभाग द्वारा लक्ष्य कम कर 101500 लाख रुपए का जनपदवार संशोधित लक्ष्य आवंटित कर दिए गए. माह मार्च 2006 तक राज्य स्तर पर कुल 97287.91 लाख रुपए की धनराशि विभिन्न तिभूतियों द्वारा जमा की गई, जो लक्ष्य का 95.5 प्रतिशत है, जनपदों की प्रगति का अवलोकन करने पर जनपरद
चमोली, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार, अल्मोड़ा व पियौरागढ़ की प्रगति 'बी' श्रेणी वर्गीकृत हुई है.
सूची प्रकाशन
कार्यक्रमों/योजनाओं का गुणवत्ता ऊँचा बनाए रखने तथा किए गए कार्यों की पारदर्शिता वनाए रखने हेतु सभी कार्यक्रमों की सूचियों का प्रकाशन किया जा रहा है. सूचियों का विकास खण्ड, जनपद तथा शासन स्तर पर विधिवत् रख- रखाव हेतु शासनादेश सं. 150/बी.सू.का./सू. प्र./ 2004-05 दिनांक 30 अक्टूबर, 2004 निर्देशित किया गया है. योजनाओं की सूची एक माह पूर्व की प्रगति के आधार पर प्रकाशित की जाती है. एक माह का पर्याप्त समय मिलने के उपरान्त भी सम्बन्धित अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा सूची न भेजे जाने पर उक्त शासनादेश के अनुसार स्पष्ट है कि सम्बन्धित अधिकारियों की मध्यावधि में प्रतिकूल प्रविष्टि दी जायेगी. समय-समय पर शासन द्वारा निर्देशित किया है कि अविलम्ब उक्त कार्य पूर्ण कराया जाए. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना भारत सरकार से आवंटित 8 लक्ष्य के सापेक्ष 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण हुआ है, जो लक्ष्य का 113 प्रतिशत है. इस कार्यक्रम में वर्ष के अन्तर्गत प्रगति अत्याधिक धीमी रही है. राज्य स्तर से प्राप्त प्रगति व सूची के आधार पर 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो को पूर्ण दर्शाया गया है. जिसमें चमोली 2, टिहरी 3, देहरादून 1, अल्मोड़ा 1,वागेश्वर 1 व नैनीताल 1 है, जनपद अल्मोड़ा दर्शायी गई है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना
भारत सरकार से आवंटित 2 लक्ष्य के सापेक्ष 2 की पूर्ति माह मार्च 2006 में हुई है. जो जनपद हरिद्वार व वागेश्वर में निर्मित किए गए हैं.
अटल आदर्श ग्राम योजना
उत्तराखण्ड सरकार ने गाँवों में सारी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए महत्वाकांक्षी अटल आदर्श ग्राम योजना वर्ष 2011 में प्रारम्भ की है. उत्तराखण्ड के गाँवों को विकास के मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस योजना के प्रथम चरण में 670 न्याय पंचायत मुख्यालयों में सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराकर उन्हें विकास केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस योजना के मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में समस्त अवस्थापना सुविधाएँ जैसे- बिजली, पानी, चिकित्सा, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल आदि मूलभूत सुविधाओं से संतृप्त करना, चयनित ग्रामों में स्कूल, ऑगनबाड़ी, ए. एन. एम. सेन्टर, विद्युतीकरण, निर्बल वर्ग
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