भरतु की ब्वारी का फर्स्ट व लास्ट नवरात्रे को फास्ट रहता था ।। कहती थी-- नौ के नौ दिन ब्रत रखना मेरे बस का नही भई .... वीकनेस आ जाती है ।। भरतु की ब्वारी ने सुबह से ही फास्ट गति से फास्ट की तैयारियां पूरी कर दी थी... आलू उबाल दिए थे, ड्राई फ्रूट भी दूध में डूबा दिए थे ।।।
अब ये प्रोग्राम था कि सर्दियाँ भी शुरू हो ही गयी थी तो ... पड़ोसियों के साथ कुछ देर घाम में गपशप हो जाय ।। अचानक दरवाजे पर घँटी बजी , दरवाजा खोला तो देखा -- ससुराल पक्ष से ..... कुटुम्ब के ही सरोजनी और उसका पति बालमसिंघ खड़ा था ।।।
देखते ही बोली-- अरे न फोन ...न फ़ान ।। कख बटी लगी आज घाम ?? आज सुबेर सुबेर यख??
दरअसल , बालमसिंघ रिश्ते में देवर था तो .. मजाकिया लहजे में बोली ।।
बालमसिंघ बोला --- भाभी जी , वो हम भी सोच रहे थे कि एक सौ विस्वा का टुकड़ा हम भी ले लेते हैं ,तब आये थे ।।।
हमे तो आपके पड़ोसियों से पता चला कि -- भरतु की ब्वारी लोगों का मकान है बल ये ।।। हम तो कल से आपके पड़ोसियों के ही घर मे रुके हैं ।।
भरतु की ब्वारी बोली-- किसके यहाँ थे तुम ?? गुसाँई गुरुजी के यहाँ ?
बालमसिंघ बोला-- हाँ भाभी जी ।। बोत भले मनखी हैं भई गुरुजी ।।
गाँव से यहॉ तक अपनी ही गाड़ी में भी लाये और प्लाट भी सस्ते में दिला दिया ।।। इतने पैंसे वाले हैं पर सिम्पुल आदमी हैं ..... जब से हमारे गाँव मे गुरुजी बनकर आये ...एक ही पेंट कमीज और वही लाल वाले सेंडिल में रहते हैं बेचारे ।।। व्यवहार में ऐसी मुलायमता है कि ... .......
बस ...इतना ही बोल पाया था बालमसिंघ कि भरतु की ब्वारी ने टोक दिया-- ।।
मुंह टेड़ा करते हुए बोली-- हुँ... मुलायमता हैं .....!!
उसी चिफली गिची की तो खा रहे हैं वो.... सुद्धि बनाया उन्होंने इतना बड़ा तिमंजिला मकान यहाँ ।।। तनख्वाह पर तो हाथ भी नही लगाते ।।। ब्वारी भी ऊपर से नौकरी वाली है ...।।। पता नि भई कहाँ ले जाएंगे इतना पैंसा ।।। वो दीदी भी दो सूटों में ही साल काट देती है ।।। और खाने का खर्चा भी क्या है उनका ?? चाय और ब्रेड में दिन काट रहे हैं ।। कई बार तो वो दीदी ... ठीक खाते टाइम आ जाती है यहाँ ...।। पहले तो बोलेगी कि... न न भुल्ली बोत गैस हो रही.. मेरा तो मन नही कर रहा खाने का ।।। जब थोडा दुबारा कहो तो बोलती है --- जरा चखने के लिए दे दे .... फिर मख्खनबाजी करती है कि...भुल्ली तेरे हाथ मे तो इतना स्वाद है कि क्या बताऊँ.... और नजर बच्चो की थाली पर डालेगी ।। फिर पूरा ही खाकर निकलती है ।।।
बालमसिंघ बोला--- ठिक्क ही बोल रहे भाभी जी तुम भी ... हम भी कल रात से भूखे ही हैं ।। देर रात को गाँव से पहुंचे , रास्ते मे भी गुरुजी ने खाने के लिए गाड़ी रोकी नही ... बोले- जल्दी चलते हैं तब जाम लगता है बल ।। उनके घर पहुंचे तो .... एक एक घुट्टी चाय पी और फिर बोले कि --- आज औंसी (अमावस्या) की रात है , हम दोनों मियां बीबी तो औंसी की रात कुछ खाते नही हैं ... और वैसे किसी को भी नही खाना चाहिए ....इससे दरिद्रता और निर्धनता आती है ।।।
फिर हंसते हुए बोले --- अरे याद आया थोड़ा बासी भात बचा हुआ है , आपके लिए उसी को गर्म कर देते है। ।।। बालमसिंघ , औंसी की रात और बासी भात से डर सा गया था, ।। फिर हम दोनों भी भूखे ही पेट सो गए ।।।
अब भरतु की ब्वारी को बातों ही बातों में पता चला कि इन्होंने जमीन इतने की ली है तो थोड़ा नाराज होते हुए बोली-- देवर जी अगर किसी और को जमीन लेनी होगी तो मुझे बताना , गुरुजी से सस्ती दे दूंगी ।।।
बालमसिंघ चौंकते हुए बोला-- तुम भी प्रोपर्टी डीलर बन गए क्या बो जी ???
बोली-- हमारे तो अपने प्लाट हैं ।। और रेट सबसे कम ।।। गुरुजी ने तो तुम्हे ठग दिया ।।।
बालमसिंघ बोला-- कौन सा पैंसे दे रखे अभी हमने गुरुजी को??
फिर बोला -- भाभी जी ।। बहुत भूख लग गयी... द्वी द्वी मूली के पराँठे ही बना दो 😊😊...।।
भरतु की ब्वारी का एक तो फास्ट ऊपर से ये मिस्टर और मिसेज बालमसिंघ ।।। मन ही मन कुढ़ने लगी ।।। किचन में चली गयी और बड़बड़ाने लगी--- बोली-- ह्म्म्म.. साले...जमीन लेने आ रखे गुरुजी से ... और खाने आ रहे हमारे घर ।।। पर थोड़ा उसको ये भी लालच रहा कि अभी तो बयाना भी नही दिया है ।।
कुछ देर बाद भरतु की ब्वारी पराँठे बनाती रही और बालमसिंघ एन्ड फेमली पेलते रहे ।।। दोनों मिया बीबी छः छः पराँठे खा गए ।।। जबकि भरतु की ब्वारी ने पराँठे भी ... एकाढे रोटी से मोटे बनाये थे ।।।
बेचारी की रेल बन गयी थी ।।।
तब तक गुसाँई जी और उनकी पत्नी भी टपक पड़े ।।। दोनो भी पराँठे खाकर ही गए और बालमसिंघ से बयाना भी लेकर चल दिये , बोले-- भई बालमसिंघ , हम लोग तो एक शादी में जा रहे हैं , कल तक तू यहीं रूक , परसों साथ चलेंगे ।।। तब तक भरतु की ब्वारी त्येरी ब्वारी की पलटन बाजार भी घुमा देगी ।।।।
भरतु की ब्वारी उनके जाते ही बोली-- तुमहारी चिफली गिच्चि में तो अच्छे खासे दुनियावाले फिसल गये गुरुजी ....।।। प्रॉपर्टी डीलर गुरुजी तुमारे ही तो ठाठ हैं आजकल ।।।।
पर हे देवी भगवती । जला दे मेरे भी दिमाग की बत्ती ।।। एक दो प्लाट मेरे भी बिकवा दे ।।। जरा घाम इन्ने भी लगवा दे ।।
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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