यूँ तो छुमा बो का इतिहास पहाड़ी दन्थकथाओ में सदियों पुराना रहा है !!!!!पर अब आपको सुनाता हूँ इकीसवीं सदी की छुमा बो की कथा ........!!!! छुमा बो एक पहाड़ी गाँव मे रहती थी ... उसके आस पास के लोगो की ब्वारियाँ (बीबियाँ) देरादून, और नजदीकी कस्बों में शिफ्ट हो रही थी ...गाँव छोड़कर देहरादून व अन्य कस्बों में बसने की होड़ लगी थी !!! गाँव मे सरकारी स्कूल भी थे पर लोगों की अंग्रेजी भाषा और अच्छे स्कूल वाली मनोवृति वाले अंग्रेजी स्कूलों की कमी थी !!! छुमा बो भी अब धीरे धीरे पहाड़ों में बोर हो रही थी ...!!! एक बार वो किसी नजदीकी कस्बे में अपनी जिठानी के टू रूम सेट पर गयी तो...वहाँ की आबोहवा उसे अच्छी लगी ...जैसे... सुबह 10 बजे दाल भात खाकर लेंटर में घाम सेकना, फिर खटाई , बुनाई और इधर उधर की बातों से लेंटर को चुगलिस्तान में तब्दील करना !!! फिर टी.वी. सीरियल में बाकी समय व्यतीत करना !!! उसे ये शहरीपन वाली लाइफ काफी मजेदार लगी !!! फिर कुछ ही समय बाद छुमा बो पहाडी गाँव से दौड़कर नजदीकी कस्बे में आ गयी, अब वो एक्टिवा से भी ज्यादा एक्टिव हो गयी थी !!! और छुमा बो का हर काम भी इफेक्टिव हो गया है !!! सबको पछाड़कर छुमा बो ... आज तुरपिन बन गयी है !!!
छुमा बो के बाल बच्चे अभी थे नही ....पिछले साल ही नाग पंचमी पर शादी हुई थी !!!!! और शहर की आबो हवा में रच बस गयी थी !!! पति गाँव मे ही मनरेगा में ध्याडी मजूरी करता था !!!
शादी के एक साल के भीतर ही सास , देवरानी,जेठाणी, से जुदा हो गयी थी !!! फिर पति की किसान बही पर दो लाख का कृषि लून ले लिया , और फिर फटाफट एक एक्टिवा ले ली...!!!! अब डेली लेंटर में जाकर ,लेंटर को चुगलिस्तान बनाने लगी !!!!
पति के ऊपर धीरे धीरे बैंक की क़िस्त चढ़ने लगी ..बेचारे की टेंशन बढ़ने लगी ...!!! इधर छुमा बो बेफिक्र होकर स्कूटी दौड़ा रही थी !!! कुछ ही समय बाद बैंक से सी.आर. कटने वाली थी... कुडकी होने वाली थी !!! छुमा बो ने देखा देखी में गाँव छोड़कर ऐसा निर्णय ले लिया था , जो अब गले की घण्टी बन गया था !!!
कुछ ही समय बाद छुमा बो ने एक ऐसा काम कर दिया ,जिससे उसका जीवन बदल चुका था !!! छुमा बो ने कस्बे में ही एक छोटी सी दुकान ले ली ... उसमे चाय पकौड़ी तलने लगी !!! छुमा बो की चाय पकौड़ी इतनी फेमस हो गयी कि पति भी अब मनरेगा छोड़कर पकौड़ी तलने लगा !!!
अच्छी इनकम होने लगी !!!
अब छुमा बो खुद कहती है कि... सुद्धि लेंटर में घाम तापने से कुछ नही होता जी ... जब शहरों में आ ही गए हैं तो ... कुछ काम धाम भी हो जाय !!!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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