बिंदु बहुत ही खूबसूरत और प्यारी थी...!!!! उसकी प्यारी सी आंखे, मजबूत बदन, और गले मे पड़ी चमकदार माला उसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती थी !!! माथे पर एक बिंदी का काला सा निशान पैदा होते ही था ...इसलिए नाम रखा गया बिंदु !!!!
बिंदु जैसी गाय को उसकी मालकिन सुमित्रा भी बेहद प्रेम करती थी...और बिंदु शब्दहीन होते हुए भी ,अपने हाव भावों से अपना प्रेम प्रदर्शित करती थी !!! सुमित्रा सुदूर पहाड़ी गाँव मे रहती थी...बच्चे देहरादून और दिल्ली में सेटल हो चुके थे !!! लड़को ने माँ को साथ मे लेजाने की एक दो बार जिद भी की पर सुमित्रा को अपने गाँव ,अपने घर ,और अपने गाय बछियों से बड़ा लगाव था ...!!!!
अब सुमित्रा की सबसे करीबी मित्र बिंदु ही थी...जिसके साथ वो खूब बातचीत भी किया करती ...अपना सुख अपना दुःख सब उस बेजुबान बिंदु से जरूर कहती..? बिंदु के हाव भावों से साफ झलकता था कि वो उसकी सारी बातों को आसानी से समझ लेती है !!! उसके मौन प्रतिउत्तरो से सुमित्रा को भी एहसास होता कि ये बेजुबान जरूर है ...पर भावनाशून्य नही !! बिंदु को खूब सहलाती और बदले में बिंदु भी अपनी कठोर पर प्रेम से लबालब जीभ से उसको चाटकर ,अपना प्रेम प्रदर्शित करती थी !!! काफी साल दोनो एक दूसरे के मित्र बने रहे !!!।इसी बीच सुमित्रा का स्वास्थ्य कुछ खराब सा रहने लगा ...तो लड़का उनको अपने साथ ले जाने गाँव आ गया !!! लड़के की जिद पर तैयार तो हो गयी पर रह रहकर बिंदु की चिंता सताने लगी , फिर सोचा ! कुछ दिनों में ठीक हो जाऊंगी तो फिर से बिंदु को रख लूँगी ...!!! गाँव की ही एक महिला के पास बिंदु को दे दिया !!! विदा लेते वक्त ..बिंदु की आंखों से और सुमित्रा की आँखों से झर झर आँसू बहने लगे !!! मानो एक बेटी को ससुराल विदा कर रही हो ...और बिंदु को भी एक माँ से बिछुड़ने का बड़ा ही दुख हो रहा था ..!! सुमित्रा देहरादून पहुँची तो उसको बाड़ूली (याद में हिचकी) लगने लगी ...तुरन्त गाँव फोन किया और बिंदु के हालचाल पूछे !! इत्तफाक से वो महिला उस समय गौशाला में ही थी...बिंदु को भी एहसास हुआ कि जरूर उसकी माँ होगी.....तो जोर जोर से रम्भाने लगी ....माँ ...माँ की विरह ध्वनि सुनकर सुमित्रा को भी बहुत रोना आ रहा था ....तभी बहु आई और कहने लगी ...क्या माँजी आप भी एक गाय के लिए इतना परेशान हो रही हो ?? आफ्टर ऑल है तो वो एक जानवर ही ...आजकल दुनिया इतनी फास्ट हो गयी है कि ...इंशानो के बारे में सोचने का टाइम नही है ?? और आप हैं कि.......??? सुमित्रा बोली ...बेटी ...वो जानवर जरूर है ...पर उसके अंदर लाड़ प्यार और समझ इंशानो से ज्यादा है !! बहु बोली खैर छोड़ो माँजी...एक जानवर के लिए हम क्यों बहस करें ?? ये लो आपकी दवाई..और आप आराम करो !!!!
दिन महीनों में बदलते जा रहे थे ...सुमित्रा का स्वास्थ्य भी लगातार खराब होता जा रहा था ...अब वो गाँव मे अक्सर फोन भी नही कर पाती थी !!! इधर बिंदु ने भी दूध देना कम कर दिया था ..नई मालकिन ने दाना पानी भी कम कर दिया था !! और दूध देने की मियाद भी पूरी हो गयी थी !!! नई मालकिन के लिए ये अब बोझ था तो उसने बिंदु को नजदीकी कस्बे में छोड़ दिया !!! अब बिंदु भी आवारा गायों के झुंड में शामिल हो गयी ...भोजन के लिए संघर्ष शुरू हो गया !!! कागज गत्ते और पॉलीथिन खाकर गुजर बसर करने लगी ...सोचने लगी...एक तरफ तो हिन्दू धर्म के लोग ..गाय को राष्ट्रीय पशु बनवाना चाहते हैं...हमे माँ भी कहते हैं और हमे ही फिर बेसहारा भी छोड़ देते हैं !!! कागज के गत्ते चबाते हुए ...उसे अपनी माँ सुमित्रा की दी हुई रोटियाँ याद आती !!!
उधर सुमित्रा के स्वास्थ्य में अब कुछ सुधार था ...!! गाँव मे फोनकर बिंदु के बारे में पता किया तो...उस औरत ने बताया कि बिंदु मर गयी ...सुनकर बहुत धक्का लगा !!! बेटी तुल्य गाय की मौत से सदमा लग गया !!! अपने बेटे से कहा कि गाँव में लंबे समय से पूजा भी नही करवाई तो गाँव चलना है ....कुछ ही दिनों बाद गाँव के लिए रवाना हो गयी ...गाँव से दूर के कस्बे में पहुँची तो फल सब्जी लेने लगी...!!! कुछ दूर पर देखा तो कुछ लोगो का झुण्ड खड़ा था ...उत्सुकतावश वहाँ पहुंची तो देखा...एक कमजोर सी गाय जो बेहोशी की स्थिति में थी...और प्रसव पीड़ा की वेदना में थी....!! सुमित्रा सोचने लगी ...शक्ल तो मेरी बिंदु जैसी लग रही है पर बिंदु तो मर चुकी है ...थोड़ी नजदीक गयी तो ....बिंदु ने अधखुली आंखों से अपनी माँ को पहचान लिया !!! और तुरन्त ही खड़ी होकर सुमित्रा को चाटने लगी !!! सुमित्रा ने भी अपनी बिंदु को पहचान लिया !!! और इसी बीच बिंदु ने एक बछिया को जन्म दे दिया !!!
सुमित्रा बिंदु की बछिया को गोद मे उठाकर गाँव की ओर चल दी और बिंदु भी सुमित्रा के पीछे पीछे चलने लगी !!!
जारी-- नवल खाली
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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