घन्नू की घनघोर दास्तां के पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा कि घनघोर बेरोजगारी से जूझ रहे घँनुसिंह को बबली नामक युवती से घनघोर प्रेम हो जाता है और बबली का मोबाइल लेट्रिन पॉट के मुख में समाने के बाद , घँनु सिंह अपनी मेहनत व लगन से लेट्रिन पॉट के मुर्गे के कंठ से मोबाइल को बाहर निकालने में सफल हो जाता है ..अब पढ़िए आगे----
मोबाइल पाकर बबली बेहद खुश हो जाती है ...!!! पर मोबाइल की स्क्रीन बुस्स हो जाती है !!! फिर मोबाइल पर वो डियो ,सेंट इत्यादि छिड़कते हैं और कुछ देर धूप में रखते हैं तो पुनः मोबाइल की बत्ती जल जाती है !!!!
घँनु सिंह को बड़ी मुश्किल से एक कम्पनी में नौकरी मिली थी पर ड्यूटी के पहले ही दिन इस मोबाइल कांड की वजह से ड्यूटी नही जा पाया और नौकरी भी छूट गयी थी!!!!!
घनघोर बेरोजगारी से जूझ रहे घँनु सिंह के लिए जीवन का ये बत्तीसवां पड़ाव बेहद ही मुश्किल भरा साबित हो रहा था !!! देहरादून में भरतु की ब्वारी के घर मे भी कब तक टिकता ?? भरतु की ब्वारी ने भी अब धीरे धीरे उसकी साग भुज्जी में तेज मिर्च डालनी शुरू कर दी थी ,जिससे घँनु सिंह को नित्य प्रातः बेहद ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता था !!!
दाढ़ी बनाने के लिए ब्लेड के भी लाले पड़ गए थे ...वो शुक्र था नए जमाने के लौण्डों का जिन्होंने लम्बी दाढ़ी का फैशन चलाकर उसकी इस मुश्किल का हल निकाल दिया था !!!
उन्ही दिनों घँनु सिंह ने समाचार पत्र में पढ़ा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा है कि ...पकौड़े बनाकर भी युवा रोजगार कर सकते हैं और सीवर लाइन के अंदर पाइप डालकर उसकी मीथेन गैस से ईंधन रूपी गैस भी जल सकती है जिससे सिलेंडर का खर्चा भी बच सकता है !!! मोदी जी की इस बात से वो बड़ा प्रभावित हुआ !!!
आखिरकार घँनु सिंह ने निर्णय लिया कि अब वो पकौड़े बनाकर स्वरोजगार करेगा , घँनु सिंह ने घण्टाघर के समीप ही एक कोने में जहाँ सीवर लाइन का पिट था वहाँ एक मेज के ऊपर पकौड़े बनाने की कोशिश करने लगा !!!! एक पाइप लेकर सीवर लाइन के छेद में डाला और गैस जलने का इंतजार करने लगा !!!! पूरा दिन निकल गया पर गैस नही जली !!!!! पढा लिखा तो था ही उसने अनुमान लगाया कि ....इसकी सबसे बड़ी वजह .... सीवर लाइन में मीथेन गैस नही बन रही है जिसका कारण ये हो सकता है कि देहरादून वाले चाउमीन, मोमो , थूप्पा ज्यादा खा रहे हैं ...जिसकी वजह से उनकी लेट्रिन भी शुद्ध नही रह गयी है, देहरादून के लोगों के भोजन में मिलावट होने के कारण , उनकी लेट्रिन भी मिलावटी हो गयी है !!! ,इसलिए शुद्ध मीथेन गैस नही बन पा रही है !!! अब देहरादून में शुद्ध लेट्रिन की तलाश करना उसके लिए भूसे के ढेर में सुई खोजने जैसा था !!!! और उसका ये प्रयोग भी फेल हो गया था !!!
घनघोर बेरोजगारी के बादल मंडराते जा रहे थे , जीन्स भी फट गई थी ,पर शुक्र था फैशनबाजो का जिनकी वजह से वो फ़टी जीन्स भी पहन पा रहा था !!!!!!
एक दिन घँनु सिंह को घण्टाघर के घण्टे के नीचे एक पर्स मिला , उसने इधर उधर देखा और चुपचाप उठाकर जीन्स की जेब मे ठूंस लिया !!! पर्स काफी मोटा लग रहा था , जिससे घँनु सिंह उसके अंदर रखे माल के बारे में कल्पना करते करते , प्रफुल्लित होता जा रहा था !!! पर चारों तरफ भीड़ भाड़ होने के कारण पर्स को चेक नही कर पा रहा था !!! उसे डर भी था कि कहीं पर्स का मालिक आस पास ही न घूम रहा हो !!! फिर कुछ दूर जाकर उसे मजबूरी में अंतिम जेब मे बचे हुए 10 रुपये खर्च करने पड़े और एक सुलभ शौचालय में घुस गया !!! क्योंकि इससे अकेली व प्राइवेट जगह कोई भी नही हो सकती थी !!!!
लेट्रिन के अंदर घुसते ही उसने झट्ट से पर्स निकाला ,उसकी धड़कने बढ़ रही थी .... चेहरे पर कुछ बड़ा माल मिलने के भाव आ रहे थे...!!!!
पर्स खोलते ही देखा तो काफी कागज भी थे ..कागज क्या थे ...बिजली ,पानी , हॉउस टेक्स , दवाइयों के कई महीनों पुराने बिल थे, जोकि लंबे समय से शायद जमा नही हुए थे !!!! पर्स के अंदर तक झाँक कर देखा तो , अंदर एक कोने में बबली जैसी एक लड़की की फोटो लगी थी .....गौर से देखा तो ....बबली जैसी क्या ....बबली ही थी ....बिल्कुल वैसे ही तिल उसके बाएं गाल पर था ...जैसे कि बबली के ....पूरा पर्स उल्टा करके उड़ेलने लगा तो पर्स के अंदर से दो चार कॉन्डोम के जंग लगे पैकेट पुराने पाँच सौ के नोट में लिपटे पड़े थे... पूरा पर्स खंगाल चुका था ..पर एक भी रुपया हाथ नही लगा था !!!
अब रुपया न मिलना उसे उतना नही खल रहा था जितना कि बबली की फोटो उस पर्स में मिलने से वो परेशान था !!! उसने पर्स को वापस जेब मे ठूंस दिया और बाहर निकल गया !!!
बेचारे घँनु के इस पर्स के चक्कर में जेब मे बचे हुए लास्ट 10 रुपये भी सुलभ शौचालय वाले को देने में ठुक गए थे !!!! हालांकि उसने सुलभ शौचालय वाले को सफाई देते हुए कहा था कि ....माँ कसम मैंने एक बूँद भी लेट्रिन नही की ....पर शौचालय वाला नही माना !!!
अब घँनु इसी उधेड़बुन में था कि उसकी बबली की फोटो उस अनजान पर्स के अंदर कैसे आयी ??? वो बबली की रूम की तरफ चक्कू मोहल्ले की दिशा में बदहवास सा आगे बढ़ता जा रहा था ....
.क्रमश !!!! पढ़िए अगले पार्ट में ...घन्नू की घनघोर दास्तां का एक और किस्सा !!!!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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