भरतु की ब्वारी देहरादून राजावाला में रानी बनकर घूम रही है !!! अब पूरा मोहल्ला ही गाँव और नाते रिश्तेदारों की ब्वारियो से खचाखच भर गया है !!! सब हिंदी टाइप गढ़वाली भाषा में एक दूसरे की चुगली में ज्यादातर व्यस्त हैं !!! गाँव वाले झगड़े यहाँ भी शुरू हो गए हैं !!! गाँव मे तो गाय के उज्याड खाने (दूसरों के खेत मे गाय चराना) और दूसरे के खेत से घास चुराने और पुंगड़े(खेत) की बाउंड्री सरकाने पर झगड़े होते थे ,पर यहाँ बच्चो के आपस मे लड़ने पर ही ज्यादा झगड़े होते हैं !!!
इसी बीच एक परिवार में एक गल्दयो(गाली बकने वाली) बुढ़िया भी है , जो सबकी बुराई करती फिरती है और अगर किसी ने कुछ बोल दिया तो उसके गालियों से पित्तर पूज देती है और देवता लगाने की धमकी देती है !!! गाँव मे तो अनाज, भुज्जी, साग उगाने का कम्पटीशन था पर यहाँ आकर दूसरी,तीसरी,चौथी मंजिल उगाने का कम्पटीशन जारी है !!!
भरतु की ब्वारी ने अपने बामण जी को भी राजावाला में बना बनाया मकान दिला दिया है क्योंकि जब सारे जजमान देहरादून में ही हैं तो पण्डित जी ने गाँव मे क्या करना ?? सब लोगों ने तय किया और बामण जी से कहा कि.. जब सारे ही लोग देहरादून बस गए हैं तो क्यों न अपने इष्ट देव भूमि के भूम्याल देवता को भी यहीं ले आएं ??? देवता भी अकेले अकेले वहाँ क्या करेंगे ?? बामण जी को भी बात जम गई और देवता को भी देहरादून में ही स्थापित कर दिया !!! सबने मिलकर देहरादून में देवता नचाया तो देवता भी भरतु की ही ब्वारी पर ही अवतरित हुआ औऱ कहने लगा ..... मैं बोत प्रसन्न हूँ ,तुम सब से ... तुमने मुझे अच्छे स्थान में स्थापित कर दिया है .... अब एक ही ख्वाहिश है ?? सबने कहा क्या ??? तो देवता ने कहा ..जब अगली बार मुझे नचाओगे तब बताऊंगा....ऐसा कहते हुए देवता ने सबको आश्रीवाद दिया ...और बामण जी ने शंख बजाकर सबको प्रसाद बांट दिया !!!!
इस प्रकार भरतु की ब्वारी ने गाँव के इष्ट देव को भी देहरादून पलायन करवा दिया !!!! साभार- नवल खाली !!!
मित्रों अब भरतु की ब्वारी के पार्ट-05 में पढ़िए कि देवता की ख्वाहिश क्या थी ??? और ये भरतु की ब्वारी अभी आगे आगे क्या क्या करती है !! तब तक के लिए आप सभी पाठकों को नवल खाली का ढ़ेरों आभार !!! आप सभी के कमेंट से ही हौसला बढ़ता है इसलिए आपका प्यार और सहयोग सदैव यूँ ही बना रहे !!!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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