उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ी गाँव में मधुली अपनी खेती, बाड़ी , घास, पात, जंगल मे इतनी रम गयी थी कि उसे खुद का भी ख्याल नही रहता ।
इसी बीच मधुली की तीन लड़कियां हो गयी थी, जिस की वजह से उसे बार बार अपनी सास के गुस्से का शिकार होना पड़ता ।। जब कोई उसकी सास से ,नाती पोतों के बारे में पूछता तो, सास बड़ी उदास होकर बताती कि .... यरां तीन नत्योंण ( पोतियां) हैं ।। और लगातार तीन लड़कियां होने से मधुलि को कई बार अपमान भी सहना पड़ता पर करती भी क्या ?? ज्यादा पढ़ी लिखी थी नही... इसलिए कभी कभी उसे खुद भी लगता कि इसके लिए जैसे वो खुद ही जिम्मेदार है । लगातार पोते की चाह में मधुली की सास ,मधुली को बताती कि इतवार का ब्रत रखने से लड़का होता है , और कभी कोई बभूत उसको लगाने को देती ।। इसी बीच मधुली एकबार फिर से गर्भवती हो गयी । इतवार का ब्रत रखने लगी और मन ही मन ईश्वर को याद करते हुए पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना करने लगी ।
मधुली के जीवन मे एक बार फिर एक ऐसी घटना घट गई कि शराब के नशे में एकदिन उसका पति छज्जे से गिर गया और उसकी मौत हो गयी ।। पति की मौत से उसे बहुत बड़ा सदमा तो नही लगा पर , उसकी हाथ की दो चार चूड़ियां तोड़ दी गयी ,जिसमे से एक चूड़ी उसकी हथेली में चुभ गयी थी ...बस उसी का थोड़ा दर्द होता था ।। अपने पति से वो कभी भावनात्मक रूप से नही जुड़ी थी ,इसलिए उसे इस बात का ज्यादा दुःख न था ।।
पर सास ,बेटे के जाने से स्वभाविक रूप से दुःखी थी और इस सब का ठीकरा वो मधुली के सिर पर फोड़ती थी । कुछ समय बाद जिस दिन मधुली का प्रसव होना था , उसकी सास ,बार बार दाई को आकर पूछती कि क्या हुआ है....?? पर अभी तो मधुली प्रसव पीड़ा से ही झूझ रही थी । सास ने मधुली को कभी खाने के साथ घी नही दिया था पर आज वो पूरी एक माणि( 1/2किलो) घी की कमोली, मधुली को पिलाने के लिए, दाई को पहले ही देकर आ गयी थी । कुछ समय बाद , उस गौशाला के कमरे से किलकारी की आवाज आई ,सास दौड़कर आयी और पूछा कि क्या हुआ है ? दाई ने लेम्प की रोशनी में नवजात को ढंग से अल्टा पलटा कर देखा तो ,कुछ न बोली । सास खुद ही आकर,हाथ पर मशाल लिए ,नवजात को देखने लगी । नवजात के रूप में फिर से लड़की देखकर ,जोर जोर से रुदन करने लगी-- हाई राम...कुल का नाश हो गया ।। खत्म हो गया सब ,कुछ । और दहाड़े मारते मारते गश खाकर गिर गयी , दाई ने बच्ची को मधुली के पास रख दिया और सास पर पानी के छीटे मारने लगी । पर सास दुनिया से जा चुकी थी ,उसकी सांसे बन्द हो गयी थी । अचानक मधुली चिल्लाने लगी , उसे बेहद दर्द शुरू हो गया, ये देखकर दाई ,उसके पास गई और एक मिनट के बाद ही एक और नवजात शिशु का जन्म हो गया ।। ये देखकर , दाई उसको गोद मे उठाकर देखने लगी तो लड़का था । जोर जोर से मधुली को पुकारने लगी । बोली-- मधुली मधुली-- देख...देख ...ईश्वर ने त्येरी सुन ली है ,,, लड़का हो गया है । मधुली ने अपने दोनों नवजातों को सीने से लगा दिया ।
वो एक ऐसा दृश्य था जो कभी न घटा था -- सास को बेटी होने से सदमा लग गया था जोकि वहीं जमीन पर मृत पड़ी थी , और सास की मृत्यु के तुरंत बाद ही जुड़वा के रूप में मधुली को पुत्र मिला । ये गजब का संयोग था । एक साल के भीतर सास और पति की मृत्यु के बाद अब उसके पांचो बच्चो की जिम्मेदारी उसके ऊपर ही थी ।। कैसे और किन कठिन परिस्थितियों में वो जीवन संघर्ष करती है??
पढ़िए अगली कड़ी में-- जारी-- नवल खाली
यहाँ पढ़ें
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
ये भी पढें
- उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना
- उत्तराखंड की जलवायु
- उत्तराखण्ड में नदियाँ
- उत्तराखण्ड की मिट्टियाँ
- उत्तराखण्ड में प्राकृतिक बनस्पति एवं वनों का वितरण
- उत्तराखंड पर्यावरण सुरक्षा योजना
- उत्तराखंड का इतिहास
- स्वतंत्रता आन्दोलकन में उत्तराखंड की भूमिका
- उत्तराखण्ड संघर्ष का सफरनामा
- पृथक उत्तराखंड के संघर्ष का इतिहास
- उत्तराखंड की शासन प्रणाली
- उत्तराखंड - औद्योगिक एवं कृषि अर्थव्यवस्था
- उत्तराखंड में ऊर्जा संसाधन
- उत्तराखंड में शिक्षा और शैक्षिक संस्थान
- उत्तराखंड में परिवहन के साधन
- उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां व अनुसूचित जनजातियों के लिए संवैधानिक संरक्षण
- उत्तराखंड विविध विकास योजना व आर्थिक कार्यक्रम
- उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार
- उत्तराखंड जनस्वास्थ्य, नीतियां एवं उपलब्धियां
- उत्तराखंड में सहकारिता आंदोलन
- उत्तराखंड पर्यटन नीति
- उत्तराखंड के प्रशिद्ध बुग्याल
- उत्तराखंड के प्रमुख पर्व एवं मेले
- उत्तराखंड की विविध कलाएं : वास्तुकला, मूर्तिकला एवं मंदिर
- उत्तराखंड के लोक संगीत, लोक निर्त्य,लोक कलाएं
- उत्तराखण्ड : ललित कलाएँ
- उत्तराखंड में चित्रकारी
- उत्तराखंड के प्रमुख गीत व संस्कार
- उत्तराखंड की भाषा , छेत्रिय भाषा , बोली
- उत्तराखण्ड का लोकसाहित्य
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं पार्ट 2
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं पार्ट 3
- गढ़वाली शादियों में गालियां ओर मांगलिक गीत
- उत्तराखंड से सम्बंधित अन्य कोई भी जानकारी (euttra.com)
Follow Us