भरतु की ब्वारी- पार्ट-47-पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)


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भरतु की ब्वारी-- पार्ट--47--जारी-- नवल खाली

पिछले कुछ दिनों से भरतु की ब्वारी की तबियत थोड़ा खराब चल रही थी !!! बहुत दवाइयां भी खा चुकी थी पर बीमारी पकड़ में नही आ रही थी !!!  पेट दर्द ठीक होता तो  कमर दर्द शुरू,  कमर दर्द ठीक होता तो सर दर्द शुरू....!!! 

देहरादून में तो डॉक्टरों की कई दुकानें है , एक एक करके सभी को दिखाती जा रही थी ...जितने डॉक्टर ...उतनी बीमारी !!!! और तो और पैथोलॉजी लेब भी ऐसे ऐसे ... हर लेब की अलग अलग रिपोर्ट ?? कोई बीपी बताता... तो कोई यूरिक एसिड, कोई सुगर बताता तो कोई पथरी !!!!! 

अमूमन  जब लोग मरीज देखने जाते हैं तो मुरझाया हुआ चेहरा लेकर जाते हैं ...जिससे बेचारा मरीज और मुरझा जाता है !!! फिर लोग अपनी अपनी तरफ से सुझावों की झड़ी लगा देते हैं कि.... फलाँ आयुर्वेदिक डॉक्टर की दवाई से तो मेरी पौड़ी वाली बुवा की वर्षों पुरानी बीमारी एक हफ्ते में ही ठीक हो गयी ....कोई कहता कि... सबसे बढ़िया तो होम्योपैथीक इलाज है साब .... ठीक होने में टाइम जरूर लगता है ...पर बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है जैसे मेरी गोपेश्वर वाली ताई जी ठीक हुई !!! अब जितने मुँह ..उतनी बातें साब !!!

भरतु की ब्वारी भी कभी आयुर्वेदिक तो कभी होम्योपैथिक तो कभी एलोपैथीक दवाइयां खाती जा रही थी पर मन के एक कोने में ये बहम भी बैठ गया था कि ... पता नही ठीक हो भी पाऊंगी या नही ???

हालांकि खाने पीने में कोई कमी न आई थी ... दलिया में थोड़ा बहुत काजू ,किसमिस ,पिस्ता ,बादाम के दो चार दाने डालकर  सुबह शाम दो दो कटोरे पी ही जाती थी .... अनार, अंगूर, सेब , सभी चीजे थी पर उनको साबुत खाने की बजाय जूस बनाकर किसी तरह पी ही लेती थी !!

भरतु की सास भी देहरादून ,राजावाला पहुंच चुकी थी !!! सास ने आते ही बेटी के ऊपर एक उचाणा भी घुमा दिया था .... और अन्य सोर्स से बीमारी की जड़ पकड़ने की लगातार कोशिश कर रही थी ... कभी अपनी टेहरी वाली ननद को फोन करती ...तो कभी उत्तरकाशी वाली ...भुल्ली को ...!!! जिन जिन महिलाओं को वो इस फील्ड की महारथी समझती थी उनसे लगातार परामर्श ले रही थी !!! 

भरतु की ब्वारी के देहरादून स्थित धुरंधर पंडित सिम्वाल जी भी आजकल पहाड़ों में एक पहाड़ी मूल के विदेशी परिवार की  पूजा में पहाड़ों में जा रखे थे .....बताते हैं कि....जिस परिवार की पूजा के लिए सिम्वाल जी जा रखे थे... वो परिवार दुबई में रहता है ...और कई सालों से अपने गाँव नही आया था ....उनके नर्सिंग भैरों की त्रिशूल पर भी जंग लग चुका... देवता का थान भी खंडहर हो चुका था .... नर्सिंग भैरों की छाती पर मूसे कूदा फांदी करते थे ....जिससे भैरों देवता उनसे शायद रुष्ट हो गए ...और दुबई स्थित उनके परिवार के सदस्य कभी बीमार रहने लगे तो कभी ...बिजनिस में घाटा होने लगा ...!!! लास्ट में किसी जानकार ने उन्हें गाँव जाकर पूजाई देने की सलाह दी !!!

इधर भरतु की ब्वारी दिन ब दिन चिड़चिड़ी होती जा रही थी .... बात बात पर गुस्सा करना, बच्चो को थपड़ियाना , बुदबुदाते हुए अच्छी वाली गालियाँ देना उसका शगल बन गया था !!! पर  थोड़ा ठीक तब महसूस होता ...जब किसी चुगली प्रतियोगिता में हिस्सा लेती ...कुछ देर के लिए ठीक ठाक महसूस करत...... या कभी फेसबूक पर बीमार होने की पोस्ट करती तो ...उसपे आये लाइको को लाइक करती और उस पर लिखे कमेंट पढ़कर थोड़ा सकूँ मिलता !!!

ऐसा होते करते कई दिन निकल गए पर मेंटली अस्वस्थ ही बनीं रही ...हजारों रुपये दवाई और इलाज में ही ठुक गए ... !!!! 

एक दिन शनिवार की सुबह ..... एक बाबा उनके दरवाजे पर आया ...तो भरतु की सास ने उसको कुछ चावल, तेल व सिक्के दे दिए ...बाबा भी बड़ा मनोवैज्ञानिक था ...उनके चेहरे के भाव पढ़ चुका था .तो सीधे.... बोल पड़ा.... माता जी परेशानी तो बड़ी है ...पर समाधान बहुत छोटा ..!!! ये शब्द सुनकर ...भरतु की सास ने बाकी की कहानी खुद ही बाबा को सुना दी ... बाबा ने अपनी झोली से एक मुंडी निकाली और उस पर हाथ फेरा तो मुंडी से धुँवा निकलने लगा ....ये देखकर भरतु की सास हक़दक रह गयी ....बाबा बोला.... नजर लग गयी है बच्ची पर !!! फिर उसने थोड़ा सा राख दी और 1001 रुपये लेकर चलता बना !!!
अब घर मे चर्चा का विषय बन गया कि नजर किस की लगी होगी ?? माँ का शक था कि जरूर पड़ोसियों की नजर लगी होगी ?? 

इसी उठापटक के बीच अचानक भरतु की ब्वारी को गाँव से प्रधान जी का फोन आया कि ... रेलवे और ओलवेदर रॉड में तुम्हारी जमीन जा रही है ...मुआवजा लेने आ जाओ !!! प्रधान जी ने बताया कि ...तुम्हारा पूरा 40 लाख बन रहा है ...ऐसा सुनते ही चहकने लगी ...!! उसी शाम को अल्टन से लेकर पल्टन तक के सभी बाजारों में स्कूटी कुदाती रही ...!!! खूब मोमो और थुप्पा भी खाया....खुशी के मारे रात को शिकार भात भी बनाया !!!! और सुबह बल्ली भाई सूमो वाले की गाड़ी में मुआवजा लेने गाँव चली गयी !!!! रास्ते भर यही सोचती रही कि... सबसे पहले तो ...गले का वो वाला नैकलेस और बड़े वाले कानो के बनवाने हैं जो गुसाँई जी की ब्वारी के पास हैं ....फिर राजावाला में ...तिमंजिला चढ़ाना है ...!!! बाकी कुछ बच्चो के नाम की एफ.डी. और जब ये छुट्टी आएंगे तो एक बार गोवा में समुंदर किनारे घाम तापने जरूर जाना है !!!!
जारी-- नवल खाली----

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source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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