भरतु की ब्वारी देहरादून में सस्ते प्लॉटों की खोज में यूपी और हिमाचल बॉर्डर तक पहुँच गयी थी ..!!! आजकल जब किसी को पूछो कि कहाँ रहते हो बल ??? तो इतराते हुए जवाब मिलेगा..... देहरादून ...!! अर जब जाकर देखोगे तो ...बोलोगे.... इससे नजदीक तो हमारे गाँव का छोल पूजाई का जंगल है ..!!!!
आजकल देहरादून में अतिक्रमण अभियान में भरतु की बुवा की देवरानी सरला का मकान भी आ गया था ... सालों पहले एक नेता से पट्टे पर जमीन ली थी ...नेता तब प्रोपर्टी डीलर था .!!! नेता जी का ये बड़ा एहसान था इसलिए जो भी चुनाव होता था ...जहाँ नेता जी बोलते थे वहीं वोट देते थे !!!
पर अब अतिक्रमण की वजह से उनका मकान तोड़ा जा रहा था ...वही मकान जिसको सरला ने दिन भर सिलाई बुनाई कढ़ाई करके ,खून पसीने की मेहनत से सुंदर बनाया था !!! अब जब भी नेता जी को मिलने जाते या फोन करते तो नेता जी न तो मिलते थे न फोन उठाते थे !!!
गाँव भी वो लोग वर्षों पहले छोड़ चुके थे और अब सड़क पर आ गए थे !!! ऐसे हजारों घर तोड़े जा रहे थे ...ये सब उन लोगों के घर थे जो गरीब तबके के थे !!!!
सरला के पति भी सालों पहले सही इलाज न मिलने के कारण असमय ही मर गए थे !!! अब सरला ने भरतु को फोन किया कि कुछ दिन मदद कर दो और अपने दोनों बच्चो के साथ भरतु की ब्वारी के घर आ गयी !!!
भरतु की ब्वारी बोली--- अरे दीदी ये नेता लोग भी न ...... अपने मतलब के लिए .... कुछ भी कर सकते हैं !!! पर वैसे कितने की ली थी उस समय आपने जमीन ??? सस्ती पड़ी होगी न ??
सरला बोली--- अरे भुल्ली सस्ती भी क्या थी ?? हम गरीबों के लिए तो एक दो लाख भी बहुत होते हैं !!!
भरतु की ब्वारी बोली --- दीदी मेरी मानो तो देवता या घात अहंकार लगा दो इन नेताओं पर जिन्होंने ये धोखा किया !!!
सरला बोली-- भुल्ली नेताओं पर घात अहंकार नही लगता है ...घात अहंकार भी गरीब आदमियों पर ही लगता है !!!
भरतु की ब्वारी बोली---
फिर तब ?? अब क्या करोगी दीदी ?? देहरादून में तो दो कमरों का किराया भी 6 सात हजार से कम नही है ...!!! खाना पीना लगाकर कम से कम 15 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं वो भी बिना खट्टी मीठी चीज खाये ??
सरला बड़ी परेशान हो उठी ... अब करे तो क्या करे ?? बच्चे अभी पढाई वाले ?? भरतु की ब्वारी खुद ही उसको राय देने लगी --- मेरे हिसाब से यहॉं से बढिया तो अपना गाँव ही है दीदी ..... परेशान होने से बढिया गाँव ही चले जाओ ...और आप तो बड़ी कर्मठ हो ...आराम से दो भैंस पालो ...खर्चा पर्चा चल ही जायेगा !!!! सरला ने भी मन ही मन सोचा कि...वक्त वक्त की बात है भरतु की ब्वारी... अभी जब तू हमारे घर आई थी छह महीने पहले ...तो कितनी तारीफ कर रही थी ...हमारे घर की ...कहीं त्येरी ही नजर न लग गयी हो हमारे घर को !!! खुद गाँव छोड़कर देहरादून आ गयी और उपदेश देखो तो ...!!!!
सरला जितनी सरल थी उतनी ही तरल भी ... बोली हाँ भुल्ली बस कुछ दिन ही रहेंगे यहाँ ...तब तक मैं कुछ व्यवस्था देखती हूँ ..!!! सरकारों की तरफ से हम जियें मरें उनको क्या फर्क पड़ता है .... !!! थोड़ा बहुत मुआवजा ही दे देते ....कर्ज कपाल करके कुछ और व्यवस्था तो देखते हम लोग ??
सरला इस बीच सभी रिश्तेदारों को फोन करके मदद मांगती रही और फिलहाल कुछ रकम इकठ्ठी हो गयी ...और सरला ने भरतु की ब्वारी के मोहल्ले में ही फिलहाल टू रूम सेट ले लिया !!! सरला अपने व्यवहार से जल्द ही पूरे मोहल्ले में छा गयी .... लोग उसकी तारीफों के पूल बांधने लगे !!! कोई काम ऐसा न था जिसे सरला न जानती हो ....जिंदगी की कठिन घड़ियों ने उसे बहुत सरल बना दिया था !!!
इधर भरतु की ब्वारी सोचती थी कि मैं तो इतने सालों से राजावाला में हूँ फिर भी कोई नही पूछता ?? और इसको देखो तो ...कल की राजावाला में आई हुई और ....सब बड़ी तरफदारी कर रहे हैं ...चॉपलूस कहीं की ....हमसे तो नही होती भई ...ऐसी मिठ्ठी गिच्चि !!!!
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