प्रशासनिक उपलब्धियाँ
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का मुख्यउद्देश्य जन सामान्य को वेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध
कराने के साथ स्वास्थ्य की देखभाल के प्रति जागरूक करना तथा विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सफल संचार के माध्यम से स्वास्थ्य एवं जनसंख्या नीति 2002 के लक्ष्यों को समयबद्ध रूप से प्राप्त कर जनसंख्या स्थिरीकरण के उद्देश्य को प्राप्त करना है, उत्तराखण्ड राज्य में 2011-12 तक विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों की सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं का एक व्यापक जाल है. इस राज्य में महिला एवं बाल कल्याण के 1848 उपकेन्द्र, विकासखण्ड स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से सम्बद्ध 84 मुख्य केन्द्र, 322 एलोपैथिक औषधालय, 3 सचल औषधालय, 171 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 59 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 61 विकास खण्ड स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कार्यरत् हैं. इसके अतिरिक्त राज्य में 40 ग्रामीण महिला अस्पताल और 40 संयुक्त अस्पताल, जिला अस्पताल अथवा बेस अस्पताल हैं जोकि महिलाओं एवं पुरुष दोनों को चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध करते हैं. नगरीय क्षेत्रों में 62 प्रसवोत्तर केन्द्र हैं, जिनमें से दस जनपद मुख्यालय पर और शेष तहसील मुख्यालय पर कार्यरत्हैं , विशिष्ट रोगों के उपचार हेतु राज्य में 18 टी. बी. अस्पताल/रूजालय, दो टी. बी. सेनेटोरियम, तीन कुष्ठ रोग अस्पताल, नौ नगरीय कुष्ठ रोग केन्द्र और पाँच संक्रामक रोग अस्पताल हैं. इन संस्थाओं के अतिरिक्त राज्य में 15 हैल्य पोस्ट रिवै्पिंग स्कीम के अन्तर्गत तथा सात नगरीय परिवार कल्याण केन्द्र कार्यरत् हैं.
जहाँ तक अन्य चिकित्सा पद्धतियों का सम्बन्ध है, उत्तराखण्ड में 542 आयुर्वेदिक औषधालय, 107 होम्योपैथिक
औषधालय और मात्र पाँच यूनानी औषधालय हैं. इन सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थाओं के अतिरिक्त जनसंख्या के विशिष्ट वर्गों की स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं की परति हेतु सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ अन्य उपक्रम भी इस दिशा में कार्यरत हैं राज्य में दो क्षेत्रीय परिवार नियोजन प्रशिक्षण केन्द्र तथा महिला स्वास्थ्य कार्यकत्रियों के लिए छः प्रशिक्षाण संस्थाएं हैं. इसके अतिरिक्त परिचारिकाओं के लिए भी क्ोप्रशिक्षण केन्द्र हैं. इस राज्य में केवल एक निजी क्षेत्र का मेडिकल कॉलेज तथा सार्वजनिक क्षेत्र के दो आयुर्वेदिक कॉलेज हैं. उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधार पर चुनौती भरा कार्य है, क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थाओं में अधिकांश पद, विशेषकर चिकित्सा अधिकारियों, पर्यवेक्षकों और टेक्निशियनों के पद रिक्त पड़े हुए हैं. साथ ही सुदृढ़ ढाँचे की कमी, उपकरणों का अभाव, अपर्याप्त सुविधाओं जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
मातृ एवं शिशु कल्याण सेवाएं
मातृ एवं शिशु कल्याण सेवाओं के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य में निम्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं-
प्रसव पूर्व सेवाएं
उत्तराखण्ड में आधे से कुछ कम (44 प्रतिशत) गर्भवती महिलाएं मात्र एक बार प्रसव पूर्व परीक्षण करा पाती हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रतिशत 65 है. ऐसी गर्भवती महिलाएं जो कम-से-कम तीन बार प्रसव पूर्व परीक्षण कराती हैं, उनका प्रतिशत केवल 18 है. प्रसव पूर्व सेवाओं का लाभ उठाने वाली महिलाओं की संख्या में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की दृष्टि से व्यापक अन्तर है. शहरी क्षेत्रों में तीन-चौथाई से अधिक (78 प्रतिशत) गर्भवती महिलाएं कम-से-कम एक प्रसव पूर्व परीक्षण कराती हैं, जबकि एक-तिहाई से कुछ अधिक, ग्रामीण गर्भवती महिलाएं ऐसा कराती हैं. एक-तिहाई से कुछ अधिक (39 प्रतिशत) गर्भवती महिलाएं आयरन फोलिक एसिड गोलियों की पूरक खुराकें लेती हैं. टेटनेस टाक्साइड इंजेक्शन के मामले में 54 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को टी. टी. इंजेक्शन की दो या दो से अधिक खुराकें प्राप्त हैं, हालांकि इन महिलाओं की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में 49 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्रों में 77 प्रतिशत है.सामान्यतः अशिक्षित माताओं एवं निम्न जीवन स्तर वाले परिवारों में प्रसव पूर्व सेवाओं का प्रचलन वहुत ही कम है. इस सेवा के अंतर्गत निम्न कार्य मुख्य रूप से किए जाते हैं-
1. गर्भवती माताओं को चिह्नित करना.
2. पंजीकरण.
