भरतु की ब्वारी कभी कभी फेसबुक पर लिख देती कि--
*क्या कल कोई पहाड़ो से देहरादून आ रहा है* ??
तो कईयों के मैसेज आ जाते-- कोई कोई देवर जी मजाक भी कर लेते-- बोलो भाभी जी क्या हुकुम है ??
आप बोलो तो अभी आ जाते हैं ??
ऐसे ही एक बार विक्की भाई को देहरादून आना था तो उसने इनबॉक्स में लिख दिया -- हाँ भाभी जी ,कल आ रहा हूँ कोई काम हो तो बताइयेगा ??
भरतु की ब्वारी ने आने का टाइम पूछा और बोली-- कल आपके वहां चलने से आधा घण्टे पहले कॉल करुँगी देवर जी ।।।
अगले दिन सुबह नियत समय पर भरतु की ब्वारी का कॉल आ गया ।।
बोली-- देवर जी वो मेरी सास सड़क पर खडी होगी , एक छोटा सा थैला लाना है उनसे ।।।
अब विक्की भाई कुछ देर में देहरादून जाने के लिए टीच्च् बनकर कार लेकर पहुंचा तो सास वहां पहले से खड़ी थी ।।
विक्की भाई गाड़ी के अंदर बैठकर ही बोला--- हाँ बौडी , सिमन्या ,खूब च शरील ,पाणी ।। कख च थैलु दे दे ।।।
अब बुढ़िया एक बड़ा कट्टा ( थैले के बाप) उठाने लगी , बोली -- बेटा तू ही रख दे , जरा मदद कर दे ।।।
विक्की बाहर उतरा तो देखा वहीं नीचे की तरफ चार पांच बड़े बड़े थैले बंधे थे ।।।
झंड सा हो गया और थैलो को डिक्की में रखने लगा ।। पूरी सफेद कमीज पर भी दाग लग गए ।।।
विक्की की आफत आ गयी ।। बोला-- क्या च बौडी यूँ थौलु मा धरयूं ??
बोली/- बेटा ,जरा साग भुज्जी च नाती नतयोणो ते ।।।
और थैलों में बूढ़ी सास ने -- साग ,भुज्जी, काखडी ,मुंगरी, कोदे का आटा , घर के चावल ।। सब रखा हुआ था ।।।
जब गाड़ी फुल्ल हो गयी ।।।
तो बुढ़िया एक और थैला पकड़ाते हुए बोली -- बेटा ,जरा ये ते आराम से अगिनि सीट पर रख दे ।। ये मा , जरा दूध , दही और छाँस च ।। आराम से लीजे बेटा ।।।
सारा सामान गाड़ी में कुच्याते कुच्याते विक्की की हालत खराब हो गयी थी ।।।
बोला-- धन हो भई , भरतु की ब्वारी ।। असली ठाठ तो तेरे ही हैं ।।।
अब सारे राश्तेभर कोई न कोई जानने वाला मिल जाता ।।।
सभी पूछते -- और भई भुल्ला विक्की ,आज खूब माल पाणी ले जा रहा ।।। नया धंधा शुरू कर दिया क्या ?? अब किस किस को क्या क्या जवाब देता ।।
रास्तेभर पुलिस वाले भी जगह जगह चेकिंग करते रहे कि -- कहीं कीड़ा जड़ी, झूला घास या पहाड़ो से कोई जड़ी बूटी तो नही ले जा रहा ।।।
रिस्पना पुल पहुंचते पहुंचते बेचारा विकी बहुत होपलेष हो गया ।।। रास्ते मे एक जगह पर जाम लगा था तो उसे ,उसकी एक पुरानी गर्ल फ्रेंड ने भी देख लिया था .... ।।। सोच रहा था -- न जाने वो मेरे बारे में क्या क्या सोच रही होगी ।।
अब एक दिक्कत और थी कि इस सामान को पहुंचाने उसे राजावाला पहुंचना था .... प्रिन्सचौक लालबत्ती पर उसे गांव के मुक्की,भुप्पी,दिप्पू और राहुल भी मिल गए ।।। उन्होंने बोला -- भैजी बढ़िया धंधा पकड़ लिया , पहाड़ों से काखडी ,मुंगरी की फुल्ल स्मगलिंग कर रहे ....दो चार काखडी हमको भी दे दो यार ।। शाम को चखने में काम आएगी ।।।
विक्की ने भी थैलों से निकालकर दो चार काखडी उनको दे दी और राजावाला पहुंच गया ।।।
भरतु की ब्वारी विकी को देखते ही प्यार से बोली--- अरे अरे देवर जी , बोत कष्ट दे दिया यार आपको ।। ये गाँव के बुढया आदमी भी न ....हम तो उनको बोलते भी नही फिर भी देखो ..कुछ न कुछ देते रहते हैं ।।
फिर विक्की को सारे कट्टे घर के अंदर तक सारने पड़े ।।।
फिर मुलायमता से बोली--- देवर जी thanku नाराज न होया वां ।। विक्की फटाफट बिना चाय पिये ही निकल पड़ा -- उसने कान पकड़ लिए कि आज के बाद ज्यादा धर्मात्मा बनना भी ठीक नही ।।।
इधर जब भरतु की ब्वारी को सास से बात करने के बाद पता चला कि थैले से दो चार काखडी गायब हैं तो मुहल्ले में कुछ दिन तक विक्की की ही काट करती रही ।।।
बोली-- आंते (लालची टाइप) कहीं के ।। कैसे साहस आता होगा भई इन लोगो को दूसरों के थैले से सामान निकालने का ।।।
आज के बाद इस विक्की से तो कुछ मंगाना ही नही ।।।
आपको तो पता ही है -- ये भरतु की ब्वारी की आदत है कि अपनी टाँग हमेशा ऊपर ही रखनी है ।।।
जारी-- नवल खाली-
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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