भरतु की ब्वारी को गाँव से अचानक सास का फोन आया कि उनके कुटुम्ब में ही कोई बुढ़िया थी , बेचारी बहुत भोग रही थी और आज चल बसी .. ।। बोली .. अभी हमसे उनकी * मुंड मुंडाई है , *पित्र फाड़े नही हो रखे ब्वारी तो आज रात को खाना मत खाना , *ब्यॉल(मृत्यु होने पर शोक प्रकट हेतु परिवार जनों द्वारा एक समय का खाना छोड़ना) पड़ेगी । और तेहरवीं तक हल्दी,तेल,प्याज, लहसुन आदि का भी सेवन मत करना ।। भरतु की ब्वारी भी हाँ में हाँ मिलाती रही । फोन भी ऐसे समय पर आया , जब वो आज रात को चिकन बनाने की योजना रच रही थी.... योजना क्या रचनी ? वो दिन में ही चिकन लेकर आ गयी थी और यूट्यूब पर आज चिकन लसब्सकार बनाना सीख रही थी कि अचानक सास का फोन आ गया ।।
प्लेटभर कर प्याज ,लहसून, टीमाटर , सब मिक्सी में पीसकर उसने शाम से ही रख दिये थे ।। वैसे भी सावन के महीने के बाद आज ही इस लोकप्रिय पव्थली का व्यंजन खाने का उसका मूड बना था ।। और मुर्गी भी वो तब लायी ,जब उसने कल एक सूट की बार्गेनिंग करके उसमें 200रुपये कम कराये थे ... ।
खैर , अब भरतु की ब्वारी सोच में पड़ गयी ,कि क्या किया जाय ? एक तो आज दिनभर भी उसके खाने का ढ़कचक ही रहा , सुबह से तीन चाय पी रखी थी बस, तब तक राजावाला महिला मंगल क्लब वालों का फोन आ गया था कि आज किसी किट्टी वाली कर्जदार महिला ने जहर खा लिया ,फिर वहाँ जाना पड़ा , फिर दिनभर वहीं रही , जिस महिला ने आत्महत्या की थी ,उसके ऊपर किट्टी वाली सूदखोर महिलाओं का काफी दवाब था , वैसे वो महिला ब्याज पर ब्याज देकर अपना मूलधन दे चुकी थी पर किट्टी के नियमों की ऐसी लिट्टी पिट्टी थी कि आज उस महिला की हमेशा के लिए ही सिट्टी पिट्टी बन्द हो गयी थी ।।
भरतु की ब्वारी वापसी में बड़े अच्छे मूड में थी क्योंकि जिस महिला ने किट्टी का कर्जा नही लौटाया था , उसका एक गुलबन्द और पुराने जमाने वाली बुलाक( नथुली) गिरवी थी , उस नथुली पर भरतु की ब्वारी शुरू से ही फिदा थी , अब उसकी मिलने की उम्मीद बन गयी थी , इसीलिए बड़े खुशी मन से वो चिकन लायी थी पर अब गाँव से सास का ये ब्यॉल छोडने का नया फरमान आ गया था ?? उधर से भरतु का भी फोन आ गया ...बोला- आज रात ब्यॉल भी छोड़नी पड़ेगी भई । भरतु की ब्वारी ने बहुत सोचा ,तोला और एकबार अपने देवतों के थान में गई ,और बोली- रजा मराज , माफ कर देना । कहीं ब्यॉल के चक्कर में मेरे पेट के मूसों की ही ब्यॉल न छूट जाए ।। पहले आत्मा ,फिर परमात्मा । बोलकर सीधे किचन में घुस गई और चिकन लसब्सकार बनाने लगी । बड़बड़ाते हुए बोली-- वैसे भी बुढ़िया थी , एक न एक दिन तो सबने जाना ही है , जिस जीभ के लिए इतना कर रहे हैं , उसको स्वाद तो चखाना ही है । और वैसे भी हमारे न खाने से कौन सा वो वापस आ जायेगी ? अब कौन मान रहा ये सब ? और फिर बीच बीच मे करछी से हथेली में चिकन लसब्सकार चखने लगी ।
रात को टीवी देखते देखते इतनी मगन हो गयी कि कब पौन किलो चिकन खत्म हुआ ?? पता ही न चला ? लास्ट में दो चार हड्डी के डंठल बचे तो , उनको भी चूसने लगी , मानो उस मुर्गी के अंतिम मैइट्रोकांड्रिया तक का स्वाद चखने को आतुर हो । जब पेट ठस्स हो गया तब एक बार सोने से पहले देवता को स्मरण करते हुए , माफी टाइप माँगने लगी -- बोली -- प्रभु हम तो अंजान इन्शान हैं बल , पापी तो ये पेट ठहरा ।
