Total Count

Subscribe Us

दादी/पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)


दादी यूँ तो अमूमन सबकी होती है ।। दादी सिर्फ उन्हीं की नही होती , जिनकी दादी मर जाती है । दादी का इस दुनिया से जाना उनके लिए बेहद दुखदायी होता जिन्होंने दादी के साथ ,अपना बचपन बिताया हो । 
दादी के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं--  घ्रया  दादी और देशी टाइप दादी  ।।। 
घ्रया दादी वो होती थी , जो आपको मिलते ही अपनी सांकि पर सीने से लगा देती थी ।। और आपकी  प्यार वाली भुक्की पी लेती थी ।।। 
घ्रया दादी वो होती थी , जब आप उसको बड़े दिनों बाद मिलते थे और फिर उससे बिछुड़ते थे तो उसकी आंखों से खुद और याद के आँसू चूते थे ।।  
घ्रया दादी वो होती थी , जिसके एक हाथ मे स्वाद था और एक हाथ मे आश्रीवाद था ।।।

पर दोस्तों । अब समय के साथ दादी भी बदल गयी है.......

क्योंकि दादी का टाइप अब देशी हो गया है ।।।।
......स्टाइल थोड़ा विदेशी हो गया है...। 
न वो सीने से लगा सकती है , न वो भुक्की पी सकती  है ।। 
न उसके हाथों में स्वाद रह गया है ...न ही फलीभूत वाला उसका अब आश्रीवाद रह गया है ।।। 
इसलिए......
 नवल खाली कह गया खाल धार  में ।।।
कि दादी अब, आंटी टाइप हो गयी है बाजार में ।।।



source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

ये भी पढें