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उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार (Wildlife, National Park and Wildlife Vihar)


उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार
 (Wildlife, National Park and Wildlife Vihar)
        किसी भी प्रदेश की प्राकृतिक धरोहर के अन्तर्गत वहाँ पाई जाने वाली वन्य जीव जातियों (अर्थात् प्राकृतिक रूप से उगने वाली वनस्पति एवं पशु-पक्षियों, कीट, पतंगों, सरीसृप जातियों) को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है, क्योंकि वन्य जीव जातियाँ किसी क्षेत्र की जलवायु एवं भौगोलिक धरातल की विशिष्टता की सजीव दस्तावेज होती है इसलिए धरती के सभी देश-प्रदेश अपनी-अपनी भौगोलिक सीमाओं में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध जीव-जातियों को संरक्षित करने के लिए अभयारण्यों एवं वन्य जीव विहारों की स्थापना करते हैं.
        उत्तराखण्ड के गठन के बाद उत्तराखण्ड का कुल वन्य जीव क्षेत्र 34,151 वर्ग किमी आ गया, जवकि उत्तर प्रदेश में केवल 17.259 वर्ग किमी क्षेत्र से संतोष करना पड़ा. उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय कार्बेट उद्यान, प्रसिद्ध फूलों की घाटी का उद्यान, उत्तराखण्ड का हिस्सा) वन गया. इस प्रकार 6 राष्ट्रीय उद्यान व 7 वन्य जीव विहार उत्तराखण्ड के अंग बन गए. इसी प्रकार वन्य जीव के मामले में भी उत्तराखण्ड के लिए लाभकारी रहा. उत्तराखण्ड में वर्ष 2008 में हुई जनगणना में बाघों की संख्या 178, तेंदुए 2335, बारासिंघे 376, हाथी 1346 हैं. कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ, मोनाल पक्षी उत्तराखण्ड के हिस्से हो गए हैं.

राज्य के राष्ट्रीय उद्यान

1. कार्बेट नेशनल पार्क
यह भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है. वन्य जीवों के सुरक्षित रखने एवं विलुप्तीकरण से बचाने हेतु 1936 में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय पार्क अधिनियम के अन्तर्गत हेली नेशनल पार्क के नाम से इसे स्थापित किया गया था. कुछ समय पश्चात् इसका नाम रामगंगा नेशनल पार्क हो गया. एक प्रसिद्ध शिकारी तथा कुमाऊँ के वन्य जीवों का हिमायती जिम कार्बेट के स्मृति में इस पार्क का नाम कार्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया. 1973 में टाइगर प्रोजेक्ट का दर्जा दिया गया. इसका क्षेत्रफल 521 वर्ग किमी है. इस पार्क में हाथी, चीता, बाघ, तेंदुआ, रीछ, भालू, वारहरसिंगा, हिरन, जंगली सूअर, साही, जंगली बिल्ली, लकड़बग्धा आदि वन्य प्राणी हैं. यह पार्क नैनीताल जनपद के रामनगर क्षेत्र में स्थित है.

2. नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान
यह राष्ट्रीय उद्यान सन् 1982 में जनपद चमोली में स्थापित हुआ. इसका क्षेत्रफल 630 वर्ग किमी है. इसको विशेष रूप से बर्फीले तेंदुए व हिरन आदि के संरक्षण हेतु स्थापित किया गया.

3. राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
यह उद्यान शिवालिक पर्वत शरृंखलाओं के बीच जा देहरादून व हरिद्वार में स्थित है. इसका क्षेत्रफल 820 दर्ग । किमी है. यह हाथी, बाघ, चीता हिरण आदि के संरक्षण हेतु ।स्थापित किया गया. इसे 1983 में प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनाकं सी. राजगोपालाचारी के नाम से जाना जाने लगा.

4. फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
इस उद्यान को पुष्पावटी राष्ट्रीय उद्यान के नाम से भी जाना जाता है. यह चमोली जनपद के 87 वर्ग किमी क्षेत्र ें
फैला है. इस राष्ट्रीय उद्यान को तेंदुआ, भालू एवं हिरणों के संरक्षण हेतु 1982 में स्थापित किया गया.

