भरतु की ब्वारी-- पार्ट--18 पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)

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भरतु की ब्वारी-- पार्ट--18
 भरतु की ब्वारी देहरादून में अब कार सरपट दौड़ाने लगी !!! भरतु भी छुट्टी आया हुआ था तो दोनों एक चक्कर गाँव की ओर चल दिये !! पहाड़ी सर्पीले रास्तों पर भरतु की ब्वारी अपनी कार को नागिन जैसी बलखाती हुई दौड़ा रही थी !!! भरतु डर तो रहा था पर उसको अपनी ब्वारी पर कॉन्फिडेंस भी बहुत था !! एक जगह पर रास्ते मे उन्होंने देखा कि एक नेपाली पहाड़ी सब्जी बेच रहा था ...तो सोचा गाँव के लिए लेते हुए चलें....भरतु की ब्वारी ने नेपाली से पूछा....भैय्या टीमाटर क्या भाव दिए ?? तो बोला बहन जी 10 रुपये किलो !!! कहने लगी...देहरादून में तो 80 रुपये चल रे !!! फिर सब्जी ली और चल दिये !! उसके बाद नेपाली ने भी 60 रुपये किलो बेचने शुरू कर दिए !!! 
गाड़ी गाँव मे पहुँच चुकी थी तो सबने देखा कि भरतु की ब्वारी खुद गाड़ी चला कर ला रही है तो लोग आपस मे उन्ही के बारे में बाते करने लगे !!! अजी ...गाड़ी सीखना कौन सी बड़ी बात है ?? सास ससुर को गाँव मे ही छोड़ रखा और खुद मौज कर रहे हैं !!! अब जितने मुँह ..उतनी बातें !!!!! भरतु की माँ ने उसी दिन से भरतु को अपने से अलग मान लिया था ..जब से उसकी शादी हुई थी...माँ की नजर में उसका भरतु बदल गया था ...जबकि भरतु को खुद ये नही पता था कि वो क्या बदला है ??? बरहाल माँ का नजरिया बेटे की शादी के बाद चेंज हो गया था !!! 
उसी रात बगल पड़ोसी धरमु की ब्वारी जो पेट से थी...उसकी प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी ...108 नम्बर पर कॉल की तो उन्होंने बताया कि अभी वो किसी को छोड़ने गए हुए हैं ...तो समय लगेगा !!! भरतु की ब्वारी ने भरतु से कहा कि...अजी सुनो...हम ही अपनी गाड़ी से उसको लेकर चलते हैं ...फिर भरतु की ब्वारी ने रातों रात उसको नजदीकी अस्पताल पहुँचाया...तो पता चला वहाँ का अधिकतर स्टाफ छुट्टी पर था ...वहाँ से फिर डेढ़ सौ किलोमीटर दूर दूसरे अस्पताल में पहुंचे तो ...वहाँ भी डॉक्टर और नर्सों ने बहुत लापरवाही दिखाई पर किसी तरह बच्चा हो गया !!! भरतु की ब्वारी ने भरतु से कहा...वो तो हमने ठीक किया कि टाइम पर देहरादून सेटल हो गए ....यहाँ पहाड़ों में तो इन्शान के जान की कीमत कुछ भी नही !!! 
अगले दिन भरतु की ब्वारी और भरतु गाँव मे सभी से मिलने जा रहे थे तो रास्ते मे देखा एक सरकारी स्कूल था ...जहाँ एक दर्जन बच्चे बैठे ...कविता पाठ कर रहे थे...और एक अधेड़ उम्र की मेडम स्वेटर बुन रही थी और जवान मेडम हेडफोन लगाकर ...आँखे बन्दकर शायद कुछ रोमांचित कर देने वाला सुन रही थी !!! गाँव मे अब वही परिवार थे जो आर्थिक रूप से कमजोर थे !!! वर्ष 2007 से 17 तक इन दस सालों में हज़ारो गाँव शहरों और कस्बो में सेटल हो चुके थे !!! चारो तरफ खेत बंजर थे ...और गाँव के नजदीकी पुराने मकानों में जंगली जानवरों का आशियाना था !! जब गाँव मे अपनी एक पुरानी सहेली को मिली ,जिसका पति गाँव मे ही ध्याडी मजदूरी करता था.. तो उसने भरतु की ब्वारी से कहा ...यार दीदी...देहरादून में हमारे लिए भी एक सस्ता मस्ता जमीन का टुकड़ा देख ले...मेरे पास कुछ पुराने गहने हैं ...चाहे वही बेचने पड़े...!! क्योंकि हमारे बच्चो का भविष्य गांव में खत्म हो रहा है ....पांचवी छठवी में पहुंच गए पर अभी तक abcd भी सिर्फ c तक ही सीख पाए हैं !!! स्कूल में दाल भात तो मिल रहा है पर अच्छी पढाई नही मिल रही ...हमारी जिंदगी तो गाँव मे रहकर खराब हो गयी ...पर हम नही चाहते कि हमारे बच्चो को भी यही दिन देखने पड़े !!! 
दो चार दिनों बाद ...भरतु की ब्वारी देहरादून वापस लौटते हुए ...बार बार उस देहरादून के देवत्ता को मन ही मन प्रणाम कर रही थी...कि जो उसने समय पर उनको देहरादून बुला दिया था !!!! जारी--- नवल खाली

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source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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