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गुरुजी भी पक्के खतरों के खिलाड़ी हैं /पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)


    एक गुरुजी थे !!! विद्यालय उनके निवास स्थान से दूर था !!! सो  टाटासूमो  में ही जाते थे !!! कुछ समय बाद  गुरुजी ने काफी विचार विमर्श के बाद एक कार ले ली !!! अब कार में ही जाने लगे !!!! 
पर पेट्रोल ज्यादा खर्च होने से चिंतित भी होते थे !!! हालाँकि लोगों की नजर में गुरुजियों पर कंजूसी का ठप्पा लगा था !!!  अब चाहे दुनिया की नजर में गुरुजी की लाख रुपये सेलरी हो ...पर मंहगाई में खर्चे भी तो बहुत होते हैं , ये बात तो लोग दबा देते हैं !!! कई तो लोन ही चल रहे हैं ....देहरादून प्लाट/ मकान  वाला लून.... गाड़ी वाला लून... !!! पचासों खर्चे अलग से ...!!! लोगों को सबसे ज्यादा सॉफ्ट टारगेट गुरुजी लोग ही दिखते हैं ....इसलिए कुछ भी बकते रहो !!! गिच्चा बाबू....क्या जाणु ??? 

 गुरुजी के साथ कंडीशन भी ये थी कि उस विद्यालय के इकलौते खेनख्वार थे !!! और आस पास दूर दूर तक कोई  विद्यालय भी न था , इसलिए अन्य गुरुजियों को कार में ले  जाकर, कंट्रीब्यूशन भी नही कर सकते थे  !!!  कोई सवारी मिल जाती थी तो बड़ा ही सकूँ मिलता था !!!
 10 रुपये की सवारी भी बैठा देते थे !!! चलो...निरमामा से काणामामा ही भला !!! सवारियों से कम बात करते थे , ताकि ये न पता चले कि वो गुरुजी हैं !!! यदि कभी कोई सवारी  प्रोफ़ाइल पूछ लेती तो ... गोलमोल उत्तर दे देते !!! कभी कभी , जब बुकिंग मिलती तो देर रात को ही घर लौटते !!!! बुकिंग के पैंसे  , अलग से जमा करते ,जिससे गाड़ी सर्विस आदि में काम आए !!!! 

कभी किसी काम से देहरादून जाते तो ...देर देर तक स्टेशनों पर सवारी का इंतज़ार भी कर लेते , एकदिन यूनियन से पीटते पीटते बचे ...क्योंकि उनकी सवारी टपा रहे थे !!! फिर युक्ति निकाली , अपनी गाड़ी स्टेशन से दूर खड़ी करते और जो टाटा सूमो लगी रहती उसी में बैठ जाते , ड्राइवर तो बहार सवारी ढूंढता और गुरुजी उसकी सवारियों को अंदर बैठे चुपके से पटा लेते और  आगे अपनी गाड़ी में आने को कहते !!! फिर कान पर फोन लगाकर ,नकली बातचीत करते खुद भी वहां से खिसक जाते !!!!!
एक दिन एक सवारी लेकर आ रहे थे ... सवारी उनके निवास स्थान से 20 मीटर पहले ही उतर गई थी ...तो गुरुजी  फटाफट उनका  किराया काटकर आगे बढ़ गए !!!! गुरुजी गाड़ी पार्किंग में खड़ी करके , अपने घर में पहुँच गए , तभी दरवाजे पर खटखट हुआ , बीबी ने दरवाजा खोला तो गुरुजी ने देखा ,वही आदमी जिसको कि अभी बहार छोड़ा था !!! वो आदमी दरअसल गुरुजी की ब्वारी का दूर का रिश्तेदार भाई निकला जोकि किसी के शादी के कार्ड देने गुरुजी के घर आया था !!! 
उसको देखते ही गुरुजी बहुत नर्वसा गए !!! पर अब कर भी कुछ नही सकते थे , उसको , उन्होंने बताया था कि ...वो ड्राइवर हैं और बुकिंग पर चलते हैं ... !!! गुरुजी  फोन का बहाना करके घर की छत पर चढ़ गए !!! 
उस आदमी को वैसे तो पता था कि ...इस भुल्ली के जंवाई तो गुरुजी हैं ....पर हो सकता है ...अब ड्राइवर बन गए हों ??  आदमी थोड़ा सीधा और सच्चा टाइप था तो उसने सूधे मन से पूछा?? भुल्ली तो क्या तेरे जंवाई अब ड्राइवर बन गए हैं .....और फिर उनके साथ आने वाली बात बताई ...!!!! गुरुजी की बीबी भी ....हँसते हुए बोली .....अरे भैजी.... आधे से ज्यादा टाइम इनका आने जाने में ड्राइवरी में ही कटता है ...इसलिए ड्राइवर बताया होगा !!!  बहुत मज़ाकिया हैं ये तो !!!! 
पर जब तक वो आदमी नही गया ... तब तक गुरुजी छत से नही उतरे !!!! 

अब गुरुजी जब भी कोई सवारी बैठाते हैं तो ...बड़ा खतरा भी बना रहता है कि कहीं कोई रिश्तेदार न निकल जाए ??? साला इस पहाड मे तो ...हर दस कदम पर रिश्तेदार ही रिश्तेदार निकल जाते हैं !!! 
रिस्क तो है ....पर गुरुजी भी पक्के खतरों के खिलाड़ी हैं !!!! तेल का पैसा तो वसूल करना ही है !!!



source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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