भरतु की ब्वारी के बच्चों के पेपर समाप्त हो चुके थे , पास होने का पूरा भरोषा था ...एक तो चार चार ट्यूशन और दूसरा अपना इष्ट देव !!! छुट्टियों में राजावाला देहरादून से गाँव आना मजबूरी भी थी ... .!! दुनियाभर का तामझाम हो जाता था !! सर में पल्लू रखो... सूट की जगह साड़ी पहनो , जोर से मत हंसों , दिनभर चाय बनाओ ... , लास्ट में खाना खाओ, कई झमेले थे गाँव में !!!
दो दिन पहले ही टाटा सूमो वाले बल्ली को बीच की चार सीट बुक करने के लिए बोल दिया था
!!!
बच्चों को भी गाँव मे रहने के तौर तरीके अच्छी तरह रटा दिए थे !!! नमस्ते,प्रणाम की जगह हेलो ,हाय, और जितनी अंग्रेजी आती थी ...उससे ज्यादा अंग्रेजी फूंकने और पहाड़ी शब्दों को न बोलने की उनको नसीहत दे डाली थी !!!
अब पहाड़ की सर्पीली सड़कों पर सूमो दौड़ने लगी !! भरतु की ब्वारी भी खिड़की वाली सीट पर ,,,रूमाल मुँह पर रखे गाँव की दिशा में बढ़ रही थी !!!
अब गाँव मे पहुँच चुकी थी ...!!! गाँव मे सास ससुर ही थे , बेचारे बूढ़े ही थे तो घर में ज्यादा साफ सफाई भी नही रख पाते थे ... !!! पहुंचते ही भरतु की ब्वारी नाक मुँह सिकोड़ने लगी ..!! और तुरन्त अपनी माँ को फोन मिलाकर गाँव की गतिविधियों से अवगत कराने लगी !!! माँ ने भी कुछ गुरु मंत्र दे दिए थे ...जिनका वो अक्षरश पालन करती थी !!!
ससुर जी को दमा था , इसलिए हर दो चार मिनट में जिलारा (स्वाब) (खँकरा) .. निकालता था !! जिससे भरतु की ब्वारी को बहुत चिढ़ थी ... ..इधर जैसे ही भरतु की ब्वारी ... रोटी या भात खाने लगती ...उधर से ससुर जी के ख़ंकरा थूकने की आवाज आती ...अब थूके या घूटे ?? कुछ समझ नही आता ??? पर इसका भी नायाब तरीका उसने ढूंढ लिया था ...अब वो हेड फोन में ...तेज गाने लगाकर ही खाना खाती थी !!!
बच्चे गाँव के बच्चों के साथ खेल रहे थे तो किसी गाँव के बच्चे ने गोबर का थोबका ... उसके बच्चों के ऊपर दे मारा !!! इत्ती सी बात पर भरतु के बच्चे ...रोने लगे और शिकायत लेकर घर पहुंच गए ...!!! बस इसी बात पर गाँव मे भरतु की ब्वारी ने महाभारत खड़ा कर दिया !!! बात गोबर से घात अहंकार पर जा पहुंची !!!! भरतु की ब्वारी गाँव वालों को सुनाने लगी कि ... तुम गाँव के गंवार के गंवार ही रहोगे !!!!
अभी भरतु की ब्वारी को छुट्टियों में आये दो तीन दिन ही हुए थे ... अभी से गांव में महाभारत शुरू हो गया था !!! वो तो भला हो ... उन दो चार अन्य देशी ब्वारियों का जो धीरे धीरे छुट्टियों में गाँव पहुंच रही थी ....चलो उनके साथ ...बैठकर दो चार बातें ढंग की तो हो पायेगी !!! गाँव मे परदेशी लोगों के आने से जित्तू काका ने भी चाय पानी की दुकान में चोमिन मोमो बनाने शुरू कर दिए थे ...कुलमिलाकर चाहे कुछ भी हो ...दो चार दिन ही सही ...बाहर बसे लोगों के गाँव मे आने से रौनक तो बढ़ ही जाती है !!!!
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