सुबह उठी तो रात को मुर्गी की कुछ बची खुची हड्डियाँ अपने घर के ,सबसे दुलारे , बच्चों के प्यारे टॉमी को दे दी ।। टॉमी था भी वैसे ही-- लूरबुर लूरबुर भरतु की ब्वारी के आगे पीछे घूमता था , बच्चों के साथ खेलता था । और सबसे बड़ी बात कि भरतु की ब्वारी के मायके से लाया हुआ कुत्ता था । इसकी तरफ उसका झुकाव ,कुछ ज्यादा ही था । जबकि एक कुत्ता इससे पहले ससुराल से भी लाये थे , पर उसको भरतु की ब्वारी ने जल्द ही स्कूटी में बैठाकर , पण्डितवाड़ी की तरफ छोड़ दिया था क्योंकि वो रात को बहुत भौंकता था और भरतु की ब्वारी की नींद खराब होती थी । कुत्ता भी क्या करता बेचारा ? उसके जीन में ही भोंकने वाला हार्मोन्स था , क्योंकि सुदूर पहाड़ों की डांडी कॉन्ठयूं का कुत्ता था , जबकि भरतु की ब्वारी के मायके वाला कुत्ता पड़ोसी चाइना का वंशज था ।
भरतु की ब्वारी द्वारा दी गयी बॉलर मुर्गे की हड्डियाँ टॉमी बड़े जद्दोजहद से चबा रहा था कि अचानक एक हड्डी का टुकड़ा उसकी सांस की नली में अटक गया , टॉमी कूँक्याने लगा , और एक दो कूँक्याट के बाद , वहीं पर चितपट्ट हो गया । भरतु की ब्वारी ने देखा तो टॉमी की सांस बाच सब बन्द हो गयी थी , हड़बड़ा उठी, दौड़कर पड़ोसियों को आवाज लगाई, धीरे धीरे पड़ोसियों का जमावड़ा लग गया ,टॉमी की अच्छाइयों, बुराइयों को लोग याद करने लगे । गुसाँई जी की ब्वारी बड़ी रुंवासी होकर बोली-- आज तक मैंने ऐसा डॉगी नही देखा भई... मुझे तो दूर से ही देखकर पूंछ हिलाने लगता था बेचारा.... और फिर भरतु की ब्वारी का ढांढस बंधाने लगी , बोली-- अरे दीदी , समय सबसे बड़ा बलवान है , जाने वाला तो चला गया , पर अब अपने आप को सम्भालो , तुम्हारे बच्चे भी तुम्हे देखकर और परेशान होंगे .. सम्भालो उनको । भरतु की ब्वारी भी सबको बताने लगी कि ... कल रात तो पूरी पांच रोटी खाई इसने, और कुछ दिनों से बड़ा नटखट भी हो गया था ... यरां बुलावा आ रहा होगा तब ।। भरतु की ब्वारी ने ये बात किसी को नही बताई कि बॉलर मुर्गे की हड्डी खाने से टॉमी की मौत हुई है , लोगों के आने से पहले ही उसने घटनास्थल से ये सारे सबूत मिटा दिए थे । क्योंकि अधिकांश पड़ोसी उनके गाँव के या सगे सम्बधी ही थे , उनको पता था कि इनके कुटुम्ब में कल ही एक डेथ हुई है ।
और फिर एक जोर की क्रंदन ध्वनि उसके के अधरों से स्फुटित होने लगी ...और फिर कुछ ही समय बाद टॉमी को विदा कर दिया । उसने भरतु और अपनी माँ लोगो को भी ये सूचना दे दी थी कि टॉमी अब नही रहा, उसकी किडनी फेल हो गयी थी, बाकी सब पड़ोसी लोगो को उसने बताया कि शायद हार्ट अटैक हो गया है ।
अब रात को टॉमी के लिए भरतु की ब्वारी ने ब्यॉल भी छोड़ दी थी , और भरतु को भी सख्त हिदायत दे दी थी कि रात को तुम भी कुछ मत खाना, टॉमी हमारे परिवार का सदस्य था । भरतु बेचारा, 50 किलो का असला लेकर बॉर्डर पर देश रक्षा के लिए ततपर था और लगातार दो दिन से भूखा परिवार के दोनों सदस्यों की आत्मा के लिए इस परम्परा का निर्वहन भी कर रहा था ।
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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