भरतु की ब्वारी-- पार्ट--46-पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)

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भरतु की ब्वारी --पार्ट--46--जारी-नवल खाली


भरतु की ब्वारी हमेशा से ही स्लिम ट्रिम दिखना चाहती थी ... पर अपने चटोरेपन के कारण थोड़ी बेडौल सी होती जा रही थी !!! आजकल स्लिम ट्रिम होना ,खूबसूरती का पहला मानक हो गया है , ऐसा भी नही है कि मोटे लोग खूबसूरत नही होते पर फैशन की बयार है !!! 

भरतु की ब्वारी , सुबह उठकर गुनगुने पानी का सेवन करती और फिर अपने बैडरूम  में रामदेब का चैनल खोलकर खूब अनुलोम विलोम करती...जैसे जैसे बाबा करता ... वैसे वैसे करने की कोशिश करती !!! कभी कभी रामदेब की तरह ही एक आँख छोटी करती !!!!
घर मे पतंजलि का डालडा रूपी घी का ही तड़का लगाती, पतंजलि का ही चैंसा भात बनाती !!! , बाबा जी की एक आदत है हमेशा एडवांस चलने की...इसलिए  जून में ही जुलाई की मैन्यूफैक्चरिंग डेट पड़े चूर्ण, च्वनप्राश, मुरब्बे , चावल, आटा ,दाल, तेल की खूब खेप निकालते हैं  !!!  लाला जी  जड़ी बूटी बोल बोलकर अपना खूब माल कटवा रहे थे ... ऊपर से स्वदेशी का ठप्पा भी लगा था  !!!! 
जिसके लिए पहाड़ी में एक कहावत भी है --- कख लगाई जड़ी बूटी ..... कख जेके फूटी ...!!!!??

कल ही भरतु की ब्वारी ,टीवी में रामदेब जैसा ही उछलने कूदने वाला योग करने की कोशिश कर रही थी ....कि अचानक इस उछल कूद में बेड से खुद ही उछल गयी और सीधे कपाल पर जा लगी .... आजतक जितनी भी कपालभांति की थी ...सब निकल गयी !!!!

भरतु की ब्वारी की पड़ोसी गुसाँई जी की ब्वारी ... न तो योग करती थी ...न वॉक पर जाती थी ... पर फिर भी स्लिम ट्रिम बनी रहती थी .... 38 साल की उम्र में भी 25 की लगती थी !!! गुसाँई जी की ब्वारी दिनभर कुछ न कुछ काम धंधे में लगी रहती थी ... जैसे आजकल छुट्टियों में पहाड़ गयी तो वहाँ से खूब तिमले ,सेमल, लिंगुडे,बेल, लेकर आई ... आजकल उनके अलग अलग तरह के अचार व जूस बनाने में लगी थी ... कभी पुराने कपड़ों से तकिए बनाती तो कभी प्लास्टिक की बोतलों में मिट्टी भरकर उनमे साग भुज्जी उगाती ..... आजतक उन्होंने कभी बाजार से सब्जी नही खरीदी !!!! 
अपने गाँव मे भी उसकी सबसे खूब पटती थी ... इसलिए जब गाँव जाती तो लोग खूब दाल, कोदे का आटा, पहाड़ी चांवल ,गय्या घी आदि देते थे ... वो भी जब देहरादून से पहाड़ जाती तो अपनी दगड्यो के लिए ...अच्छी सी धोती ,ब्लाउज ,गरम स्वेटर सन्डे मार्केट से खरीदकर ले जाती !!!! दिनभर काम मे लगे होने के कारण अपने फिक्स टाइम पर सो जाती और फिट टाइम पर उठ जाती ...उसका दिनभर योगा ही योगा चलता रहता !!!

इधर भरतु की ब्वारी को उसको देखकर मन ही मन जलन होती ... बोलती ... एक नम्बर की चुम्मड , कंजूस , मख्खीचूस हैं ये लोग ..एक अठन्नी तक खर्च नही करते !!!

गुसाँई जी की ब्वारी मशीन में कपड़े धोने की बजाय ...गाने गुनगुनाते गुनगुनाते हाथ से ही कपड़े धोती .... खाना बनाती तो बड़े प्यार से ... प्याज को तेल में फ्राई करते हुए , उसके भूरे होने तक , उसी को निहारती रहती ...फिर जब छोंका लगाती तो पूरा मोहल्ला उस खुशबू से महक उठता !!!!  पकौड़ियाँ तो भाई साब .... क्या बताएं ?? सरदार जी पकोड़े वाले उसके सामने फेल थे !!!!

भरतु की ब्वारी को तो चाउमीन, मोमो , थुप्पा , शिकार भात ,रामदेब की मैगी आदि पसन्द थे , सात बजे बिस्तर से खड़ी उठती, दिनभर सावधान इंडिया देखती , फेसबूक चलाती , कभी चेटिंग में व्यस्त रहती , पोछा लगाने के लिए भी देखा देखी में बाई लगाई हुई थी ..जैसा कि देहरादून में एक नया कल्चर बन गया है ....अच्छे भले स्वस्थ लोगों ने भी घर मे मैरी, बाई आदि कामवाली रखी हैं !!!! स्टेटस सिंबल का सवाल जो ठहरा !!!!इसलिए भरतु की ब्वारी बेडौल सी होती जा रही थी ...!!!! 
देहरादून में होने जा रहे योग महोत्सव में भरतु की ब्वारी को भी उसके सचिवालय स्थित जीजाजी ने न्यौता भेजा था ...और कहा था कि अपने साथ दो चारों को और ले आना ... आखिर 50 हजार लोगो को इकट्ठे करने का टारगेट जो मिला था ....भोजन की व्यवस्था , एक परस्तिपत्र, गिफ्ट आदि मिलने की भी सम्भावनाएं थी !!!! 

भरतु की ब्वारी ने जब गुसाँई जी की ब्वारी को योग में चलने के लिए बोला तो वो उस समय तिमले के अचार के लिए मसाला बना रही थी ....इसलिए उसने चलने के लिए मना कर दिया !!!! 
भरतु की ब्वारी ...वहाँ से बुदबुदाते हुए निकली ...... जब यही सब कुछ करना था तो ...देहरादून ही क्यों आयी होगी ?? वहीं गाँव मे ही रहती !!! गंवार कहीं के !!! इनको क्या पता ... योगा कैसे होगा ??? 

कुलमिलाकर आज से महज 50 वर्ष पूर्व गाँव की दादियों,नानियों को योगा के बारे कुछ भी पता नही था .... फिर भी उम्र के 90 पड़ाव तक पहुंचती थी ... उनके घर गृहस्थी ,काम धंधे ही उनके योगा थे ....आज योगा ...बाजारवाद का एक अंग बन गया है !!! आज भी गाँवो में दिनरात मेहनत करने वाली मातृ शक्ति ही योगा की सच्ची साधक हैं !!! आधे घण्टे के योगा कार्यक्रम उनके लिए हैं ...जिनके पास कोई शारीरिक काम नही है !!! दूसरा मन यदि स्वच्छ और निर्मल है तो योगा की भी आवश्यकता नही होती ... !!!!
जारी--नवल खाली---

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source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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