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यू आर सो लक्की माय जानू/पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)


    दोस्तो कहानी अच्छी लगे तो श्येर करें-- आपके सुझाव और कमेंट ही मेरे लिए तालियों का काम करेंगे और नई ऊर्जा का संचार करेंगे !!!-----------------Navalkhali---
एक बाबू थे !!! बाबू मतलब.... पिताजी टाइप नही .... सरकारी टाइप बाबू !!!!  विभाग भी ...उनके मृतक पिता की तरफ से पित्र प्रसाद के रूप में मिला था !!!! विभाग भी ऐसा मलाईदार था कि... मलाई खा खाकर...  बाबूजी के चेहरे पर तो कम ....पर पेट व बोंजो पर ज्यादा चर्बी चढ़ गई थी !!!  थुलथुलकार हो गए थे !!! आप लोगों की..... नजर . ...उम्र के साथ साथ कम होती चली जायेगी ...पर ...बाबू जी की नजरों में और पैनापन आ गया था .... नजरें छुरियाँ बन गयी थी !!!
बाबूजी यूँ तो कपड़े वपडे पहनने के ज्यादा शौकीन न थे ...पर घरवाली.... ही बाबूजी को बाबुराजा बनाकर ऑफिस भेजती थी ..... क्या पहनना है ?? क्या खाना है ??? घर के अंदर कैसे रहना है ?? इन सब चीजों पर बाबू जी की रानी  की सत्ता थी  !!! घर के अंदर , सम्पूर्ण राज्य की स्वघोषित महारानी थी !!! इसलिए बाबू जी घर के अंदर चुप ही रहते थे ... अब ...!! चुप से भली चीज कुछ नी !!!! इसलिए गृहस्थी भी बढ़िया ही चलती थी ....!!! अब थोड़ा बहुत राग द्वेष तो जब भोले राम के जीवन मे भी थे ... तो ....सभी फैमली में होते ही हैं ... किसी की ब्वारी खराब ,किसी की सासु खराब , किसी का पति खराब, कहीँ पत्नी खराब ... जो दोनो ठीक ठाक तो... उसके बच्चे खराब ...!!! जिसका सब बढ़िया ... उसकी किस्मत खराब ...कभी मुनारा तो कभी  बुखार !!!
....    जो स्वस्थ... उसकी ...किस्मत और खराब ... न नौकरी...न चाकरी.... घाम में खाम खाम घूम रहे  बेरोजगार ....!!!!  
कुलमिलाकर बाबू जी एक धुरंदर गणीतिज्ञ थे ..... आर्य भट्ट जैसे .... भट्ट बामणों की  जेब से भी ... सँख्यानुमा भगवा पत्ता ....खिसका लेते थे !!!  
बाबू जी की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि.... उन्होंने कभी किसी मे भेद नही किया .... #हिंदू, #मुस्लिम , #ठाकुर- #बामण  व #दलित समुदाय ...सबको वो... अपनी  एक नजर से देखते थे.... नजर पैनी जो थी  !!! सच कहूँ तो .... उनको दलित बड़े ही प्यारे लगते थे .... खुद बाबू जी ... खाँटी ठाकुर थे !!!!... पर दलितों से उनका बड़ा लगाव था .... उन दलितों के खातिर ही .... आज उनके पास सब कुछ था .... !!! वही...सबकुछ .... जिसको पाने के लिए .... एक अंधी तो नही पर काणि दौड़ मची है .... !!! बाबू जी का भी देहरादून में एक मकान, एक बढ़िया गाड़ी, बैंक बैलेंस, बीबी के पास ... बढ़िया ज्वैलरी ... !!! पितरों के प्रताप सब कुछ था बाबू जी के पास !!!! 
बाबू जी के पास विभाग तो मलाईदार था ही .... सो... मलाई का घी बनाते रहे ... और दिन में घी पीते रहे ....और रात में शीsssii... पीते रहे..!!! बाबूजी का एक बालक था ..... अध्य्यन हेतु... देहरादून की कोचिंगशालाओ में दीक्षा ले रहा था ..... बड़ा ही धुरंदर बन गया था !!!  यूँ मानो कि ... सिकन्दर बन गया था ...!!! साला ... ऐबी बन गया था ... लड़कियाँ पटाना , उसके बाएं हाथ का खेल था .... !!!
बाबू जी ने जब कार की चाबी उसके हाथ सौंपी तो बड़े ही गौरवान्वित हुए थे !!! जैसा कि एक पिता ....अपने बच्चों को गिफ्ट देने पर करता है ....वैसे ही ... गात के कांडे टाइप खड़े हुए थे उनके !!!! 
बेटा ... उनके घी के डब्बे खत्म करता जा रहा था .... मलाईदार विभाग से भी .... 11 महीने और कुछ सौ घण्टे बाद .... उनकी छुट्टी की घण्टी  बजने वाली थी !!!
इसी बीच बाबू जी का लड़का ... लड़कियाँ पटाते पटाते ....खुद भी पट गया !!!! कुछ ही दिनों बाद हफड़ा तफडी में आनन फानन में .... लड़की प्रेग्नेंट हो गयी .... लड़के ही हवा सेंट हो गयी !!! गीली पेंट हो गयी !!! लड़की बोली... देख भैय्या....!!! ऐसा है .... अब शादी ही संकल्प है !! फिर लड़की की माँ ने बाबू जी का कॉन्टेक्ट नम्बर लिया ...और उनको अर्जेंट काम बोलकर देहरादून बुला लिया !!!!! जैसे ही मामला खुला.... बाबू जी का मुँह हमेशा के लिए खुला ही रह गया ......तुरन्त सुनते ही.... एट द स्पॉट मौत हो गयी .... !!! मलाईदार विभाग का घी खाकर.... हार्ट में ब्लॉकेज भी काफी थे ...पर धराते नही थे !!! सोचते थे ....सुद्धि ...आजकल ..कई... प्राइवेट डॉक्टरों ने देहरादून में ...इलाज करना तो ... धंधा ही बना रखा !!! पिछली बार बाबूजी ... एक अस्पताल में गए ...उसने बताया.... ज्वानडिश... दूसरे ने बताया....टाइफाइड ....तीसरे ने... भी... शब्द पर जोर डालते हुए .... बताया ....ऐसा कुछ... भी .....नही है ..!!!! उसने बताया ....मियादी बुखार.... !!!! फिर लास्ट में जिसके पास गया ....उसने ... एक मल्लम और एक चूरण दिया !!!! 
खैर बुखार तो बाद में .... घ्रया इलाज से ही सही हुआ ...!!!! एक उचाणा और मियादी बुखार का समय खत्म !!! बाबूजी तब जाकर टकटक्कार हुए थे ....पर अब तो दुनियां से ही .... टटकार...हो गए थे !!!!
पिता की एट द स्पॉट होने से सभी को सदमा तो लगा ....पर शादी भी जरुरी थी ..... अब तो दामाद भी पित्र प्रसाद वाला मिलने जा रहा था !!! वो भी मलाईदार घी में बना  प्रसाद..!!!!  तभी तो लड़की आजतक दावे करती है कि... मैं तुम्हारे लिए बहुत लक्की हूँ !!!! सास भी यही कहतीं है ..राजा बाबू.... मेरी बेटी तुम्हारे लिए बहुत लक्की है ... !!!!! कभी कभी बाबूजी के सुपुत्र को ऐसा फील भी होता है .... कि वाकई मेरी बीबी मेरे लिए लक्की है !!!! इसलिए हमेशा कहता ....यू आर सो लक्की माय जानू....!!!! सादर



source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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