भरतु की ब्वारी बरसात और सावन के इस मास में देहरादून राजावाला में सीलाप (सीलन ) में दिन काट रही थी !!! कपड़े भी कई कई दिन तक नही सूखते थे , कभी पंखे के नीचे तो कभी हीटर की गर्मी में सुखाने का प्रयास करती !!! मौसम भी ऐसा था कि .. पंखा 120 की स्पीड पर खोलकर ...रजाई ओढ़कर .. पाँव रजाई से बहार निकालकर सो रही थी !!!
उधर पहाड़ों में आये दिन भूस्खलन और बजर पड़ने से कई गांवों को खतरा बना हुआ था , सफर करना बेहद मुश्किल था !!! अधिकतर विधानसभा के विधायक लोग आजकल विदेश यात्रा पर विकास को ढूंढने विदेशों में निकले थे .....!!! और पहाडी गांवों के लोग विकास को प्रधान जी द्वारा बनाये गए खंडिजा मार्ग , सी.सी. मार्गों व प्रतिक्षलयों के अंदर ढूंढ रहे थे !!
भरतु की ब्वारी के ससुर जी परसों पेंशन लेने नजदीकी मुख्यालय में जा रहे थे कि अचानक ऑल वेदर रोड पर एक बड़ा सा पेड़ उनकी गाड़ी के बोनट के ऊपर जा गिरा... वो तो ... शुक्र है नर्सिंग भगवान का जो वो बाल बाल बच गए थे !!!!हालांकि ये सब देखकर उनके बाल जरूर खड़े हो गए थे !!!
बोलने के लिए तो पहाड़ों में ऑल्वेदर मार्ग बन रहा था ... जिसको बड़े बड़े जेसीबी से खोदा जा रहा था पर सुरक्षा का कोई इंतजाम नही था .... हां इंतकाम का पूरा बंदोबस्त था !!!
भरतु की ब्वारी का पहाड़ी मुंगरी खाने का बड़ा मन करता पर राजावाला के सब्जी वाले अब्दुल की मुंगरी में वो स्वाद नही आता था जो पहाड़ी मुंगरी में था !! पता नही क्यूँ पर पहाडी मुंगरी का स्वाद उसे ही पता रहता है जिसने वो चखी हो !!!
भरतु की ब्वारी की ये ख्वाहिश उसकी माँ जरूर पूरी करती थी ... उसकी माँ उसको ये पहाड़ी मुंगरी किसी न किसी के हाथ राजावाला जरूर भिजवा देती थी !!!
अब धीरे धीरे भरतु की ब्वारी को फेसबूक और वट्सऐप से पहली बार पता चला कि पहाड़ी मुंगरी का अचार और मुरब्बा टाइप भी बनता है ...!!! और पहाड़ी मुंगरी में प्रोटीन ,विटामिन और कार्बोहाइड्रेट बोत ज्यादा होता है बल !!! मुंगरी खाने से महिलाओं के चेहरे के डार्क सर्किल भी कम हो जाते हैं बल ...!!! भरतु की ब्वारी को पहली बार पता चला कि पहाड़ी मुंगरी को सिलबट्टे में पीसकर यदि पुरानी गाय के घी के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाया जाए तो चेहरा खिल जाता है !!!
भरतु की ब्वारी ने सिलबट्टा नही रखा था क्योंकि उसको सिलबट्टे से उस दिन से नफरत थी ... जब शादी के तुरन्त बाद गाँव मे ससुर जी ने एक दिन उसको कहा था कि ... ब्वारी जरा सिलबट्टे का नमक पीस दो...बहुत दिनों से चखा नही .. ... !!!! भरतु की ब्वारी ने तपाक से जवाब दिया था .... ससुर जी ... पत्थर में नमक पीसना मुझे नही आता ... मिक्सी वाली मशीन में पीसना है तो बताओ ???
इसी बात पर बड़ा बबाल हो गया था ... भरतु भी बगल पर ही खड़ा था ... !!! उसने तुरन्त सिलबट्टे पर नमक पीसना शुरू कर दिया ... पर पास ही खड़ी माँ ने जब तपाक से कहा कि .... ब्वारी का गुलाम ... और मुँह बनाते हुए कहा कि .... आजतक तो भरतु तूने हमारे कहने पर एक उल्टा पत्तल सुल्टा नही किया और आज ब्वारी के आगे सिलबट्टे पर नमक पीस रहा है ???
ये सुनते ही भरतु ने भी आधा पीसा हुआ नमक छोड़ दिया और नाक पर गुस्से उठाकर ... सीधे अपने कमरे में चला गया ... पीछे पीछे भरतु की ब्वारी भी चल दी थी !!! बस उसके कुछ ही दिनों बाद उन्होनें गाँव छोड़ दिया था !!!
खैर !!! अब भरतु की ब्वारी राजावाला में आजकल मुंगरी का अचार बना रही है , आप लोगों को भी चाहिए तो सम्पर्क कीजिए !!!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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