भरतु की ब्वारी को अपने जमाने का शिक्षक दिवस खूब याद आता था !!! क्योंकि उन दिनों 05 सितम्बर से दिन का स्कूल शुरू हो जाता था !!! सुबह के स्कूल से बढिया उसे दिन का स्कूल लगता था ...क्योंकि शाम को घर आने के बाद जो मजा उसे बासी भात खाने में आता था ...वो मजा किसी बढिया से बढिया व्यंजन में भी न था !!!!
पर अब समय के साथ सब बदल चुका था , गुरुजी भी बदले बदले नजर आते थे , स्टूडेंडट्स भी बदले बदले और माँ बाप तो बहुत ही ज्यादा बदल चुके थे !!!!
पुराने समय में गुरुजी की मार खाकर ही सत्रह और उन्नीस का पहाड़ा याद होता था , ऋण ,भाग ,गुणा ,दशमलव , घात लगाना, बीजगणित के बीज बोने से लेकर रेखागणित की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियों पर उन्ही गुरुजियों की डांट फटकार व मार से सीखकर कई लोग बड़े बड़े अफसर बनकर आगे बढ़े थे !!!!!
पुराने समय मे जब भी कोई पढा लिखा टाइप रिश्तेदार अथवा गाँव का कोई व्यक्ति छात्रों को मिलता तो उन्नीस का पहाड़ा जरूर पूछता था !!!!
आज के जमाने में न जाने कहाँ खो गया वो उन्नीस का पहाड़ा !!! उसी उन्नीस के पहाड़े ने कई पहाड़ियों को उन्नीस से बीस भी बनाया !!!
आज के जमाने में पहाड़ा शब्द ही बोलना ..तौहीन वाली बात है ... !!! खैर अंग्रेजियत के इस दौर में हिंदी हासिये पर है ....हिंदी मतलब ...हासिल पाई जीरो !!! भरतु की ब्वारी के छात्र जीवन के दौर में उसने Abcd ही कक्षा 6 में जाकर पढ़ी थी पर अब देहरादून आकर वो एक्सक्यूज़ मी से लेकर एक्च्वलता व नेचुरलता जैसे खतरनाक अंग्रेजी शब्दों को बोलने में निपुण हो गयी थी !!!! उस दौर में गुरुजी के लिए घी की माणी से लेकर साग भुज्जी तक का इंतजाम भी छात्र ही करते थे !!!
समय बदला....किताबें बदली ...गुरुजी बदले ....छात्र बदले ....माँ बाप बदले ... अब सब बदला बदला सा था ...इसलिए पूरी शिक्षा व्यवस्था पर बदली ही बदली छा रखी थी!!!!
अब भरतु की ब्वारी के भाई सत्या गुरुजि को ही ले लीजिए !!!! वो नौकरी तो दुर्गम में कर रहे हैं ...पर वहाँ कम कम ही रहते हैं ....दो गुरुजी वाला स्कूल है ...दोनो ने अपनी अपनी बारी लगा रखी ....दस दिन एक गुरुजी , दस दिन दूसरे !!!!
भरतु की ब्वारी के भाई सत्या गुरुजी बहुत ही दूरदर्शी व्यक्ति हैं उन्होंने छठवें वेतनमान के बढ़ते ही देशकाल, वातावरण और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक जमीन का टुकड़ा देहरादून में लिया ..!!! जिस डीलर से लिया ...उसने गुरुजी की महत्वाकांक्षा को भांप लिया , उसने कहा गुरुजी ... एक प्लाट पर आपका 2% फिक्स है ...10 प्लाट बिक गए तो आपकी जमीन फ्री !!!! और वास्तव में वही दिन है और आज का दिन है .... गुरुजी ने अपनी चिफली गिच्ची में ही ...आज देहरादून में एक पूरी कालोनी ही बसा दी है ...कालोनी का नाम है ...गुरु विहार ..!!!! गुरुजी कहते हैं ...अभी तो गुरु बिहार ही बना है ...एक न एक दिन गुरूवाला बसाना है !!!! गुरुजी ने जमीन के इस धंधे में पड़ने के बाद आजतक तनखा को हाथ भी नही लगाया !!!! गुरुजी खुद कहते हैं --- भई ये तो बैकुंठधाम है , विष्णु मेहरबान तो लक्ष्मी कद्रदान !!!
विष्णुभवगवन की कृपा से गुरुजी ने देहरादून में अपने मकान पर ही ब्वारी के लिए दुकान भी खोल रखी है , !!! आजकल गुरुजी कभी कभी अपने दुर्गम स्कूल से आते हुए गाँव की मूँगरी, कद्दू , चिचिंडा थैले में भरकर लाते हैं और गुरुबिहार वाली दुकान में बिकवाते हैं !!!!
उत्तरा बहुगुणा दुर्गम वाले प्रकरण में भी गुरुजी खूब चिल्ला चिल्ला कर सी.एम के एक खास आदमी के पास कह रहे थे कि....भई हमे भी दुर्गम में पूरे15 साल हो गए ...हम तो नही कह रहे कि हमारा ट्रांसफर करो ....भई सरकार ने नौकरी दी है ...जहाँ सरकार कहेगी वहीं करेंगे !!!
सी.एम. का खास आदमी भी अब गुरुजी से काफी प्रभावित है !!!
और एक अंतिम बात तो गुरुजी के बारे में छूट ही गयी .... गुरुजी जब स्कूल में रहते हैं तो मिड डे मील का ही दाल भात खाकर गुजारा करते हैं !!!! कहते हैं ...भई हमारा तो सदैव से ही सादा जीवन उच्च विचार वाला कॉन्सेप्ट रहा है !!!
आज शिक्षक दिवस के दिन गुरुजी अपनी भुल्ली भरतु की ब्वारी के देवर बबलू के लिए एक खास प्लाट दिखा रहे हैं ....जिस प्लाट के दोनों तरफ दस दस फुट की सड़क भी है बल ...और छात्रों का जो भी फ्यूचर हो पर भविष्य में प्लाट का फ्यूचर बहुत ब्रोड है बल ....क्योंकि एक बड़ा हाई वे और एक यूनिवर्सिटी वहाँ बनेगी बल !!!!! भरतु की ब्वारी का शिक्षक दिवस आज अपने शिक्षक भईया के साथ 2% कमीशन के साथ मनाया जा रहा था !!!!
जारी--- नवल खाली !!!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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