भरतु की ब्वारी सर्दियों की छुट्टियां पहाड़ों में काटकर हाल फिलाल देरादून राजावाला आ चुकी है !!! अब रूम हीटर खोलकर लमलेट होकर थकान मिटा रही है !!! सोच रही थी ...गाँव में दो चार दिन तो ठीक है पर हमेशा रहना बड़ा मुश्कल काम है !!! पर कुलमिलाकर सोचती थी कि......
वा क्या आनन्द था गाँव में छुट्टियों का , आग के चूल्हे में कोदे की रवट्टी, घी की डली, गोत का साग, और वो सरसरी आग !!!! दिन में कभी घाम तपाई...कभी स्वेटर बुनाई...और फिर थाली भर भर के खटाई.....शाम को डमडमा चाय का गिलास.....रव्टने और अरसे की मिठाई..!!!! रात को गवल्थया , बाडी , हलुवा !!!! आहा... हे म्येरी मजा ...!! भरतु की ब्वारी को देहरादून में बैठे गाँव की बड़ी याद आ रही थी !!! 15 दिन की छुट्टियों में 5 दिन ससुराल में काटे और बाकी दिन मायके में !!! ससुराल में तो परेशान हो जाती थी ... सास का हमेशा फूला हुआ गिच्चा ... और ससुर जी की कुल चाय की इच्छा !!!! मायके में तो सभी की तरह मजे से ही रहती थी !!!! पर भाई की बहू आने के बाद ....भरतु की ब्वारी को थोड़ी बहुत झिझक जरूर होती थी !!!! भाई की बहू ने भी घुस्याट गाड़ (निकाल) रखा था कि ..... देरादून में मकान बनाओ ...हलांकि इसी शर्त पर उसने भरतु की ब्वारी के भाई से शादी रचाई थी ....उस समय तो भरतु की ब्वारी ने भी चौड़े में कह दिया था कि... साल छह महीने में बना देंगे ...क्योंकि भाई सतमंगल्या था ...और बड़ी मुश्किल से ये लड़की मिली थी !!!
अब भरतु की ब्वारी भी नही चाहती थी कि ...भाई की ब्वारी ...देहरादून बसे...!!! क्योंकि सोचती थी कि...फिर मेरे माँ बाप गाँव मे ही छूट जाएंगे ....उनकी देखरेख कौन करेगा ??? इसी वजह से भरतु की ब्वारी ने ये मामला लटका रखा था !!! भाई की ब्वारी भी बोत चतुर थी ....उसने भी जल्द गाँव से निकलने की प्लानिंग बना ली थी !!! वो भरतु की ब्वारी को मन ही मन कहती थी कि.... तू ठगणी ठग बल...अर मैं जात्यो ठग !!!
इसलिए उसने भी घुस्याट के बल पर चुपचाप रानीपोखरी में जमीन ले ली थी !!! अब जल्द वो भी गाँव से निकलने की तैयारी में थी !!!!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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