उत्तराखण्ड : राष्ट्रीय उद्यान
 क्रम नाम स्थापना वर्ष क्षेत्रफल (वर्ग किमी) जनपद
 1  राजाजी राष्ट्रीय उद्यान 1983 820 देहरादून,हरिद्वार, गढ़वाल
 2 कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान 1936 521 नैनीताल, गढ़वात
 3 नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान 1982 630 चमोली
 4 फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान 1982 87 चमोली
 5  गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान 1992 2390 उत्तरकाशी
 6  गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान 1992 472 उत्तरकाशी

5. गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान
यह राष्ट्रीय उद्यान 1992 में जनपद उत्तरकाशी में स्थापित हुआ. इसका क्षेत्रफल 2,390 वर्ग किमी है. यहाँ पाए जाने वाले वन्य पशु-पक्षियों में भूरा भालू, भरल सेराव, मोनाल, चीर फैजेंट, चकीर आदि हैं.

6. गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान
इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना उत्तरकाशी जनपद में की गई है. इसका विस्तार 472 वर्ग किमी तक है. इसमें विभिन्न प्रकार के जंगली जीव हिम तेंदुआ, भालू जंगली भेड़ आदि पाए जाते हैं, ।


बन्य जीब बिहार

1, गोबिन्द बन्य जीव विहार
इसकी स्थापना 1955 में उत्तरकाशी जनपद में की गई थी. इसका क्षेत्रफल 953 वर्ग किमी है.

2. केदारनाथ वन्य जीव बिहार
इसकी स्थापना 1972 में जनपद चमोली के अन्तर्गत की गई थी. इसका क्षेत्रफल 957 वर्ग किमी है.

उत्तराखण्ड : बन्य जीव विहार
 सं. नाम स्थापना  वर्ष बर्ग किमी जनपद
 1 गोविन्द बन्य जीव विहार 1955953  उत्तरकाशी
 2 केदारनाथ बन्य जीव विहार 1972 957 चमोली
 3 अस्कोट बन्य जीव विहार1986 600पिथौरागढ़ 
 4 सोना नदी बन्य जीव विहार 1987 301 गढ़वाल 
 5 विन्सर बन्य जीव विहार 1988 46 अल्मोड़ा
 6  मसूरी बन्य जीव विहार 1993 11 देहरादून
 7 विनोग बन्य जीव विहार 1993 280मसूरी



 प्रदेश वन्य जीव जातियाँ
 उत्तराखण्ड कस्तूरी मृग, डिम तेंदुआ, भूरा भालू, हिमालयन काला भालू, सिरु, हिमालयन तार
 (जंगली बकरा), भरल (जंगली भेड़), वर्फीला कबूतर , मोनाल पक्षी, पहाड़ी बटेर, 
कलीज फीजेंट, हिमालयन गिद्ध (ग्रिफन वर्चर), ब्रह्म कमल, भोज-पत्र, ओक, देवदार, 
सिल्वरफर, तरोडो डेन्ड्रान, वर्फीले पास के मैदान (बुग्याल) में उगने वाली जड़ी-बूटियाँ
 आदि.
 उत्तर प्रदेश चिंकारा, काला हिरन, डालफिन ढोल (जंगली कुत्ता), गेंडा (पुनर्वासित), दलदली 
तीतर, सारस बीजासाल, जंगली देल, तराई मैदानों एवं शुष्क जलवायु में उगने वाली 
जड़ी-वूटियाँ.


3. अस्कोट बन्य जीव विहार
इसकी स्थापना 1986 में जनपद पिथौरागढ़ के अन्तर्गत का गई. इसका क्षेत्रफल 600 वर्ग किमी है.

4. सोना नदी वन्य जीव विहार
इसकी स्थापना 1987 में जनपद गढ़वाल के अन्तर्गत की गई. इसका क्षेत्रफल 301 वर्ग किमी है.

5. विन्सर बन्य जीव विहार
इसकी स्थापना 1988 में जनपद अल्मोड़ा के अन्तर्गत की गई. इसका क्षेत्रफल 46 वर्ग किमी है.

