भरतु की ब्वारी रक्षाबंधन पर राजावाला में ही थी !!! सुबह सुबह ही सिम्वाल पंडित जी आ गए , भरतु की ब्वारी के हाथ पर राखुड़ी बांधते हुए , सिम्वाल जी मंत्र बुदबुदाते हुए बोले-- येन बंधो बलि राजा ....छोड़ पैंसा लगो धागा ....और हँसने लगे !!! भरतु की ब्वारी ने भी झट से 51 रुपये सिम्वाल जी के हाथ मे रख दिये !!!!
सिम्वाल जी बोले ...भरतु की ब्वारी ....दान धर्म में कभी कंजूसी नही करनी चाहिए , पहले हमारे पूर्वज पैदल चलकर जजमानी में जाते थे पर आज जमाना ही बदल गया है , स्कूटी में आया हूँ ..500 का तो तेल ही फुक्क गया !!!!! पहाड़ी जजमानों से दानवीर तो वो गुप्ता, अग्रवाल , और शर्मा जी हैं ....राखी बांधने के ही हजार से कम नही देते !!!!
चलो पुनः फुक्का ....सिन्दूक में रखी भरतु की वो फौजी वाली मिठाई ही ले आओ , वैसे भी आज बरखा बहुत है , और भी कई जजमानों के यहाँ जाना है , शाम तक थकान तो लग ही जायेगी !!!
भरतु की ब्वारी ने भी सोचा ?? दो ही पीस बचे हुए हैं ...वो भी फ्री में चले जायेंगे तो डाटा रिचार्ज का क्या होगा ??? भई हम मिडिल क्लास लोगों को सोच समझकर खर्चे करने पड़ते हैं !!! और वैसे भी ये फौजी मिठाई का कोटा ऐसे ही थोड़े नही मिलता ....??? बॉर्डर पर खून पसीने की कमाई है भई ये !!!!
बोली-- पंडित जी ..सब कोटा खत्म हो गया ...वो कल मेरा भाई आया था , उसने एक साब को देनी थी, वो ले गया !!!!
सिम्वाल जी ने भी मुँह मोड़ा और बुदबुदाते हुए बोले ......त्येरी भी बोत तड़ी हो गयी देहरादून आकर ....पंख लग गए भरतु की ब्वारी तेरे पे भी !!!!! जब देहरादून का छौल ,झपेटा लगेगा तो ...आना तुमने मेरे पास ही है !!!!
सिम्वाल जी के जाने के बाद ...दरवाजे पर घण्टी बजी तो देखा ...सफेद कुर्ते पजामे में एक पण्डितनुमा आदमी धागा लेकर खड़ा था .... बोला.... येन बंधो बलि राजा ..... और सीधे भरतु की ब्वारी के हाथ पर राखी बांधने लगा ,फिर उसे भी 20 रुपये देकर विदा किया !!!
दिन तक कम से कम एक दर्जन ....पण्डितनुमा लोगों ने येन बन्दों ...बलि ...राजा ....बोल दिया था और भरतु की ब्वारी के 500 रुपये दक्षिणा में चली गयी थी ...!!!
बोली --- धन हो बन्दों .... ये बलि राजा के चक्कर में ...हम गरीबों का ही बाजा बज रखा !!!!
दरअसल जितने फर्जी पण्डितनुमा सुबह से आये थे ...उनमे से अधिकांश ....वही थे जो मंगलवार को हनुमान बन जाते थे ...शनिवार को शनिदेव ... !!!! और आज वो... रक्षाबंधन बाबा बन गए थे !!! ऐसी टोली छोटे छोटे कस्बों में खूब घूम रही है !!! जिन्होंने रक्षाबंधन के त्यौहार को धंधा बनाकर ,इसे हजारों की वसूली का मार्केट बना दिया था
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
ये भी पढें
- उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना
- उत्तराखंड की जलवायु
- उत्तराखण्ड में नदियाँ
- उत्तराखण्ड की मिट्टियाँ
- उत्तराखण्ड में प्राकृतिक बनस्पति एवं वनों का वितरण
- उत्तराखंड पर्यावरण सुरक्षा योजना
- उत्तराखंड का इतिहास
- स्वतंत्रता आन्दोलकन में उत्तराखंड की भूमिका
- उत्तराखण्ड संघर्ष का सफरनामा
- पृथक उत्तराखंड के संघर्ष का इतिहास
- उत्तराखंड की शासन प्रणाली
- उत्तराखंड - औद्योगिक एवं कृषि अर्थव्यवस्था
- उत्तराखंड में ऊर्जा संसाधन
- उत्तराखंड में शिक्षा और शैक्षिक संस्थान
- उत्तराखंड में परिवहन के साधन
- उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां व अनुसूचित जनजातियों के लिए संवैधानिक संरक्षण
- उत्तराखंड विविध विकास योजना व आर्थिक कार्यक्रम
- उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार
- उत्तराखंड जनस्वास्थ्य, नीतियां एवं उपलब्धियां
- उत्तराखंड में सहकारिता आंदोलन
- उत्तराखंड पर्यटन नीति
- उत्तराखंड के प्रशिद्ध बुग्याल
- उत्तराखंड के प्रमुख पर्व एवं मेले
- उत्तराखंड की विविध कलाएं : वास्तुकला, मूर्तिकला एवं मंदिर
- उत्तराखंड के लोक संगीत, लोक निर्त्य,लोक कलाएं
- उत्तराखण्ड : ललित कलाएँ
- उत्तराखंड में चित्रकारी
- उत्तराखंड के प्रमुख गीत व संस्कार
- उत्तराखंड की भाषा , छेत्रिय भाषा , बोली
- उत्तराखण्ड का लोकसाहित्य
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं पार्ट 2
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं पार्ट 3
- गढ़वाली शादियों में गालियां ओर मांगलिक गीत
- उत्तराखंड से सम्बंधित अन्य कोई भी जानकारी (euttra.com)
Follow Us