भरतु की ब्वारी- पार्ट--48-पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)


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भरतु की ब्वारी --पार्ट--48--जारी-नवल खाली

इधर कुछ दिनों से भरतु जब भी ब्वारी को फोन करता तो , फोन कुल वेटिंग में ही इंगेज मिलता !!! भरतु के मन के किसी कोने में क्षणिक बुरा ख्याल भी आता था .... क्योंकि आजकल समाज मे वो आये दिन ऐसे किस्से भी सुनता था !!! जब से ये इंटरनेट का जमाना आया ...कई स्कूल के जमाने के प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे को फेसबूक पर ढूंढने लगे हैं ...और पुनः चेटिंग व सेटिंग करने लगे हैं !!! जिससे कई गृहस्थियाँ उजड़ भी रही हैं ... कुछ दिन पहले ही एक महिला टीचर ने अपने पुराने प्रेमी के साथ मिलकर देहरादून में अपने पति की हत्या करवा दी !!! जोरू और जमीन से ही राड होने वाली कहावत आजकल चरितार्थ होती सिद्ध हो रही है !!!! पर भरतु को अपनी ब्वारी पर पूरा भरोसा था !!! 

दरअसल भरतु की ब्वारी को जब से ये जानकारी मिली कि उनकी जमीन रेलवे व ऑल्वेदर में जा रही है और 40 लाख का मुआवजा मिलने वाला है ... तब से उसकी नींद उड़ी हुई थी !!! पर इस मुआवजे में एक और नई राड फँस गयी थी ...पटवारी जी ने बताया कि आपका गोल खाता है और इसमें एक परिवार का हिस्सा और है ...तब से उसकी मुश्किलें और बढ़ गयी थी और वो इसी सेटिंग गेटिंग में लगी थी !!!
दरअसल जो दूसरा परिवार था , वो भरतु के (बौड़ा) ताऊ थे पर वो 50-60 साल पहले पंचकूला बस गए थे ...इतने सालों में कभी गाँव भी नही आये थे ... यहाँ तक कि जब बौड़ा जी खतम हुए ...वो पितृकुडी में भी उनको रखने नही आये !!! उनसे भरतु लोगों का कोई सम्पर्क नही था !!! पर गोल खाते में नाम तो उनका चल ही रहा था ... !!! 
भरतु की ब्वारी आजकल कभी पटवारी जी तो कभी प्रधान जी ... कभी वकील साब तो कभी किसी जानकार को लगातार फोन करती रहती कि कैसे इस गोल खाते को गोल किया जाय ??? 
जब पटवारी जी देहरादून आये तो ...भरतु की ब्वारी ने उनकी खूब आतिर खातिर भी की और एक सफेद लिफाफे में उनको दक्षिणा भी दी !!! बोली --- पटवारी जी ...अब तुम्ही पे भरोषा है ...कैसे भी करके ...बौड़ा जी का खाता गोल करवा दो ... और उनको पता भी क्या चलना ..??? जब आज तक इतने सालों में उनके बच्चे कभी गांव आये ही नही तो उनका इस जमीन पर क्या हक ??? मैं चाहे देहरादून में रहती हूँ पर वक्त नाबक्त गाँव तो जाती ही हूँ !!! आप कुछ भी करो पर ये 40 लाख दिलवा दो तुम्हारी भी चाय पानी हो जाएगी !!! 
पटवारी जी भी घाघ आदमी थे ...बोले देखता हूँ कुछ जुगाड़ बैठाता हूँ !!

भरतु से जब बात हुई तो बोली -- तुमारे बौड़ा ने भी जीना खाना हराम करवा रखा है ... उनका गाँव मे न कोई लोता न कोई धोता ?? बिना बात के बौड़ा ?? थोड़ा बहुत उस गाँव की बंजर जमीन का पैंसा आना था ...उस पे भी अब बौड़ा शनिचर बन के बैठ गया !!! 