6. मसूरी बन्य जीव विहार
इसकी स्थापना 1993 में जनपद देहरादून के अन्तर्गत की गई. इसका क्षेत्रफल 11 वर्ग किमी है.

7. बिनोंग बन्य जीव विहार
इसकी स्थापना 1993 में जनपद मसूरी के अन्तर्गत की गई. इसका क्षेत्रफल 280 वर्ग किमी है.

उत्तराखण्ड में बनेगा हाथियों का संरक्षण क्षेत्र
उत्तराखण्ड के जंगलों में हाथियों की लगातार हत्याओं व दुर्घटनाओं में मृत्यु के वाद राज्य सरकार की पहल पर केन्द्र नें राज्य के सभी संरक्षित वनों को जोड़कर हाथी संरक्षण क्षेत्र. बनाने का निश्चय किया है. वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक शिवालिक हाथी संरक्षित क्षेत्र बनने से अब इसके अन्तर्गत 5180 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र आ जाएगा. पहले हाथियों के संरक्षण के नाम पर केवल राजाजी राष्ट्रीय पार्क का 820 वर्ग किलोमीटंर का क्षेत्र ही था. सूत्रों के अनुसार शिवालिक संरक्षित क्षेत्र दनाने से इस संरक्षित वन का सारा नियंत्रण एक ही इकाई के नियंत्रण में आ जाएगा. इसके अन्तर्गत राजाजी पार्क व कार्बेट पार्क की सीमा एक हो जाएगी. इसकी सीमा में देहरादून, हरिद्वार और नरेन्द्र नगर के अलावा कार्वेट पार्क का वफर क्षेत्र, सोना नदी, लैंसडाउन, तराई क्षेत्र, हल्द्वानी, रामनगर और पियौरागढ़ का कुछ वन क्षेत्र भी शामिल होगा.
    सूत्रों के मुताबिक उत्तराखण्ड के जंगलों को हाथियों के आवास, भोजन व उत्पादन के लिए अधिक अनुकूल माना गया है, लेकिन आवादी के कारण सीमित हो रहे वन क्षेत्र व इनमें बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप के कारण यहाँ हाथियों की मृत्यु दर लगातार वढ़ रही है. भारतीय वन्य जीव संस्थान के आकड़ों के अनुसार उत्तराखण्ड के जंगलों में इस समय हायियों की कुल संस्था 1346 है. ऑकड़ों के मुताबिक उत्तराखण्ड के जंगलों में लैंगिक अनुपात बुरी तरह असंतुलित हो गया है मादा की तुलना में नर हाथी 1/3 रह गए हैं.

उत्तराखण्ड में बढ़ता तेंदुओं पर संकट
    उत्तराखण्ड में तेजी से कटते जंगल और शिकार की कमी के कारण आदमखोर होते जा ग्हे तेंदुओं पर संकट के वादल मॅडरा रहे हैं,
    नवम्बर 2000 में अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए उत्तराखण्ड का कुल क्षेत्रफल 53 हजार 484 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 34 हजार 434 वर्ग किमी वन क्षेत्र था, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें तेजी से कमी आयी है.
उत्तरकाशी जिले में मीलों तक फैले भोजवृक्षों के जंगल पूरी तरह से काट दिए गए है. अवैध कटान के साथ-साथ जंगलों में लगने वाली आग भी जंगलों को लगातार कम करती जा रही है. आँकड़ों के अनुसार तीन से चार हजार किमी जंगल के क्षेत्र में कमी आई है.

    इस समय राज्य में राष्ट्रीय उद्यानों, वन्य जीव विहारों और प्राणी उद्यानों में बाघ, तेंदुआ, चिंकारा, वारासिंघा, गेंडा और कस्तूरी मृगों की कुल तादात 9120 है. विभाजन के बाद उत्तर प्रदेश में इनकी तादात मात्र 3981 हो गई, जबकि उत्तराखण्ड में 5139 है. उत्तराखण्ड में कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान,राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान और गोविन्द राष्ट्रीय उद्यान हैं. उत्तर प्रदेश में केवल दुधवा राष्ट्रीय उद्यान ही रहा.