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मेरे हिस्से का पहाड़- मधुली- पार्ट-4


मधुली की चार लड़कियों के बाद जुडवें बच्चे पैदा हुए ,एक लड़का और एक लड़की ।। सास और पति की मौत के बाद अब घर की पूरी जिम्मेवारी उसके कंधों पर आ गयी । सास का अंतिम संस्कार करने के भी पैंसे न थे , वो तो मधुली के हाथों में चांदी की धगुलियाँ थी ,उन्ही को बेचकर ,तेहरवीं तक का निभ गया था । 
मधुली की मुश्किलें बढ़ गयी थी ,छोटे बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर गाय,भैंस ,खेती पाती करनी पड़ रही थी । सबसे बड़ी बेटी आठ साल की थी ,उसी के भरोषे उन सबको एक कमरे में बंद करके ,उनको कोदे की रोटी व पानी रख देती थी और खेती बाड़ी के काम पर चली जाती थी । 
इसी बीच एक दिन दोपहर में मधुली जंगल मे घास काट रही थी कि अचानक गाँव के ही एक आदमी खिलाप सिंह ने उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी ।।  मधुली बहुत सीधी थी पर इस घटना से उसके अंदर एक शक्ति  अवतरित हो गयी ,उसने जोर से दरांती से उस आदमी पर वार किया , उसके बाजू से खून का फव्वारा निकल पड़ा , और वो डरकर भाग गया । गाँव मे उसने बताया कि लकड़ी काटते हुए चोट लग गयी । इस घटना के बाद वो मधुली के बारे में गाँव मे लोगो के कान भरने लगा कि मधुली तो डायन है ,बचपन मे अपनी माँ को फिर पति को और अब सास को भी खा गई । और मधुली के जुड़वा हुए लड़के और लड़की को ये कहकर अपशगुनी कहने लगा कि वो तो मूल में पैदा हुए हैं इसलिए अपनी दादी को भी खा गए ।। जिससे गाँव की ही कई औरतें मधुली के बारे में अंट संट कहने लगी व उसे अपशगुनी मानने लगी।।
खिलाप सिंह , अपने हाथ काटने का व बुरी नियत के काम पिपासा का बदला मधुली से तरह तरह से लेने लगा इस काम मे उसकी बीबी भी उसका साथ देने लगी वो कभी रात को तीन बजे मधुली की गौशाला जाकर उसकी गाय व भैंस का दूध निकाल देती तो कभी उसके खेतों में धान की पुलिया चुरा लेती । कभी अपने बेलों से मधुली के खेतों में उज्याड खिलाने लगती।।  तरह तरह से वो मधुली को परेशान करने लगी । अब मधुली न तो बच्चो को दूध दे पाती न ही ढंग से खाना । । बस किसी तरह से कंडाली की भुज्जी पर ही दिन काट रही थी । इधर खिलाप सिंह भी , देर देर रात को कभी मधुली की मकान के ऊपर पथ्थर फेंकता तो कभी   
गाँव की ओरतों को उसके खिलाफ उकसाता । 
मधुली की हिम्मत अब जवाब देने लगी थी , वो अपनी व अपनी बच्चों की किस्मत पर रोने लगी । एक दिन वो अपने सब बच्चों को लेकर अपने मायके चली गयी जोकि नजदीक ही था। मायके की स्थिति भी ठीक न थी , पिता बूढ़े हो गए थे । छह बच्चों को लेकर जब मायके गयी तो ,भाभी भी उसी को ताने देने लगी । मधुली परेशान हो उठी । मधुली के बूढ़े पिता ने मधुली को बुलाकर सलाह दी कि ...बेटी , चाहे कुछ भी है पर मायके में रहना किसी भी बेटी का अच्छा नही माना जाता । हिम्मत रख और वापस ससुराल चली जा ।
मधुली के लिए आगे की डगर और कठिन होती जा रही थी ।। छह छोटे बच्चो के साथ उसका ये जीवन संघर्ष एक नई दिशा की और जा रहा था ...और अगले ही दिन इसी संघर्ष में वो जा पहुंची एक ऐसी जगह..जहां परिंदा भी न रहता था । पढ़िए-- मधुली की अगली कड़ी में ।


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source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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