इधर मुआवजे की प्रक्रिया तेजी से चलने लगी ... गाँव के हरि को भी 30 लाख रुपये मिल गए ...अब हरि की भी गाँव मे खूब चरा चरी होने लगी !!! हरि डेली सुबह शाम फुल्ल रहने लगा ..और उत्तराखंड सरकार की जय जयकार करने लगा .... अपने गाँव के बाजार में दारू पीकर बोलता था कि.... धन्य हो सरकार की जो ठेका भी नजदीक ही खुलवा दिया ... नही तो इस कलमसिंह सुबदार की फौजी कॉन्टेसा रम में ही काम चलाना पड़ता ... अब हरि रॉयल स्टेग से नीचे के पैग नही लगाता था !!! 
जब भरतु की ब्वारी को अपने गाँव स्थित जासूसों से सूचना मिलती कि....आज फलाने को 20 लाख मिल गए ... कल अलाने को 30 लाख मिल गए तो ... मन ही मन कुढ़ने लगती और पटवारी जी से मिन्नते करने लगती ....पटवारी जी बोलते पहले सरल वाले मामले निपटाने दो ...तुम्हारा मामला थोड़ा टफ है ...टाइम लगेगा !!!

इधर गाँव में एक दिन एक अधेड़ उम्र का आदमी आया ...भरतु लोगों का घर ढूंढते ढूंढते पहुँच गया !!!  भरतु के पिता के पास जा पहुंचा....बोला अंकल मैं... बबलू...!! पंचकूला से .....!!! भरतु के पिता ने अपनी धुँधली नजरों पर जोर डाला ...तो बोले ... ओन्दार (शक्ल सूरत) तो दीदा (भैजी) जैसी है ...और झट से अपने बड़े भाई के बेटे को पहचान लिया !!!  बबलू बोला-- पटवारी जी का फोन आया था कि....कुछ जमीन जा रही है रेलवे और ऑल्वेदर में ...मुआवजा लेने आ जाओ !!! 

इधर भरतु की ब्वारी के जासूसों ने घण्टे भर में ही ये खबर देहरादून भरतु की ब्वारी को पहुंचा दी कि ... पंचकूला से तुमारा देवर बबलू मुआवजा लेने आ गया है !!! फिर तो क्या था ..... भरतु की ब्वारी के सारे सपने पलभर में ही टूटने लगे ... गुस्सा सातवें सर्ग पर जा पहुंचा ....  पटवारी जी को फोन किया तो पटवारी जी ने भी फोन नही उठाया ......!! दरअसल पटवारी थपलियाल जी बहुत घाघ थे .... कागज पत्तर के मामले में एकदम फिट थे .... फंसने वाले काम कभी नही करते थे !!! अब कोई सुविधा शुल्क उपहार स्वरूप देता तो मना भी नही करते थे ....जानते थे भरतु और भरतु के बौड़ा की तरफ से भी कुछ न कुछ मिल ही जायेगा !!! इसलिए उन्होंने बबलू को खुद ही फोन करके बुलाया था !!! जब गोल खाते में ढंग से जमीन देखी गयी तो 40 लाख में से 30 लाख बबलू लोगो को मिलने थे और सिर्फ 10 लाख भरतु लोगों को !!!!

भरतु की ब्वारी भी गाँव के लिए रवाना हो गयी .... असली राड होनी तो अभी बाकी थी .....बबलू और भरतु की ब्वारी की पहली बार मुलाकात होने वाली थी !!! जमीन का असली झगड़ा अभी बाकी था...!!! कल तक जिस बंजर जमीन की तरफ कोई देखता भी नही था ...आज उस जमीन की एहमियत इतनी बढ़ गयी थी कि.....दो परिवारों में एक बड़ी दरार पड़ने जा रही थी ... ...
पढ़िए-- अगले पार्ट में--- जारी--नवल खाली---

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source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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