भरतु की ब्वारी जब गांव में रहती थी, तो उसने भी बहुत खैरी खाई थी (कठिनाई झेली थी) !!! गांवो की जिंदगी उस समय तो बहुत ही टफ हुआ करती थी !!! कभी पानी नही आया तो धारे- मंगरे और कुवे से पानी लाना पड़ता था !!! रूडी के दिनों में ( चैत- बैसाख) में घास लेने जंगलो में जाना पड़ता था !! जंगल में एडी- आछरी (वनदेवियो) की हवा लगने का डर अलग से था और गिरने का खतरा अलग से !!! गैस सिलेंडर तो था पर सास की आदत थी कि सुबह उठते ही भाड़ में (लकड़ी के चूल्हे में) आग जला देती थी और फिर दिनभर वो धुँवा ही धुँवा !!! बड़े बुजुर्गों का मानना था कि आग वाले चूल्हे का खाना ज्यादा स्वादिष्ट होता है !!! टॉयलेट तो बने थे पर घर से 10 मीटर दूर ,जिससे रात - बिरात जाने में डर लगता था !! बाघ का खतरा अलग से था !!! खाना भी लास्ट में ही खाना पड़ता था , बहुओं को साथ बैठाकर खाना खिलाने की परम्परा कभी नही रही !!! भरतु की ब्वारी का बच्चा होने वाला था , तो उस दौरान उसको घड़ी घड़ी भूख लगती थी , एकदिन वो किचन में सुबह सुबह रात की बासी रोटी मोड़कर ,चाय में डुबोकर खा रही थी कि तुरन्त सास आ टपकी ,और मुँह फुलाकर बड़बड़ाने लगी ...!!!! फिर कभी कभी उसकी नींद देर में खुलती थी तो सास के उपदेश सुबह सुबह शुरू हो जाते थे...कि इनके बाकीबात के बच्चे हो रहे हैं...बच्चे हमारे भी तो हुए...हम तो फिर भी बहुत धाण (काम) करते रहे !!! आजकल की ब्वारियो के कुछ ज्यादा ही नखरे हैं !!!
ऐसे में भरतु की ब्वारी गांव में बड़ी फ्रस्टेड रहने लगी !!! सोचने लगी थी कि हे ...भगवान...इस गाँव की जिंदगी से फटाफट मुक्ति मिल जाती तो कितना अच्छा होता !!! धीरे धीरे सयुंक्त परिवारों में रहने की परंपरा खत्म होती जा रही थी !!! सास बहू के किस्से गांवो से समाप्त होते जा रहे थे !!!
भरतु की ब्वारी को गाँव कतई पसन्द नही थे !!! दो चार दिन के पर्यटनार्थ तो सही था पर वहाँ जीवन काटना बेहद मुश्किल था...बन्दरों और सुंवरो ने जीना मुश्किल कर दिया था ...!!!! जो लोग अभी भी गांवो में थे ,वो वहाँ से बाहर निकलने को छटपटा रहे थे !!! अब गाँव मे वही लोग थे जिनकी मजबूरियाँ थी !!! स्कूलों में टीचर थे नही...अस्पतालों में डॉक्टर रहने को तैयार नही थे !!! भरतु की ब्वारी इसीलिए गाँव छोड़कर ,देहरादून आ चुकी थी !!! सरकार का पलायन आयोग भी सुस्ता रहा था !!! उत्तराखण्ड बने 17 साल हो चुके थे ...पर कमबख्त वो...विकास... गर्भ में नही आ पा रहा था ..जबकि नेताओ के अनुसार दिनरात उनके...प्रयास जारी थे !!! विकास का पैदा होना मुश्किल ही लग रहा था.. ...क्योंकि शायद सरकारें....विकास निरोधक ....सामग्रियों का इस्तेमाल कर रही थी ...इसलिए तो आजतक...विकास ... नही हो पाया !!!
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