पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि भरतु लोगों को ऑल्वेदर रोड और रेलवे की जमीन के 40 लाख रुपये मिलने वाले थे पर गोल खाता होने से अचानक जमीन का एक और हिस्सेदार निकल गया जो वर्षों पहले पंचकूला शिफ्ट हो गए थे ...उनका लड़का बबलू भी मुआवजा लेने गाँव पहुँच चुका है ...और भरतु की ब्वारी भी देहरादून से गाँव रवाना हो चुकी है --- अब पढ़िए आगे---
भरतु की ब्वारी गाँव आते हुए रास्ते भर बबलू को कोस रही है क्योंकि वो 40 लाख में हिस्सेदार बन गया है ....क्या क्या सपने देखे थे भरतु की ब्वारी ने कि 40 लाख में गोवा घाम तापने जाएगी.... अपने लिए कानो के बड़े वाले झुमके बनाएगी .....पर कमबख्त इस बबलू ने पानी फेर दिया था !!!!
गाड़ी गाँव के स्टेशन पर रुकी तो घर थोड़ा सा पैदल था ....ज्यादा सामान लेकर गाँव आती नही थी ...पर गाँव से जाते वक्त खूब बड़ा बोझा लेकर देहरादून जरूर जाती थी !!! कंधे में पर्स लटका हुआ था ...एक हाथ में बड़ा सा मोबाइल और दूसरे हाथ में एक किलो आम और थोड़ा साग भुज्जी !!! धूप तेज थी तो तेज कदमों से आगे बढ़ ही रही थी कि अचानक दो काले , मोटे , डमडमकार सर्प फन फैलाकर खड़े थे .... भरतु की ब्वारी की तो कॉकरोचो से ही हवा संट हो जाती थी ...इन सर्पों को देखकर पसीने निकलने लगे ... आवाज भी हलक में ही रुक गयी .... बस कड़कड़ी (बेहोश) होने ही वाली थी कि .... एक लड़का आया और उसने डंडे से सर्पों को भगा दिया .... तब जाकर उसके साँस में साँस आयी ....!!! लड़के को thnku भैय्या बोलकर घर चली गयी !!!
घर भी गैर वक्त (शाम के 5 से 6 बजे) पर पहुँची थी ... इसलिए खुद ही मैगी बनाई और पेट पूजा करने लगी !!! फिर ससुर जी से उस बबलू की जानकारी लेने लगी ... बोली ...तुम ही बताओ ससुर जी ... सारी जिंदगी तुम लोगों ने इस जमीन के लिए कष्ट झेला ... और जब होने खाने के दिन आये तो ... बबलू भी हिस्सा लेने आ गया ?? ये तो अन्याय है !!!
ससुर जी बोले--- ब्वारी ...सब ठीक है पर .. बबलू भी अपना ही तो है ... पितृ देवताओं की इस जमीन पर उनका भी उतना ही हक है ...जितना हमारा !!! भरतु की ब्वारी समझ गयी .... इनके चक्कर मे रहेंगे तो ये अपनी जमीन भी उसी बबलू के नाम कर देंगे !!!!
इधर बबलू को गाँव आये हुए अभी दो तीन दिन ही हुए थे ...पर वो गाँव मे सबसे रम गया था ... थोड़ा बहुत पहाड़ी बोलना जानता था बाकी आजकल और भी सीख गया था ...!!! कल ही जब बूढ़ी शकुंतला काकी बड़ी मुश्किल से सिलेंडर लेकर आ रही थी तो बबलू ने फट से कंधे पर रखा और उसके घर पर छोड़ दिया .. इन दो तीन दिनों में वो सभी गाँव वालों से खूब घुल मिल गया था !!! बचन सिंह थोकदार की भैंस ब्याने को थी ... बड़ी ही प्रसव पीड़ा में थी ...बच्चा उल्टा फंस गया था.... तो बबलू ही रात को अपनी बुलट पर दूर कस्बे से डॉक्टर लेकर आया था !!!! बबलू दो चार दिन में ही छा गया था !!!!
अभी तक भरतु की ब्वारी और बबलू की आमने सामने मुलाकात नही हो पाई थी !!!! भरतु की ब्वारी भी ताक में थी ...कि कब बबलू मिले और ...कब वो अपना जलवा दिखाए ...पूरा प्लान बना चुकी थी कि....बबलू के साथ कैसा ट्रीट करना है !!!!
रात होने लगी पर बबलू नही आया !!!! करीब 9 बजे बबलू की आवाज घर के चौक में सुनाई दी ...ताऊ से बात कर रहा था ....
ताऊ जी वो ... हरि की तबियत अचानक खराब हो गयी थी......जब से उसको मुआवजा मिला है ...दिन रात शराब पीता रहता है .... अटेक आ गया था ... मैं उसको फिर नजदीकी कस्बे तक ले गया ...फिर एम्बुलेंस उसको लेकर देहरादून चली गयी .... ये गाँव वाले भी न ??....न जाने कब सुधरेंगे ?? हाथ में पैंसा आते ही दारूबाज बन जाते हैं !!! ये दारू ही बंद होनी चाहिए ....न जाने कितने परिवार इस दारू की वजह से अनाथ हो गए !!!!
अंदर किचन से भरतु की ब्वारी उसको सुन रही थी !!! ताऊ जी बोले ...जा बेटा... अपनी भाभी से खाना माँग ले और मिल भी ले .... !!!
बबलू ने बाहर से ही आवाज लगाई...... भाभी जी नमस्ते !!!
अंदर से कोई आवाज नही आई ???
बबलू बहार से ही बोला .... भाभी जी बहुत भूख भी लगी है ... चार गरमा गरम रोटी खिला दो .....!!!
अंदर भरतु की ब्वारी ... ऐसा सुनते ही जलभुन गयी और बेलन लेकर सीधे बहार आ गयी ... मुँह से कुछ उटपटांग निकलने ही वाला था .....कि बबलू को देखकर सहम गई ....!!!
बोली-- अरे तुम ...?? और भरतु की ब्वारी की आंखों में बबलू के लिए एक सम्मान का भाव तैरने लगा !!!!
बबलू ने दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम किया और बोला--- चलो शुक्र है ..आज मैंने अपनी भाभी को नागों के आगे नागिन डांस करने से बचा लिया ???
वैसे भाभी ...वो दोनो नाग...हमारी खूबसूरत भाभी को देखकर रुके हुए थे ... आपने उनको देखकर सिर्फ मुस्कराना था ....वो खुद ही चले जाते ......ऐसा कहते ही बबलू जोर जोर से ठहाके लगाने लगा ....और भरतु की ब्वारी भी खितखित करके हंसने लगी !!!!! जारी--नवल खाली !!!
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source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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