देहरादून राजावाला की धुन्द भरी शाम !!! कुछ बुजुर्ग पहाड़ी महिलाएं हाथों में जाँठी ( छड़ी) लेकर टहलते हुए....अपनी अपनी ब्वारियों की अच्छाइयां, बुराइयां करते करते धीरे धीरे घूम रही हैं !!! कुछ नौजवान कान में हेडफोन लगाकर मस्त हुए जा रहे हैं !!! कुछ कपल एक दूसरे में घुलनशील होने को आमादा हैं ...और टहलने का प्रयास मात्र कर रहे हैं !!! कुछ युवा सिगरेट के धुंवें के छल्ले बनाकर ,फिक्र को उड़ा रहे हैं !!!
कुछ लोग पार्क में बैठकर रामदेब का ब्रांडेड अनुलोम विलोम और भांति भांति का कपाल भांति करके, साँस लेने का प्रयास करते दिख रहे हैं !!! रामदेब ने इतना तो जरूर सिखाया कि साँस कैसे लेते हैं ??? ,वरना हमारे दादा परदादा तो अंट संट साँस लेते रहे और मात्र नब्बे ,पीचांनबे साल तक ही जिंदा रहे !!!
इधर भरतु की ब्वारी को कुछ दिनों से महसूस हो रहा था कि उसका वजन बढ़ रहा है !! दिन ब दिन थूलथूली हुई जा रही थी !! जीरो फिगर के मोह में दोनों टाइम घुमने भी जाने लगी थी !!! घर मे बार बार सावधान इंडिया देख देखकर ,दुनिया बड़ी जालिम नजर आने लगी थी !!! अगल बगल की सारी पड़ोसन भी चुगली चुगली खेलते खेलते बोर हो गयी थी !!! घर से बाहर निकलकर तो बातें करने के कई और सब्जेक्ट भी मिल जाते हैं !!!!
इसलिए शाम को पड़ोसी महिलाएं भी अब घूमने निकल जाती थी , और लौटते समय भुज्जी साग लेकर भी आ जाती थी !!! सब्जी वाला रामु इन महिलाओं को दूर से देखकर ही , परेशान हो उठता ...पर करता क्या ??? ग्राहक तो भगवान होता है !!!
ये सभी महिलाएं अक्सर उसके टमाटरों को पतोल पतोल कर ( बार बार हाथ लगाकर) उनको सड़ने के लिए विवश कर देती थी !!! लेडीज फिंगर भी बार बार इन लेडिजों के फिंगर लगने से मुरझा जाती थी !!! लौंकि के तो और बुरे हाल थे .. नाखून चुभा चुभा कर चेक करती थी कि जिनि है या कौंली ( सख्त या मुलायम) !!!!
फिर धनिया और मिर्च तो फ्री में देना मजबूरी हो जाती !!! कुछ महिलाएं तो धनिया मिर्च देने के बाद भी ... रामु को ये भी कहती ...मिर्च थोड़ा और डालियो भैय्या !!! और फिर उन मिर्चों से अपने पतिदेव के लिए अचार बनाती थी !!!! बेचारे के एक किलो अंगूर तो सिर्फ टेस्ट करने में ही निकल जाते थे ...!!! भरतु की ब्वारी भी भुज्जी साग लेने में देहरादून आकर धुरंदर बन गयी थी !!! बारगेनिंग करने में कोई भी भरतु की ब्वारी से नही जीत सकता था !!! ऐसे ही भुज्जी सॉग के पैसे बचा बचा कर ही उसने पोस्ट ऑफिस की आर.डी. भी शुरू कर दी थी !!!
घूमने से वजन कम तो नही हुआ पर भांति भांति के लोगों को देखकर मन तरोताजा हो जाता था !!! वजन तो दरअसल रात में बासी भात खाने से बढ़ रहा था !!! क्योंकि बासी भात खाने की आदत मायके से ही पड़ी थी ....जब तक बासी भात नही खाती .... तो छपछपि नही पड़ती थी !!!!
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source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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