बंटी की अंटी- पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)



बंटी, बी.टेक करके नौकरी की तलाश में भटक रहा था !!! उम्र भी काफी हो चुकी थी इसलिए घरवालो की नजर में भी खटक रहा था ..एक तरफ गर्लफ्रेंड के चक्कर मे रात दिन मटक रहा था ....रिचार्ज करने के तो लाले पड़े थे फिर भी दोस्तो की मेहरबानी से.. साला ...टेंशन में ...पव्वे पे पव्वे भी गटक रहा था  !!! अब तो बंटी का दिमाग सटक रहा था ....!!! उम्र के अठ्ठाइसवे पड़ाव पर बन्टी लटक रहा था !!! 
बन्टी ने बहुत सोचा..?? और अपने दिमाग मे पैसे कमाने के नए आइडिये को कोचा (घुसाया)..!! बेचारा पहाड़ों में रहता था ...पैसा भी पहाड़ों में ठीक ठाक ही बहता था ...!! बन्टी ने पूरे इलाके का सर्वे किया और पाया कि पहाड़ों में सबसे पॉपुलर गेम ताश है !!! उसने शीघ्र ही नजदीकी गाँवों में पैगाम भिजवाया कि इलाके में पहली बार ...ताश की प्रतियोगिता करवाई जा रही है ...और विनर टीम को रुपये इक्कीस हज़ार, रनर टीम को ग्यारह हजार , अन्य टॉप फाइव को दो हज़ार दिए जाएंगे ...इंट्री फीस मात्र दो हज़ार !!! ये खबर इलाके में आग की तरह फैल गयी !!! कुछ ही दिनों में पचास टीम आ गयी ...लाख रुपये इंट्री जमा हो गयी !!! विभिन्न गांवों के ताश के सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली,  धोनी जैसे अधेड़ उम्र के प्लेयर जमा हो गए !!! मैच समापन के बाद बन्टी को तीस हजार का फायदा हुआ !!! अब बन्टी ब्लॉक लेबल पर ये प्रतियोगिता कराने लगा !!! और धीरे धीरे ताश एसोशियेशन ऑफ हिल एरिया का अध्यक्ष बन गया !!! 
बन्टी का मानना था कि ताश को राज्य स्तरीय गेम घोषित कर दिया जाय ताकि पहाड़ के बेरोजगारों की इस प्रतिभा को निखारा जा सके !!! 
इस प्रतियोगिता से पहाड़ के ताश प्रेमियों के मन मे एक आस जगी है कि कोई तो है इस उत्तराखण्ड में जो उनकी इस प्रतिभा को मंच दे रहा है ...!!! प्रीतम भरतवाण ने .....दिनभर ताश खेना... रूमकी दारू पैणा छन ...गाना गाकर ....ताश प्रेमियों के मन को जो ठेस पहुंचाई थी ....उससे ताश प्रेमी अब उभर चुके हैं !!! ताश प्रेमियों का मानना है कि ...जब सरकार ने टाइम पर रोजगार दिया नही तो क्या करते ..?? टाइम पास तो करना ही था !! और खाने पीने की कमी कभी पहाड़ो में रही नही ...तो फालतू बैठकर भी क्या करें ?? चलो ताश ही खेला जाय !!!! एक ताश प्रेमी धरमु का कहना है कि अब स्वरोजगार का जुमला मत दोहराना.....?? कि  ताश खेलने से बढ़िया स्वरोजगार करो ?? चलो तुम ही बता दो क्या स्वरोजगार करें ?? सब्जी उगा नही सकते ?? सुंवर और बन्दर हैं ?? और कोई काम है नही ?? हम तो पहाड़ी गुफाओं के अंदर हैं !!! दूध पहाड़ी गाय, भैंस देते नही ज्यादा ?? इसलिए इनको पालकर क्या फायदा ??? 
कुलमिलाकर बंटी ने अपनी अंटी तो फिट कर ही दी और हर महीने प्रतियोगिता से तीस चालीस हजार का जुगाड़ कर दिया !!!
जारी--नवल खाली



source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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