भरतु की ब्वारी आजकल देहरादून में अपने गृहस्थी के कामो में व्यस्त है !! एक महिला के व्यस्त जीवन के बारे में ,उससे बेहतर कोई नही जान सकता !! बच्चे पैदा होते ही ,उसके जीवन का दृष्टिकोण ही बदल जाता है !!! अब बरसात का मौसम है , पहाड़ो का जीवन बेहद डरावना हो गया है !! आये दिन अखबारों की हेडलाइन में भूस्खलन , पहाड़ी से पथ्थर गिरकर गाड़ियाँ एक्सीडेंट, इतने घायल, इतनो की मौत आदि आदि खबरों से देहरादून पलायन कर गए परिवारों में एक सन्तुष्टि का भाव है !!! भरतु की ब्वारी अपने बरामदे में अन्य दो चार महिलाओ के साथ बैठी, अखबार में खबर पढ़ रही है ...गाड़ी के ऊपर गिरा मलबा, पांच की मौत, मकान ढहने से चार लोग दब गए !!! बोली- दीदी क्या फायदा पहाड़ो में रहने का ,जब हर समय जान हथेली पे रखकर चलना है ?? हम लोगो ने अच्छा किया जो टाइम पर यहाँ बस गए !!!
उधर भरतु ..कश्मीर में हर दिन आंतकवादियों से लड़ रहा है, गांवो में छिपे आंतकवादियों से मुठभेड़ में ..कई ग्रामीणों की गोली लगने से हर दिन मौत हो रही है !! फिर भी गाँव वाले वर्षों से इन्ही गांवों में रह रहे हैं !!
इधर सरकार पलायन आयोग का ऑफिस गैरसैण सेटल करने पर विचार कर रही है !! इसी बीच एक युवा ने सरकार को पलायन पर एक सुझाव दिया और पत्र लिखा---
नौ सूत्र नवनिर्माण के ...
महोदय आज चारों तरफ पलायन पर गोष्टियाँ, सेमीनार और चर्चाएं हो रही हैं । कई शोधपत्र इस विषय पर जारी हो रहे हैं । शिक्षा , स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार को इसका जिम्मेदार बताया जा रहा है ।
सरकार और बुद्धिजीवी समाज इस विषय पर काफी चिंतित दिखाई पड़ रहा है । सरकार का कहना है कि कोदा झंगोरा उगाओ , इसके अलावा कृषि उद्पादों पर सब्सिडी भी मिलेगी , पर हकीकत यह है कि आज गाँवों में दिन में चारों तरफ हरिद्वार कुम्भ से छोड़े गए देशी बंदर उत्पात मचा रहे हैं, और रात में, गुणात्मक वृद्धि में बढ़ते सुंवरों ने कृषि फसलों को रौंध के रख दिया है । कई पहाड़ी किसानो से बात की तो उनकी निराशा को देखकर मन बहुत ही दुखी होता है ।
बन्दर अब घरों के अंदर आकर खाना छीनने लगे हैं और सीधा हमला करने लगे हैं । ये सिर्फ एक गाँव की घटना नही है , आज उत्तराखण्ड का हर पहाड़ी गाँव इस विषम परिस्थिति से गुजर रहा है ।
आज आवश्यकता है नई पहल करने की , जो गाँवों को नई दशा और दिशा दे सकते हैं ।
1- चीड़ से आच्छादित गाँवों में लीसा समिति का गठन कर, गाँव के लोगो को लिसे से रोजगार से जोड़ने की आवश्यकता ।
2- बांज से आच्छादित गाँवों में , बांज की फली , जोकि बेशकीमती है । उससे जोड़कर , रोजगार उपलब्ध करवाया जाय ।
3- नदी किनारे बसे गाँवों में ग्राम सभा को रेत बजरी का टेंडर देकर रोजगार और राजस्व की दिशा में कदम बढ़ाएं जाय ।
4- नदी किनारे बसे गाँवों को मछली उद्पादन की दिशा में बेरोजगारों को टेंडर दिए जायँ !!!
5-वो जगह चिन्हित की जायँ जहां अभी अवैध रूप से रेत बजरी चुगान किया जा रहा है , उनको सरकारी तौर पर बेरोजगार युवाओं को टेंडर के माध्यम से दी जाय !!!
6- गाँवों में सरकार , किसानो की भुमि 2 साल किराए पर लेकर वहां अपने संसाधनों और सहभागिता से स्वयं जड़ी बूटी या अन्य वो उद्पाद जोकि उस पर्यावरण में हो सकते हैं , उनका उद्पादन करके प्रेरक के रूप में काम किया जाय !!
7- गाँवों में अखरोट के पेड़ों को लगाने की दिशा में कार्य करना होगा क्योंकि अखरोटो को बन्दर भी नुक्सान नही करते और आमदनी भी अच्छी होगी ।
8- नदी किनारे बसे कस्बों के समीप वाटर प्लान्ट लगाने की दिशा में कार्य होना चाहिए जिससे पहाडो के पानी से आमदनी, बेरोजगार जवानी को मिले ।
9- गाँव में टूरिज्म विलेज को डेवलेप करने की दिशा में काम किया जाय !!!!
यदि वास्तव में सरकारें चाहती हैं कि गाँवों का विकास हो तो कुछ अभिनव प्रयोग की आवश्यकता महसूस की जा रही है । अन्यथा वो दिन दूर नही जब पलायन सिर्फ एक शोध का विषय रह जाएगा !!!!
सरकार को सुझाव तो अच्छे लगे पर इनको इम्प्लीमेंट करना बहुत चुनौती था !!!
इसके लिए एक बेहतरीन आइडिया उस युवा ने दिया !!! जो सरकार को भी पसन्द आया !!!
जारी- नवल खाली
क्या था वो आइडिया ?? पढ़िए पार्ट- 10- !!!!
Click here for part 10
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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