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भरतु की ब्वारी-- पार्ट-35-पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)


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भरतु की ब्वारी --पार्ट--35--जारी-नवल खाली


भरतु की ब्वारी को रुक रुक कर उल्टियाँ हो रही थी !!! जी मिचलाता जाता था  !!!! बैचेनी भी बढ़ रही थी !!!  न न वैसा कुछ भी नही ,जैसा सोच रहे हो !!! भरतु तो अब छुट्टी आने वाला था !!! 
मुहल्ले के फेमस डॉक्टर बंगाली को भी दिखाया !!! फोन पर अपनी माँ से लगातार सलाह भी ले रही थी  !!! पर असर कुछ खास न था !!! जब सारे दरवाजे बंद नजर आए तो अपने खास पंडित सिम्वाल जी के दरवाजे की तरफ बढ़ी !!! डाकिनी शाकिनी विद्या के धुरंदर पुरोधा, सिम्वाल जी ने तुरन्त दाल चावल के दानों के बीच से उस बीमारी को पकड़ लिया था !!!  बोले --  है तो ये ससुराल का ही !!! फिर भरतु की ब्वारी बोल पड़ी .....पंडित जी ..आजतक तो हमने कभी किसी का बुरा नही किया ... उल्टा लोगों की मदद ही कि होगी !!!  सिम्वाल जी बोले-- वो तो ठीक है पर सब पुराने लोगो का करा धरा होता है ....और फिर सिम्वाल जी जम्हाई पर जम्हाई लेने लगे ... बोले .... ये कोई ओति
  ( निसंतान) औरत थी परिवार में , जिसकी जमीन तुम लोगों के पास है !!! वही परेशान कर रही है !!! पर घबराओ मत ...हर मर्ज की दवा , हमारे पास मौजूद है !!!!  फिलहाल उसके नाम का उचाणा (द टोकन मनी फ़ॉर पूजा ) रख दो  !!! फिर एक बढ़िया सा उचाणा बनाकर भरतु की ब्वारी ने ,पूजा के स्थान में लाफिंग बुद्धा की मूर्ति के पीछे रख दिया !!!!

हालांकि पिछली बार गलती से झटका मटन शॉप की कुत्ते की शिकार खाने  वाला राज उसने दिल मे ही दबा के रखा  !!!  पड़ोसी महिलाएं जब चर्चा करती कि आजकल कैसे ये मटन वाले कुत्ते की मिक्स की गई शिकार बेच रहे हैं ....तो तपाक से बोल पड़ती.... छि: कैसे खाते होंगे ...लोग ...इन बेजुबानों की मीट ??  हम लोग तो छूते भी नही !!! ये भी फौज में जरूर हैं पर न मीट खाते हैं  ...न शराब छूते हैं ...  !!! कभी कभार दोस्तों के साथ थोड़ा बहुत बियर तो चल जाती है !!!! तभी भरतु की ब्वारी की पड़ोसन गुसाँई जी की ब्वारी बोल पड़ी .... अरे दीदी ...जब तुम्हारा ये छोटा वाला पैदा हुआ था ...उस समय तो खूब खाती थी ....!!!!  भरतु की ब्वारी बोली-- अरे भुल्ली ...वो तो उस समय, मैं खाली सूप सूप ही पीती थी !!! डॉक्टर ने बोला था !!! वो दिन है आज का दिन है ....राम राम !!!!  गुसाँई जी की ब्वारी भी खूब तेज थी ....कहने लगी ...अभी परसों ही तुम्हारे घर से खूब सीटियाँ भी आ रही थी , और शिकार की बास भी ??? भरतु की ब्वारी तो महातेज थी ....बोली वो तो हर्सिल की राजमा थी...और हम चक्की वाले मसाले खाते हैं ...उन्ही की खुशबू रही होगी !!! फिर गुसाँई जी की ब्वारी पर कमेंट करने लगी .... तो भुल्ली क्या तुम दिन भर हमारी ही सिटी सुनती रहती हो ?? कहीं इस चक्कर मे कभी तुम्हारी ही सीटी न बज जाय !!! फिर दोनों अनायास बनावटी हँसी हँसने लगे !!!! 
खैर अब  !! उचाणा रखने के उपरांत भरतु की ब्वारी ने सीधे संपर्क साधा अपनी माँ से ....बोली कि इनके परिवार में कोई ओति बुढली (निसंतान बुढ़िया) थी ...उसी की वजह से अब परेशानी हो रही है !!! सिम्वाल जी ने फिलहाल रोकथाम तो कर दी है पर जल्दी पूजाई देनी पड़ेगी !!! तभी तो बच्चो के भी चार चार ट्यूशन होने पर भी कम नम्बर आ रहे हैं ...चंचल हो गए हैं !!! मेरे भी चेहरे पर झाइयाँ व मुहांसे हो रहे हैं ....ये भी कह रहे थे कि ... अक्सर पेट खराब रहता है !!! वो ओति बुढली हम सभी को कष्ट दे रही है !!! 
उचाणा रखने के बाद भरतु की ब्वारी पूरी तरह संतुष्ट थी !!! उल्टियाँ भी बंद हो गयी थी !! और उसी दिन एक अखबार से भी फोन आया कि ,आपने लक्की ड्रॉ के लिए जो कूपन काटकर भेजे थे , उनमे आपका एक ज्वेलरी सेट निकला है !!!  अब जल्द पूजाई के लिए भरतु भी छुट्टी आने की तैयारियों में लग गया था !!

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source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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