और बागी बन गयी भरतु की ब्वारी-----------
निकाय चुनाव के टिकट बंट गए थे !! जिनको मिला , उनकी रेल तो अब बनने जा रही थी , आज से लेकर और वोटिंग तक उन बेचारों का तो भण्डारा शुरू होने वाला था !!! जिनको टिकट नही मिला , वो भी सिंग पल्या के मरकुण्डया (बल्द) बैल की तरह बैठे थे !!!
इतफाक से भरतु की ब्वारी का टिकट भी कट गया था , इसलिए भरतु की ब्वारी ये भी न देख पाई कि वो टिकट आखिर होता कैसा है ??
इस बात से वो बड़ी ही टेंशन में थी ,क्योंकि टिकट धरमु की ब्वारी का पक्का हो गया था !!
पर भरतु की ब्वारी भी पक्का निर्णय कर चुकी थी कि चुनाव तो लडना ही है ।।।
बोली-- चाहे कुछ भी हो चुनाव तो लड़ना ही है ...... अब मि बागी बणितें दिखोलू कि चुनाव कैसे जीतते हैं बल ।।। और भरतु की ब्वारी बागी बन गयी ।।
भरतु की ब्वारी ने सबसे पहले दलित समाज मे कोली संगठन के अध्यक्ष राजेश सिंग राजा को फोन किया और मीटिंग फिक्स कर दी जिससे दलित वोटों को वो अपने पाले में कर सके ।।
दस लड़को को उसने एक एक धांसू एंड्रोयड फोन दिला दिया , लड़के भी खुश हो गए क्योंकि बेचारे बेरोजगार थे और उनके मोबाइल फेसबुक ,वट्सएप चला चलाकर घिस पिट गए थे , बेचारे बहुत ही कठिन परिस्थियों में अपनी सोना ,जानू के ये मैसेज पढ़ पाते कि-- मेले सोना बाबू ने क्या खाया?? नही याल , मैं तुमसे ही प्याल करती हूं आदि आदि ।।।
अब दस लड़को को उसने ये काम दे दिया कि शोशियल मीडिया पर उसका प्रचार शुरू कर दें ताकि टेम्पू बना रहे !!!
सर्दियों के चुनाव प्रत्याशियों पर खर्चे का बेहद लोड डाल देते हैं , सुरा भी ज्यादा लगती है और सूप भी ।।।
इधर कुछ लड़के जो बड़े चकडेत थे वो शोशियल मीडिया पर डालने लगे--- हमारी प्यारी ।। भरतु की ब्वारी ।।। अबकी बारी ।। भरतु की ब्वारी ।।
इधर जैसे जैसे चुनाव के दिन बढ़ते जा रहे थे ,भरतु की ब्वारी की रुपयों की थैली भी कम होती जा रही थी ,भरतु को भी आनन फानन में 5 लाख का लून लेना पड़ गया था।।।
भरतु की ब्वारी ने अपनी प्रचार टीम में देहरादून से मॉडलिंग वाली दस लड़कियों को भी बुला दिया था , जिससे उसके चुनाव में रौनक बढ़ गयी थी , प्रथम बार वोट देने वाले लड़के अब लूरबुर लूरबुर , भरतु की ब्वारी की टीम के पीछे पीछे जिंदाबाद जिन्दाबाद करते नजर आ रहे थे ।।।
नई नई ब्वारियो के कान में वो मन्त्र फूंकने लगी कि चुनाव जीतने के बाद उनको देहरादून में सस्ती जमीन दिलाकर शिफ्ट करवा देगी ।। पति से कैसे घुस्याट (जिद) करनी है ये भी उसने उनको सिखला दिया था ।।
आजकल उसको सुबह सुबह ही लोगों के द्वार मौर (दरवाजे ) पर जाना पड़ रहा था ।
आजकल न रात को नींद थी न दिन में चैन ।। ये चुनाव का त्योहार भी बड़ा गजब था, आजकल गरीबों को भी लग रहा था कि समाज मे उनकी भी बखत है ।।। खैर देखते हैं अब आगे क्या होगा ??
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source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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