पहाड़ो की चोटी पर बसा था मल्यागाँव !!! उसके ठीक सामने अर्धचन्द्राकार हिमालय ,चंदा मामा की टार्च से प्रकृति के वॉलपेपर सा प्रतीत होता था !!! शुद्ध आयुर्वेदिक हवा ही ,वहाँ की सबसे बड़ी दवा थी !! बात भी सच थी...ये गाँव उसी पर्वत पर था ,जहाँ से हनुमान जी संजीवनी बूटी लाये थे !!! गाँव मे रात को सेदों का और लोकल भूत प्रेतों का भी खूब संवाद होता था ...जिनके शब्द अक्सर गाँव वालों को सुनाई पड़ते थे !!! कभी तेज भँकोरे और ढोल दमाऊ की थाप सुनाई पड़ती तो कभी घोड़ो की चलने की आवाज !!!! उस गाँव के पुराने मकानों के ढ़ेपरो (तीसरी मंजिल में बने स्टोर) में कूणबुढली (कोने में छुपी बूढ़ी आत्मा) से बच्चो को लोग डराते थे ,ताकि बच्चे उनका कहना माने !!! गाँव खुशहाल था ! गाँव के चुलियाँण (चूल्हे) से लेकर खेत खलियाण तक देवता का स्थान था !!!
! सारे लोग सयुंक्त परिवारों में रहते थे !! मिलजुलकर काम करते थे !!! घी ,दूध ,राशन पाणि छक था !!! बन्दर भी थे पर ज्यादा नुकसान नही करते थे !!! धीरे धीरे गाँव के होनहार बच्चे अच्छी नौकरियों पर बाहर बस गए , भाइयो को भी पढाया लिखाया ,काबिल बनाया औऱ वो भी उन्ही की तरह बाहर बस गए !!! अब सब दुनिया की आपाधापी में खो गए थे !!! और ये मानवीय स्वभाव भी है ....अपनी सुख सुविधाओं के हिसाब से खुद को एडजस्ट करना ही मानव होने का पहला लक्षण है !!! धीरे धीरे गाँव के बुजुर्गो ने भी नया जन्म ले लिया !!! मकानों की धूर्पली (छत) भी ढहने लगी !!! एक के बाद एक मकान खाली हो गए !!! गाँव वीरान और जर्जर हो गया !!! गाँव के कुछ बुद्धिजीवों ने इसका हल निकाला और जहाँ वो लोग बस गए थे ,उसी कॉलोनी का नाम गाँव के नाम पर रख दिया !!! मल्यागाँव कॉलोनी !!! हिमालय के सीमांत गाँव धीरे धीरे खाली हो गए थे !!! जो लोग गाँव छोड़कर बाहर बस चुके थे ...उनका आर्थिक ,सामाजिक, राजनीतिक स्तर गाँव के पीपल के पेड़ सा ऊँचा हो गया था !!! जोकि उस गाँव के लिए गौरव की बात थी !!! वो लोग भी पलायन पर बहुत चिंतित होते थे और हर महीने अपने गाँव के लोगो की एक बैठक इस विषय पर जरूर करवाते थे !!! और पिछले पांच सात सालों से ऐसा वो करते आ रहे थे !!!! उनमें से अब अधिकतर बूढ़े और रिटायर लोग थे !!!!
वो जब अपने बच्चो को गाँव के बारे में बताना चाहते, गांव के रीति रिवाजों से उनको अवगत कराना चाहते तो ...बच्चे उनको जबाब देते ....कि.... क्या उस गाँव ने हमारा फ्यूचर बनाना है डैडी ?? पास्ट छोड़ो ....फ्यूचर की बात करो ...!!! अमेरिका ...इसी साल के लास्ट तक मंगल पर प्लॉट बेचने जा रहा है और आप लोग अभी भी वही गाँव पर ही अटके हो !!! ये लाइफ हमारी है ...इसको कैसे जीना है ?? ये हम डिसाइड करेंगे !!! आप लोग नही ??? और क्या रखा है ?? उन पहाड़ो में ?? सुनते नही टीवी समाचारों में ....आपदा से मौत...डॉक्टर न होने से मौत...सड़क हादसे में मौत .... ?? जिन पहाड़ो में एक अच्छा अस्पताल नही ??? एक अच्छा स्कूल नही ?? गांवो तक ढंग की सड़क नही ??? क्या रखा है ?? उन पहाड़ो में ?? बुजुर्गो को भी कुछ कहते न बनता और अपने आंगन में रखे गमलों में उगे फूल और पत्तियों को अनायास छूने लगते !!! और कभी रात को छत पर लगी कुर्सी में बैठकर....बचपन की कविता याद आने लगती....हठकर बैठा...चांद एक दिन....माता से वो बोला.....सिलवा दो न माँ मुझे................!!!!!! फिर उन बुजुर्ग आंखों में अपनी ब्वे (माँ) की याद आने लगती .....वो चूल्हे पर बैठकर खाना याद आता.....वो आग का भभडाना याद आता....जिसे देखकर माँ कहती....तेरी नानी याद कर रही होगी म्येरा लाटा !!! बिना टेलीफोन के इस याद का कितना गहरा कनेक्शन था ...अब बुजुर्ग के समझ मे आ रहा था !!!! जार जार रोने का मन कर रहा था ...खूब रोया ...जमकर रोया.....मानो...वर्षो से रोया न हो !!!! अचानक तेज बारिश की बौछार शुरू हो गयी कि ....फिर से बुजुर्ग का ध्यान अपने लेटेस्ट एप्पल मोबाइल पर गया ....!!!!और वापस अपने रूम पर आकर ...फेसबुक पर अपने पहाड़ की दशा और दिशा पर एक लेख लिखने लगा !!!!
साभार,- नवल खाली
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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