3. टीकाकरण.
4. प्रसव पूर्व देखभाल,
5. रक्त अल्पता हेतु वचाव के लिए गोलियों का वितरण तथा जटिल केसों का उचित केन्द्रों का सन्दर्भण.
प्रसवकालीन सेवाएं
उत्तराखण्ड में मात्र 21 प्रतिशत, संस्थागत प्रसव होते हैं. नगरों में यह प्रतिशत 42 है, जवकि ग्रामीण क्षेत्रों में 82 प्रतिशत से अधिक प्रसव घरों में होते हैं और इनमें से आधे से अधिक प्रसव दाइयों की सहायता से सम्पन्न होते हैं. शहरी क्षेत्रों में भी आधे से अधिक (56 प्रतिशत) प्रसव घरों में होते हैं. उत्तराखण्ड में एक- चौथाई प्रसव चिकित्सकों तथा लगभग 10 प्रतिशत प्रसव प्रशिक्षित परिचारिकाओं, सहायक स्वास्थ्य परिचारिकाओं एवं दाइयों की सहायता से सम्पन्न होते हैं. चिकित्सा संस्था से परे सम्पन्न होने वाले प्रसवों में सात में से मात्र एक प्रसव (14 प्रतिशत) को दो माह के भीतर प्रसवोत्तर परीक्षण से लाभान्वित किया जाता है. इस सेवा के अन्तर्गत सुरक्षित प्रसव एवं जटिल केसों का सन्दर्भण मुख्य रूप से किया जाता है.
प्रसव पश्चात् सेवाएं
माता एवं नवजात शिशु की देखभाल, जटिल केसों का सन्दर्भण, शिशुओं का टीकाकरण, वच्चों को अन्धता से बचाव हेतु विटामिन 'ए' के घोल का वितरण, सीमित परिवार हेतु परिवार नियोजन की उचित सलाह एवं सेवाएं
तथा गर्भ समापन हेतु उचित सलाह एवं सेवाएं.
राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना
भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना को दिनांक 14.9.2001 से समाज कल्याण विभाग से स्वास्थ्य
कल्याण विभाग को हस्तान्तरित कर दिया गया है. हस्तान्तरण की प्रक्रिया अब पूर्ण हो चुकी है. उत्तराखण्ड राज्य में स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस योजना का कार्यान्ययन किया जा रहा है, इस योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन (बी. पी. एल.) करने वाली 19 वर्ष से ऊपर की महिलाओं को प्रथम जीवित प्रसव पर उचित पोषक हेतु प्रति प्रसव 500 रु. की सहायता दी जाती है.
मानसिक रोग स्वास्थ्य कार्यक्रम
राज्य में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत निम्न कार्यवाही की जा रही है-
1 राज्य में 4 अप्रैल, 2002 से राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (State Mental Health Authority) का गठन किया जा चुका है.
2 इस कार्यक्रम के अन्तर्गत देहरादून में 30 शैया का राज्य मैन्टल अस्पताल बनाया जा रहा है.
3 जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तराखण्ड के दो जनपदों का चयन किया गया है. गढ़वाल मण्डल में देहरादून व कुमाऊँ मण्डल में नैनीताल. जिसके लिए भारत सरकार को 184.30 लाख का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु भेजा गया है. इन दोनों जनपदों में यह कार्यक्रम लागू किया जाएगा.
क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम
औषधि वितरण के लिए राज्य में दो केन्द्रीय औषधि भण्डार बनाए गए है देहरादून तथा ऊधमसिंह नगर. जिसे कि
दूरस्थ जनपदों में औषधियों समय पर उपलब्ध कराई जा सकें. यह दवाइयाँ जिले की जनसंख्या के हिसाव से बाँटी जाती हैं. औषधियों की आपूर्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है.
पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम को सुचारु रूप से चलाने के भारत सरकार द्वारा 8 जनपदों (टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, चमोली, नैनीताल, पिथीरागढ़ तथा अल्मोड़ा तथा देहरादून) में 1-1 चौपहियाँ वाहन उपलब्ध कराये हैं तथा शेष 5 जनपदों (हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर तथा चम्पावत) में राज्य सरकार द्वारा चौपहिया वाहन उपलब्ध कराये हैं.
भारत सरकार द्वारा प्रत्येक उपचार केन्द्रों पर 1-।दुपहिया वाहन उपलब्ध कराये हैं तथा प्रत्येक माइक्रोस्कोपिक सेंटर पर 1-1 बाइनेकुलर माइक्रोस्कोप उपलब्ध कराये हैं. नेटवर्किंग तथा मॉनिटरिंग की सुविधा के लिए प्रत्येक जनपद में 1-1 कम्प्यूटर टेलीफोन फैक्स मशीन फोटोकॉपियर मशीन तथा ओवर हेड प्रोजेक्टर प्रदान किये हैं. इस प्रकार प्रत्येक तिमाही पर जिलों से प्रगति सूचना राज्य मुख्यालय में आती है तथा राज्य मुख्यालय से भारत सरकार को प्रेषित की जाती है जिसमें कि-
1. केस फाइण्डिग
2. प्रोग्राम मैनेजमेंट
3. स्पुटम कन्य्जन
4. एवं आउटकम
प्रमुख हैं.
Follow Us