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भरतु की ब्वारी और निकाय चुनाव 1-- पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)


भरतु की ब्वारी सुबह सुबह फेसबुक और वट्सएप देख रही थी तो उसे पता चला कि निकाय चुनाव होने वाले हैं और उनका गाँव भी अब नगर क्षेत्र में शामिल हो गया है ।। और इत्तफाकन सीट भी महिला आरक्षित हो गयी है ।। तुरन्त ही भरतु को फोन किया -- बोली-- एजी तुमको पता है ,तुमारा गाँव भी अब नगर क्षेत्र में आ गया है और महिला सीट हो गयी है ।। मैं सोच रही थी कि ??? इस बार मैं भी वहाँ से चुनाव लड़ लूं ।।। सुद्धि लेंटर में घाम ताप के भी क्या करना ?? हो न हो किस्मत खुल जाए !!! 
भरतु बोला-- हाँ यार यू भी ठिक्क बोली तुन ।।। आजकल तो महिलाओं का जमाना है ।।। पर तब देहरादून घौर बार,बाल बच्चा?? क्या होलु ?? 
भरतु की ब्वारी--- द तुम भी न ... लाटे के लाटे ही रहोगे ।।। जीतने के बाद कौन से वहाँ डेली रहना पड़ता है !!! साल भर में  दो चार बार शक्ल दिखाने चले गए बस ।। और वैसे भी नेता का काम क्या होता?? दो चार शादियों में , मुड़न में , छल पूजाई में ,नामकरण में ,भागवत में चले गए , जहां वैसे भी हम लोग अपने खर्चे में जाते ही हैं , तब तो सरकारी गाड़ी और खर्चे में जाकर दो चार पैंसे तो बचेंगे ।।।। 
भरतु बोला---पर यार आजकल चुनाव में खर्च पर्च भी तो बोत हो जाएगा ।। कम से कम आजकल आठ दस लाख समझो ।। 
भरतु की ब्वारी बोली-- सब ह्वे जालु ।।। दो एफ डी मेरी हैं ही चार चार की बाकी देखेंगे तब ।। और हाँ तुम तो बहुत दानी आदमी हो ..... दारू बोतल बचा के रखना ,,....सुद्धि बांटते मत रहना ...चुनाव की असली खुराख तो वही है ...।।।। 
अब भरतु की ब्वारी ने इधर उधर मोबाइल चुंच्च्याने शुरू किए , सबसे पहले उसने गांव का जायजा लेने के लिए  गांव में स्थित अपनी खास जासूस सक्कु देवी  को फोन किया ।। क्योंकि सक्कु गांव की ऐसी डाकिया थी , जो बातें इधर उधर करने की महारथी थी , ये खास विधा वो अपनी सास से सीखी थी ।।।  इसलिए सबकी चहेती थी ।।
 भरतु की ब्वारी बोली-- यार भुल्ली इस बार मैं भी तुम लोगो के भरोशे अध्यक्ष का चुनाव लड़ रही हूं ।। 
सक्कु बोली-- पर यार दीदी मैंने सुना कि तुमारे देवर धरमु की ब्वारी ने भी इस बार सिंग पल्या रखे बल ।।। वो भी लड़ रही बल चुनाव ।।। 
भरतु की ब्वारी बोली --भुल्ली कोई बात नही ,अगर उसने सिंग पल्या रखे तो ,मैंने भी सींगों पर खूब तेल पाणी लगा रखा ।।। देखती हूँ मैं भी कैसे जीतती है वो ?? इंटर पास ही तो है वो और मैंने तो श्रीनगर से सेकिंड डिवीजन में बीए भी कर रखा और जम्बू कश्मीर से फर्स्ट क्लास में बीएड ।। 
सक्कु बोली-- ये तुम ही जाणु दीदी ।।। पर वो कह रही थी तो तब बोला मैने ।।। 
अब भरतु की ब्वारी ने भी फटाफट अपनी एफडी तोड़ दी और भरतु भी इमरजेंसी में छुट्टी लेके देहरादून आ गया ,बच्चो के पास उनकी नानी को देहरादून बुला दिया और दोनो मियाँ बीबी ,गाँव की दिशा में चल पड़े ।।। गाँव के स्टेशन पर पहुंचते ही पहली बार भरतु की ब्वारी , बड़े बुजुर्गों के पैर छूने लगी और गाँव के बच्चो को पर्स से निकालकर टॉफी बांटने लगी ।।। 
कुछ देर बाद ,गाँव के लुंड मुंड जिनको पता था कि फौजी भाई आ रखा , वो भी उनके घर पहुंच गए !!! भरतु की ब्वारी के अंदर इतनी फुर्ती आ चुकी थी कि उसने फटाफट पकौड़ी बनानी शुरू कर दी और आंखों ही आंखों में भरतु को उनको पेग पिलाने का इशारा भी कर चुकी थी ।।। 
देर शाम तक  उसने अकेले ही सबके लिए खाने का इंतजाम भी कर दिया ।।। जब सब लुंड गुंड थोड़ा शुरुर में आ गए तो भरतु की ब्वारी ने चुनाव की बात भी छेड़ दी .... फिर तो क्या था सबके सब उसी के गुणगान करने लगे ।।। छुंछुरु नामक लुंड बहुत ही चतुर था .... बोला--- भाभी जी आपके टक्कर में कोई नही है पूरे इलाके में --- एक तो आप इंटेलिजेंट हो , ऊपर से खूबसूरत भी ,आपको कौन वोट नही देगा ।।। चुनाव आप हमारे ऊपर छोड़ दो ।। फिर लुंड गुंड वापस जाते हुए , भरतु की ब्वारी जिंदाबाद के नारे भी लगाने लगे ।।। 
अगले दिन गाँव की महिलाओं के लिए शाम को चाउमीन और चाय का इंतजाम रखा गया ।।। बुजुर्ग महिलाएं तो चाउमीन की मुरीद थी , चाउमीन का परोसा तक घर लेकर गयी ।।।। 
कुलमिलाकर अभी तक का माहौल भरतु की ब्वारी के पक्ष में बनता दिखाई पड़ रहा था ।।।। अब आगे देखते हैं होता है क्या ????

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source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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