भरतु लोगों को रेलवे और ऑल्वेदर रोड के 40 लाख रुपये में से कुल 10 लाख ही मिल पाए थे , बाकी के 30 लाख रुपये पंचकूला में 60 सत्तर साल से रह रहे भरतु के ताऊ के लड़के बबलू को मिल चुके थे जिससे भरतु की ब्वारी काफी खिलस चुकी थी !!! 10 लाख रुपये भी भरतु के पिता को मिले थे ... उसमें से उन्होंने ढाई ढाई लाख की दो एफ.डी. भरतु के दोनों बच्चो के नाम कर दी थी व बाकी 5 लाख अपने बुढापे के लिए पेंशन प्लान में लगा दिए थे ...जिससे भरतु की ब्वारी की गोवा में घाम तापने की इच्छा अधूरी ही रह गयी थी !!!!
भरतु की ब्वारी भी काल खोपड़ी की थी ...उसने बबलू को देहरादून में जमीन का टुकड़ा लेने के लिए पटाना शुरू कर दिया था ...बबलू से कहने लगी---- देवर जी तुम्हे तो पता ही है आजकल देहरादून में जमीन होना मतलब ...अपनी सात पीढ़ियों का उद्धार करने जैसा है !!! आजकल पैंसा बैंक में रखने से कोई फायदा नही होता !!! 20 लाख की जमीन दो चार साल में ही आपको 40 लाख रुपये दे देगी .... वैसे भी राजावाला की तरफ आजकल जमीन सस्ती हो रखी है ....मैं आपको सस्ते में प्लाट दिलवा दूंगी !!!
बबलू ने भी सोचा भाभी जी भी ठीक ही बोल रही हैं .... तो बबलू ने 20 लाख रुपये जमीन के लिए दे दिए ....बोला तब तक आप सौदा करके रखना ... मैं फिर रिजिस्ट्री करने आ जाऊंगा !!!! भरतु की ब्वारी ने भी 20 लाख पर्स में रख दिये और खुशी खुशी देहरादून आ गयी !!!
भरतु की ब्वारी ने उन बीस लाख रुपये में से सबसे पहले अपना 4 लाख कमीशन अलग किया और उससे कानों के वो झुमके बनवा दिए जो गुसाँई जी की ब्वारी के पास थे !!!!!
बबलू ने अभी तक शादी भी नही की थी ....पंचकूला में ही अपना बिजनेस करता था पर gst के बाद उसके बाजे बजे हुए थे ....धंदा चौपट हो चुका था ... बिल्कुल बेरोजगार बैठा हुआ था कि अचानक अब ऑल्वेदर और रेलवे का मुआवजा मिलने से उसको थोड़ा राहत मिल गयी थी !!!!!
बबलू को पहाड़ों में आकर बड़ा सकूँ मिल रहा था .... सुबह उठते ही गाँव के धारे पर जाता ....ठंडे पानी से स्नान करता फिर गाँव के नर्सिंग भैरों के थान में मत्था टेकने जाता..... और लौटते हुए गाँव की शकुंतला काकी के घर से छाँस लाता और हरी भुज्जी ... भूटि हुई मिर्च के साथ कोदे की रोटी खाता !!!! उसका मन गाँव मे ही रमने लगा ...भरतु की माँ और पिता की भी खूब सेवा करता रहता था !!!!
बबलू का पंचकूला में सिर्फ एक पुश्तैनी मकान था ...!!!! न जाने उसके मन मे क्या आया ??? वो पंचकूला गया और मकान बेचकर वापस गाँव आ गया !!! उसने भरतु लोगो के बगल पर ही मकान बनाने का काम शुरू कर दिया ....!!!! कुछ ही समय बाद ...उसने एक नेपाली परिवार ढूंढ लिया और चार जर्सी गाय बांध दी ....साथ ही एक मछली का तालाब भी बना दिया !!!! उसने गाँव के हरि को भी अपने साथ काम पर रख लिया .... पता नही उसने हरि को ऐसी क्या जड़ी बूटी खिलाई कि हरि की दारू भी छूट गयी ....और मरियल सा हरि लाल टमाटर जैसा बन गया !!!!
गाँव के बल्ली को उसने नजदीकी कस्बे में दूध और मच्छी बेचने के काम पर लगा दिया !!!! अब बबलू के इस काम से गाँव वाले भी उससे काफी प्रभावित रहने लगे !!!! बबलू की अब शादी की बात भी चलने लगी थी !!! पर बबलू को ऐसी ब्वारी चाहिए थी ....जो देहरादून बसने के लिए घुस्याट (जिद) न करे ??? इसलिए शादी में थोड़ा रोडे उतपन्न हो रहे थे !!!!! क्या बबलू को ऐसी लड़की मिल पाएगी ??? ये तो अब आने वाला वक्त ही बताएगा !!!!!
पर बबलू अब गाँव की ताजी हवा में रिवर्स पलायन की एक नई इबारत लिख रहा था !!!!
बबलू सभी से कहता था कि ----
तेरे शहर में घुट-घुट के मरने से अच्छा !!!!!
मैं अपने गाँव की ताज़ी हवा में जीना चाहूँगा !!!!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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