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भरतु की ब्वारी--पार्ट-10-पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)

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भरतु की ब्वारी--पार्ट-10- नवल खाली

आजकल भरतु की ब्वारी देहरादून शादियों में व्यस्त थी !!! एक दर्जन कार्ड थे !! गाँव की शादियों में तो बड़ी दिक्कते थी , अरसे,रोटने खाने में तो अच्छे लगते हैं पर बनाने में जो दिक्कते होती हैं ,उसको सिर्फ महिलाएं ही जानती हैं !!! देहरादून की शादियों की चमक और धमक ही कुछ और होती है !!! भरतु की ब्वारी ने भी अपनी गुलाबी वाली, पिंक वाली,रानी कलर वाली, पर्पल कलर वाली साड़ियाँ पहले से ही तैयार कर ली थी !!! दो चार चक्कर ब्यूटी पार्लर के भी मार दिए थे !! भरतु का ए. टी.एम. ब्वारी के पास ही रहता था तो शॉपिंग करने की भी कोई टेंशन न थी !! आज रावत जी की लड़की की शादी में भरतु की ब्वारी भी सझ धज के पहुँच गयी थी !! अब देहरादून में दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करने का फैशन तो है नही ...बस हल्का सा एक हाथ उठाओ ...सीने तक ले जाओ ..हो गया प्रणाम !!! ऐसे ही मेल मिलाप सभी से चलता रहा ..!!! भरतु की ब्वारी को गाँव से आईं कुछ महिलाओं के पहनावे पर हंसी भी आ रही थी ,क्योंकि लिपस्टिक का कलर साड़ी के कलर से मैच नही कर रहा था !!! सोच रही थी गंवार के गंवार ही रहेंगे ये, पर उन महिलाओं को लिप्स्टिक से ज्यादा चिंता अपने गांव में छोड़े गाय, भैंस ,खेती पाती की थी !! कई बार गाँव मे फोन करके पूछ चुकी थी कि गाय ,भैंस ने दूध दिया नही दिया ?? घास खाया ,नही खाया !!! उनकी टक हर समय अपनी गाजी पाती पर ही थी !! आपस मे भी उनकी बातें यही थी कि गाय कब ब्याने वाली है ?? रोपणी लगा दी , ?? भैंस कितना दूध दे रही है !!!?? आदि आदि
शादी के हर कोने में बैठे दून निवासियों के स्त्री पुरुषों की वार्तालाप में ज्यादातर प्लाट और मकान का ही जिक्र था !! कहाँ किसका मकान बिक रहा, किस का प्लाट बिक रहा आदि आदि ??? भरतु की ब्वारी भी एक कोने में गोलगप्पे खा रही है !! इसी बीच खाने की लाइन शुरू हो गयी..सब लोग बाते छोड़कर खाने की लाइन पर अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं !!!!
उधर उत्तराखण्ड में पलायन का मुद्दा सरकार का सिरदर्द बना हुआ है !! सरकार ने सबसे सुझाव भी माँग लिए पर घूम फिर कर सारी चीजें वही अटकी थी कि चीजो को कैसे इम्प्लीमेंट हों।?? कोई भी कर्मचारी पहाड़ो में रहने को तैयार न था !! हर शनिवार को पहाड़ो से सबका रेला 12 बजे से ही देहरादून की तरफ रवाना हो जाता था !! देहरादून मोहनजोदड़ो की शक्ल ले रहा था, सारी सुविधाओ से सम्पन्न शहर !!! रिस्पना और बिंदाल नदियों के सूखेपन ने उस पूरी जगह को बिल्डिंगों ने घेर लिया था !!! जो खतरे का संकेत था !!! पर जब इंशानी फितरत और संस्क्रति प्लाट और मकानों तक सिमट जाय तो फिर प्रकृति से उसका कनेक्शन शून्य हो जाता है !! पलायन आयोग को एक युवा धरमु ने सुझाव दिए और फिर तरीका बताया कि कैसे इम्प्लीमेंट हो ?? 
उसके अनुसार - पलायन की सबसे बड़ी समस्या है रोजगार !!!और ज्यादातर बेरोजगार युवा ..खुद पर एक सरकारी टेग चाहते हैं !!  चाहे तनखा शुरुवात में 7 हज़ार दो !!! हर किसी का टारगेट फिक्स कर दीजिए !! सबसे पहले शुरुवात करते हैं ...चीड़ के लीसा गढांन सोसाइटी से !!! हर गाँव मे जहाँ चीड़ प्रचुर मात्रा में है वहां समिति का गठन कीजिये और युवाओ को टारगेट के हिसाब से तनखा दे दीजिए और इंसेंटिव अलग से !!!!!!!! फिर देखिए आउटपुट !! हाँ इस काम को किसी एन. जी.ओ को मत दीजियेगा ,खुद ही मोनिटर करवाइए !! 
अब देखते हैं सरकार को धरमु का ये आइडिया पसन्द आता है या नही ?? आगे पार्ट -11 में पढ़िए !! क्या होता है जब ..भरतु के ऑफिस से एक फोन कॉल भरतु की ब्वारी को आता है ??

Click here for part 11


source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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