आजकल भरतु भी छुट्टी लेकर गाँव आ गया था !!! गाँव या छोटे कस्बों मे जब सिलेंडर का ट्रक आता है तो गैस भरने वालों में अपना सिलेंडर भरवाने की होड़ मच जाती है !!! ऐसे ही भरतु के गाँव मे भी जब ये खबर मिली कि सिलेंडर का ट्रक आ रखा है तो ....भरतु की माँ ने भी तीसरा खाली पड़ा सिलेंडर भरवाने को कहा .... भरतु ने भी सड़म सिलेंडर कंधे में उठाया और निकल पड़ा !!!
इस बीच भरतु की ब्वारी बरामदे में बैठी वट्सएप पर अपने दिल्ली करोलबाग वाले जीजू के हालचाल का जायजा ले रही थी... कि गर्मी कितनी है ?? खाना क्या खाया ?? काफल खाने आ जाओ !!! कभी टाइम मिले तो देहरादून राजावाला आना ...!!! बस ऐसे ही जीजा साली का संवाद चल रहा था......
तभी भरतु की ब्वारी ने देखा ....उनका पड़ोसी सन्तु जोकि कई सालों से कोचिंग करने के बाद रिटायर होकर घर में पिता की पेंशन का हिस्सेदार था वो ....हाथ में सोलह इंच का मोबाइल, रिबन का चश्मा, जीन्स ,शर्ट पहने आ रहा था ...और उसके पीछे पीछे एक नेपाली बहादुर सिलेंडर कंधे पर उठाए चल रहा था .... घर के आंगन में सिलेंडर पहुंचते ही जेब से पचास का पत्ता निकालकर सन्तु ने नेपाली बहादुर को दे दिया ....और फेसबूक में कभी बेरोजगारी , कभी स्वरोजगारी पर फेल सरकारों को कोसने लगा !!!
सन्तु ने वैसे कई प्रतियोगी परीक्षाओं का सामना भी किया था पर मूल्यांकन में प्वाइंट प्वाइंट नम्बर से बाहर हुआ ...इसका कोई प्रमाण तो नही था ....पर वो स्वयं ये दावा चार महानुभावों के मध्य अवश्य करता था ताकि उसकी बुद्धिमत्ता पर कोई भी प्रश्नचिन्ह खड़ा न हो !!!! अब घर मे उल्टा पत्तल ....सुल्टा नही करता था ... कुलमिलाकर सुद्धि... लैंडेरु जैसे घूमते रहता था !!!
इधर कुछ देर की मसक्कत के बाद भरतु कंधे में सिलेंडर भरकर ला ही रहा था ...कि ... बरामदे में बैठी ब्वारी तपाक से बोल पड़ी...... सच्ची भई ..... लोग वास्तव में सच ही कहते हैं .....तुम्हारा दिमाग भी वास्तव में घुटने में ही है .... !!!!!
खुद ही सिलेंडर बोक के ला रहे हो....??? म्येरी भी बेज्जती करवा के रखी है भई तुमने ....... किसी नेपाली को ही बोल देते ... बीस पचास उसी को दे देते ...... तुम भी खुद ही फुंदया बने हो...... लोग भी क्या सोच रहे होंगे ??
बगल पे सन्तु लोगो को देखो ... उनका सिलेंडर तो नेपाली लाता है !!! फिर तुनकते हुए बोली.... तुम लोग भी पता नही किस मिट्टी से बने हो ??? बीस पचास रुपये से जैसे तुम लोग कोई करोड़पति बन जाओगे !!!!
भरतु बेचारा ... हमेशा की तरह खामोश मुस्कराता रहा !!! ये भरतु की सबसे बड़ी क्वालिटी थी कि ... गुस्सेबाज नही था !!! भरतु को अपने गरीबी में काटे दिन अच्छी तरह याद थे ....जब वो रात में लेम्पू लेकर पढ़ता था .....टूटे फीते वाली चप्पलों में ही स्कूल जाता था .... गुलाबजामुन भी उसने पहली बार 8th में जाकर खाये थे , कच्छा भी पहली बार तब पहना जब ... भर्ती होने लैंसडाउन जाना था !!!
सिलेंडर वाले प्रकरण से भरतु की ब्वारी नाराज हो गयी ... उसके अंदर कम्पीटीशन की प्रबल भावना थी ... दिखावटीपन ज्यादा था !!! जबकि भरतु सरल ,सहज व सौम्य एक ठेठ पहाड़ी था !!!! पर ब्वारी खुद को पहाड़ी मानने को तैयार न थी !!!! भरतु एक कर्मयोगी फौजी जवान था ... जबकि ब्वारी सिलेंडर बोकने (लादने) जैसे करम को सन्तु की तरह ही.... शरम मानती थी... !!!
जारी--नवल खाली !!!!
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