भरतु की ब्वारी के बच्चो का भी रिजल्ट आ चुका था , राजावाला के सेंट फर्राटा स्कूल में पढ़ते थे ,साथ ही तीन तीन ट्यूशन अलग से थे .... पर प्रशनटेज थी 56% !!! अब आज के जमाने मे ये भी कोई प्रशनटेज हुई भला !!! भरतु की ब्वारी पहाड़ों से बेसिकली इसीलिए देहरादून निकली थी कि... बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ेंगे, बढ़िया एजुकेशन मिलेगी !!! मुहल्ले में बड़ा चिल्ला चिल्ला कर सरकारी स्कूलों के मास्टरों को बुरा भला कहती थी ....
ह्म्म्म सरकारी मास्टरों का काम ही क्या है ?? सुद्धि सुद्धि तनखा ले रहे ?? सरकारी मैडमों को कोसते हुए कहती थी .... दिनभर फेसबुक ,वट्सएप में चिपकी रहती हैं ... न काम ...न धाम.... !!!! दरअसल भरतु की ब्वारी ने भी वर्षो पहले जम्बूद्वीप से बीएड किया था पर टीईटी न निकाल पाई !!! इसलिए उसके मन मे सरकारी मास्टरों के प्रति थोड़ी कुंठा भी थी !!!
बड़े रौब से कहती थी कि ...यूपी बोर्ड के टाइम पर मेरी भी good सेकिंड थी !!! अब बच्चो के 56% आने पर भी कह रही है ... थोड़ा चंचल हो गए न ये बच्चे .... नही तो ...फर्स्ट डिवीजन तो आ ही जाती !!! चलो पुण्ड फुक्का ...पास तो हो ही गए !!!
उधर मैरिड में पहले नम्बर पर आने वाले अधिकांश बच्चे पहाड़ों से ही थे !!! मायके से मां का फोन आया तो पता चला ...गाँव मे ही रहने वाले बीरू के लड़के का मैरिड में दूसरा नम्बर आया है ....इसपे भी कहने लगी ... अरे माँ पहाड़ों में तो बोत नकल होती है .... यहाँ देहरादून में तो बहुत सख्ताई है भई !!!! कुलमिलाकर भरतु की ब्वारी की एक आदत थी .... अपनी टांग ऊपर ही रखती थी !!!!
भरतु की ब्वारी बच्चों का कुछ ज्यादा ही खयाल रखती थी ...हर तीसरे दिन होर्लिक्स के डिब्बे खत्म हो जाते थे ...लाला रामदेब की पुरानी गाय के शुद्ध डालडा के डब्बे बच्चे सफाचट कर जाते थे !!! केंटीन से लाई हुई दर्जनों मैगी के पॉकेट , जैम के डब्बे, बस पूरा ध्यान खाने पीने में लगा था !!! बच्चों के लिए स्कूटी , हर दिन 100 रुपये जेब ख़र्चा !!!
भरतु बेचारा तो बॉर्डर पर बन्दूक ताने कमजोर हो रहा था ... बच्चो की खातिर एटीएम भी ब्वारी के पास ही रहता था !!! और ब्वारी भी बच्चो पर धक्कापेल खर्चा कर रही थी !!!!
उधर गाँव मे बीरू का लड़का जो मैरिड में दूसरे नम्बर पर आया था ... सुबह सुबह रात की बासी रोटी हरि भुज्जी और छाँस में खाकर स्कूल जाता ...और देर शाम को बासी भात खाने के लौटता ...फिर माँ के साथ ...पानी भरता, दाल कुट्ता , बाड़े सगोड़े में काम करता !! पढाई भी करता और घर का काम भी .... !!!
भरतु की ब्वारी को ये गर्व था कि उसके बच्चे पहाड़ी बच्चो से अंग्रेजी अच्छी बोल लेते हैं साथ ही उनके हिंदी बोलने में पहाड़ी लहजा नही आता !!!
अब उसे लग रहा था कि ... बच्चों की चंचलता की वजह से नम्बर कम आये हैं ...इसलिए सुबह सुबह ही ...अपने नामी गिरामी पंडित सिम्वाल जी के घर धागा मंत्राने चली गयी !!!! सिम्वाल जी भी घाग पंडत थे ... उन्होंने कहा ... सिर्फ धागे से नही होगा .... इसके लिए महामृत्युंजय जप करवाना पड़ेगा !!! 11 ब्राह्मण बैठेंगे !!! उसके बाद देखना बच्चे सफलता की सीढ़ियों पर दौड़ने लगेंगे !!!! खर्चा बताया 51 हजार !!!!
ना भी कैसे बोलती ?? बच्चो के भविष्य का सवाल था !!!
अब देखना होगा कि .....सिम्वाल जी के जप से बच्चों की चंचलता कितने प्रतिशत कम होती है !!!! जारी--नवल खाली
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