भरतु की ब्वारी के दोनो बच्चे जोकि देहरादून की प्रसिद्ध कॉन्वेंट स्कूल में अध्य्यनरत थे !!! ये देहरादून का सबसे अच्छा स्कूल माना जाता था !!! क्योंकि इसकी फीस सबसे ज्यादा थी !!! भरतु को भी गर्व था कि उसके बच्चे आज इस प्रसिद्ध स्कूल के स्टूडेंट हैं !!!
एक बार भरतु छुट्टी आया हुआ था ...एक दिल्ली के रिश्तेदार घर मे आये तो अमूमन सभी रिश्तेदारों की तरह सिप्मली पूछने लगे... बच्चो कौन सी क्लास में हो ?? आपका नाम क्या है ?? मम्मी का नाम क्या है ?? फादर का नाम क्या है ?? तो फादर का नाम बच्चो ने जोजफ बताया !!! जोकि उनकी स्कूल का फादर था !!!
बच्चो को जीसस पर नरसिंग भैरब और भोलेनाथ से ज्यादा विश्वास था क्योंकि उनके इस अल्प जीवन मे ऐसी घटना घटित हो चुकी थी !!!!! एक बार बच्चो का टूर जा रहा था तो रास्ते मे एक वीरान जंगल मे गाड़ी खराब हो गयी !!! बच्चो को फादर ने कहा कि बच्चो ....अपने भगवान को याद करो और उससे दुवा करो कि गाड़ी ठीक हो जाय ???!!! बच्चो ने अपने शिव,राम, विष्णु, बद्री, केदार ,नर्सिंग, भैरव, सभी को याद किया पर गाड़ी स्टार्ट नही हुई !!!! अब फादर ने कहा....हम सब मिलकर प्रभु यीशु की प्रार्थना करेंगे .... सब ने मिलकर प्रार्थना की तो ड्राइवर ने चाभी घुमाई और गाड़ी स्टार्ट हो गयी !!! बच्चो का प्रभु इशू पर विश्वास बढ़ गया और फादर का ये प्रायोजित कार्यक्रम सफल हो गया !!!
बच्चो ने इस घटना का जिक्र घर मे किया तो भरतु की ब्वारी को भी प्रभु यीशु के प्रति विश्वास जगा और अगले ही दिन बच्चो की डिमांड पर भोलेनाथ के त्रिशूल से बड़ी ...इशू की तस्वीर घर मे सजा ली !!!
आज भारतीय समाज कॉन्वेंट की तरफ आकर्षित हो रहा था !!जबकि कॉन्वेंट के शाब्दिक अर्थ और उसकी उतपत्ति के बारे में बहुत कम लोगों ने जाना होगा ?? कॉन्वेंट का ऑक्सफ़ोर्ड डिक्सनरी में अर्थ है ... भिक्षुणि मठ या अनाथ बच्चो का स्कूल ...!!! इसलिए इन स्कूलों का सर्वेसर्वा फादर ही होता है ...क्योंकि अनाथ बच्चो के पिता के रूप में फादर कार्य करता है !!!
कॉन्वेंट स्कूलों में न तो शिक्षा का अधिकार नियम काम करता है न सूचना अधिकार !! इन स्कूलों को भारत मे अल्पसंख्यक अनाथ बच्चो के लिए खोला गया था ...!!!!
इनको सरकार द्वारा विशेष छूट प्रदान की गई है ...सिम्पल सा सूत्र है ....आपके लिए खुली लूट है ...जो मर्जी करो प्रभु जी...आपको पूरी छूट है !!!!
खैर !!भरतु की ब्वारी भी इनसे बड़ी प्रभावित थी !!! सोचती थी ...हमारे यहाँ तो जोगी जगोटे भिक्षा मांगने आते हैं और कुछ न कुछ लेकर जाते है। एक इनका सफेद दाढ़ी बाल वाला जोगी टाइप सालभर में 25 दिसम्बर को आता है और बच्चो को चॉकलेट टॉफी देकर जाता है !!!
एक जोशी जी ने आई.सी.एस. ई. बोर्ड की मान्यता के लिए आवेदन किया तो बहुत एड़ी चोटी का जोर लगाया ..मान्यता नही मिल पाई ...अंत मे जोशी से जोजफ बन गए तो तुरंत काम हो गया !!!
भरतु और भरतु की ब्वारी भी स्टेटस सिंबल के तौर पर बच्चो को कॉन्वेंट में पढाकर खुश नजर आ रहे थे ...जबकि उनके बच्चे भारतीय सभ्यता और संस्कृति से दूर जा रहे थे ....गले मे अब एक क्रॉस लटका रहे थे और माँ भारती और देशप्रेम की भावना से दूर प्रभु ईशु के गुण गा रहे थे !!!! यदि किसी धर्म का विस्तार करना हो तो सबसे आसान तरीका है उसकी नवांकुरित पीढ़ी को उस धर्म की शिक्षा देना !!! ईशु कोई धर्म नही बल्कि एक कम्पनी है ...जिस ईस्ट इंडिया कम्पनी ने आपको वर्षो पहले लूटा ..उसका पदार्पण इन स्कूली संस्थाओ द्वारा हो चुका है !!! आप शौक से लूटने को तैयार हैं ...स्वयम मनन कीजिये !!!
कॉन्वेंट की एजुकेशन का परिणाम है कि हाल ही में एक बेटे की माँ दिल्ली घर के अंदर सड़कर कंकाल बन गयी और बेटा आराम से अमेरिका में जॉब करता रहा , भावनाशून्य कॉन्वेंट एजुकेशन के भायवह परिणामो से अभी भी आगाह हो जाइए !!!
मूझे इस धार्मिक भावना वाली पोस्ट से कल जेल भी हो सकती है पर मुझे कोई परवाह नही ..क्योंकि आप सब का प्रेम सदैव मेरे साथ है !!! अधिक से अधिक शयेर करें ताकि मुझे शीघ्र जेल हो और आपकी इस कॉन्वेंट से बेल हो !!!!
जारी--- नवल खाली !!!
नोट-- कहानी के पात्र, घटनाएं, बिंदु सभी काल्पनिक हैं !!! इसका उद्देश्य किसी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नही है !! यदि किसी से इसका ताल्लुक हो तो इसे संयोग मात्र ही माना जाएगा !!!!
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