ढेरों शादीयों की दावतें और चैत की चैतवाली में नृत्य करने के बाद भरतु की ब्वारी के सिर में गैस चढ़ी हुई थी...जिसको पहाडी में बोलते हैं ....अधकपल्या मुनारू !!!! बड़ी परेशान थी !!! एलो, होम्यो, आयुर्वेदिक सब दवाई खा ली थी पर कोई असर न था !!!!
तब किसी जानकार पंडत को दिखाया तो पता चला मायके के बणद्यो (वनदेवी) अभी तक नही पूजे हैं !!!! एडी- अछरी भी पूजनी थी ...पर घर गृहस्थी में टाइम ही न मिल पाया !!!!
अब भरतु भी छुट्टी आया हुआ था ...तो फटाफट तैयारियों में लग गए !!! दोनो ही भरतु की ब्वारी के मायके चले गए !!! बामण जी ने भी फटाफट समाग्री लिखवाई और पूछा ...खुद ही सामग्री ले आओगे ?? या मैं लाऊँ ?? फिर अंततः बामण जी ने ही सब इंतज़ाम करवाया !!!!
अब एक काली बाख़री और काला मुर्गा भी लाना था तो ...भरतु भाई बगल के गाँव मे बाख़री के बाबत पहुंचे तो....बाख़री की कीमत दस हज़ार में तय हुई !!!! बाख़री क्या थी...?? सगत बकरा था !!! फिर
भरतु के ससुर ने कहा कि जवाई जी ....दो चार बोतलों का भी इंतज़ाम करना पड़ेगा ....नही तो कौन आएगा ?? आपकी पुजाइ में ?? फिर भरतु को भी ठेके से ही सौ पचास रुपये ज्यादा देकर बोतलें लेनी पड़ी !!!
पूजाई भी शुरू हो गयी .... सबको पता था कि जवाई जी फौजी हैं तो काफी संख्या में लोग पूजाई में सम्लित हो गए !!! पूजाई अपने चरमबिन्दु पर थी .. बकरी के कान में पानी और चावल डालने की क्रिया प्रारम्भ हो चुकी थी ... पर मजाल जो बकरी टस से मस हो ...!!!! पण्डित जी भी परेशान हो गए ... भरतु भी चिंतित हो गया !!! आस पास काफी लोग घेरा बना कर खड़े थे ... पण्डित जी ने कहा कि आस पास भीड़ कम रखो ... इसी वजह से देवता बकरी नही ले रहा है !!! फिर घेरा कम हुआ तो ... अचानक बकरी गिरफ्त से छूट गयी ... और भाग गई ... !!! लोग उसके पीछे दौड़ने लगे ... भरतु भी दौड़ पड़ा ... पण्डित जी भी दौड़ पड़े ... पर बकरी पकड़ में न आ पाई ... और सबकी पकड़ से दूर हो गयी !!!
इधर रात हो गयी ...और पूजाई वाले घर नही लौटे तो भरतु की ब्वारी भी परेशान हो गयी ... भरतु को फोन मिलाया तो ... फोन नॉट रिचेबल पाया ...!!! खुद ही अपनी भाभी और दो चार महिलाओ के साथ ... पूजाई वाले स्थान पर पहुंची तो पता चला कि....बाख़री ही भाग गई ...!! तब तक पण्डित जी ...भरतु और अन्य लोग भी पहुंच गए थे !!! अचानक भरतु की ब्वारी पे देवता अवतरित हुआ और .... उसने कहा कि..... अब मेरी पूजाई बिना बलि के होगी ... !!! मुझे खून नही ...दूध चाहिए ..... अब इस स्थान पर मीट नही खीर बनेगी ....!!! और पण्डित जी से वचन लिया कि ... अब छल पूजाई में मीट की जगह खीर बनेगी !!! ये सुनकर मीट और सूरा के शौकीन लोगों ने ख़ुसूरपुसूर शुरू कर दी !!! सभी इस नए नियम के खिलाप हो गए !!! सब घर को वापस लौट गए और बातें बनाने लगे कि....बाख़री का भागना तो अपशगुन हो गया !!!! पर अगले ही एक महीने बाद भरतु का सूबेदार रेंक पे प्रमोशन हो गया !!! भरतु की ब्वारी भी खुश हो गयी और पल्टन बाजार में खूब शॉपिंग करने लगी !!!!
जारी-- नवलखाली
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source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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