मेरे हिस्से का पहाड़-मधुली-पार्ट-06


अभी तक आपने पढ़ा कि पहाड़ों में मधुली लगातार संघर्ष करते हुए अपने बच्चों को बड़ा कर रही थी कि अचानक उसके पांच बेटियों के बाद एकलौते पुत्र की तबियत बहुत खराब हो गयी थी।।। 
एकदिन रात में मधुली ने देखा कि उसका बेटा बेहोश हो गया है , एकदम कड़कड़ा सा हो गया था, बस थोड़ी सी सांसे चल रही थी । बेचारी भयभीत हो गयी ।। उसने बच्चे को उठाया और चाँदनी रात की रोशनी का सहारा लेकर नजदीकी कस्बे की तरफ चल पड़ी जोकि वहाँ से पांच सात किमी दूर था ,वहाँ एक वैध रहते थे ।।। उसके कदम पथरीले ,उबड़ खाबड़ रास्ते पर पड़ते जा रहे थे जिससे पाँव से रक्त भी बहने लगा था ।। उसके कदम आगे नही बढ़ पा रहे थे ,  अब भोर भी होने को आई थी, अंधेरा छंटने लगा था ,तभी उसे एक स्थान पर एक बुजुर्ग महिला बैठी मिली । महिला ने मधुली को पूछा कि कहाँ जा रही हो ?? तो मधुली ने बेटे की बीमारी की बात उसको बताई , उस महिला ने उसके बच्चे को अपनी गोद मे उठाया और आगे बढ़ने लगी ,मधुली भी उसके पीछे पीछे चलने लगी । फिर कुछ दूर जाने पर एक घर के अंदर चली गयी , जहाँ एक बुजुर्ग बैठे थे ,बुजुर्ग ने बच्चे की नाड़ी देखी और उसका उपचार करने लगे ।।।

मधुली बाहर बैठी थी । इसी बीच न जाने कब उसकी आंख लग गयी , जब उठी तो उसने देखा कि वो एक चबूतरे पर पीपल के पेड़ के नीचे लेटी थी और पास ही उसका बच्चा खेल रहा था , ।। उसे विश्वास ही नही हो पा रहा था कि मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुका उसका बच्चा अचानक स्वस्थ हो गया । एक माँ तभी खुश रहती है जब उसका बच्चा खुश हो ।। वो उठी और उस महिला को आस पास ढूंढने लगी पर कहीं भी नही मिल पाई ।।। वो वैध जी के पास गई और महिला के बारे में पूछने लगी , वैध जी सिर्फ मुस्कराए और उसे कुछ दवा की पुडिया देकर जाने को कह दिया ।।। मधुली अपने बेटे को लेकर वापस गाँव की दिशा में चल पड़ी , उस स्थान पर पहुंची जहाँ बुढ़िया मिली थी तो वहाँ पर बनदेवी की सात ओखलियाँ बनी थी और लोगों ने वहाँ चूड़ियां, बिंदी व चुनरियाँ वनदेवीयो के लिए चढ़ा रखी थी ।।। मधुली वहाँ पहुंचकर नतमस्तक हो गयी ।।
समय धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था, मधुली के बच्चे बड़े हो रहे थे , नजदीकी स्कूल सिर्फ आठवीं तक था , अब बच्चो को आगे पढ़ाने की चिंता उसे सताने लगी , वो नही चाहती थी कि उसके बच्चे भी उसी की तरह अनपढ रहें और  ऐसी जिंदगी जियें ।। कोई करीबी रिश्तेदार भी ऐसा न था जिसके पास बच्चो को पढ़ने के लिए भेजा जाय ।। मधुली दिन रात इसी उधेड़बुन में रहती थी । मधुली के सारे बच्चे पढ़ने में होशियार थे पर अब आगे क्या होगा ... यही चिंता उसे सालते जा रही थी ।।। एकदिन मधुली ने आखिरकार एक निर्णय लिया --- क्रमशः--- आगे जानने के लिए पढ़ें मधुली पार्ट- 7--



source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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