चन्दू एम.ए. करके पिछले पांच सालों से कोचिंगवाला में अध्ययनरत था !!! उम्र मानो थम सी गयी थी ....बेरोजगारी का दौर चला आ रहा था ...पिता भी फौजी रिटायर थे और पहाड़ी गाँव मे ही निवास करते थे !! चन्दू देहरादून के कोचिंगवाला में कोचिंग करता था और रोजी रोटी के बारे में भी खूब सोचिंग करता था !!!! ज्ञान तो उसको हिंदमहासागर से लेकर अटलांटिक महासागर का था पर साला ...कम्पुटिशन में नही निकल पाता था !!! उसने ज्ञन बौल (ज्ञान में पागल) होने की कई घटनाएं भी सुनी थी कि फलाँ आदमी बोत पढा लिखा था और बाद में पागल हो गया ...!!
जीवन को कभी वैज्ञानिक तरीके से देखता था तो कभी दार्शनिक तरीके से ....और जब कभी ज्वोग भाग्य के बारे में सुनता तो आध्यात्मिक झकाव भी हो जाता था ...!!! कुलमिलाकर जीवन के इस रहस्य को वो कभी भी नही सुलझा पाया !!! एक दिन उसने खुद पर एक प्रयोग किया ....उसने अपनी संस्कृत की किताब को जूतों के नीचे दबा दिया और फिर उसको जला दिया ....हालांकि ये सब करते हुए ...मन के किसी कोने में उसके डर बना हुआ था ...!!! ये सब करने के के एक हफ्ते तक अनुभव किया तो ...उसको कुछ भी नही हुआ ....!!! फिर वो आध्यात्म को वैज्ञानिक दृष्टि से देखने की कोशिश करने लगा !!!!
कुछ ही दिनों बाद उसका एक्सिटेंट हो गया और पाँव की हड्डी कुर्च बुर्च हो गयी ...!!!! इस घटना को सीधे उसने किताब जलाने वाली घटना से जोड़ा और भगवान से माफी मांगने लगा !!! अकेले में भगवान से अपनी गलती की क्षमा मांगने लगा !!!! काफी महीने बिस्तर में पड़े रहने के बाद ही ठीक हो पाया !!!
उम्र बढ़ती जा रही थी ....गाँव मे साथ के कई दगड्यो की शादी होते देख ....उसकी भी ब्याह रचाने की इच्छा ढसाक (जोर) मार रही थी !!! अब वो वैज्ञानिक, दार्शनिक, आध्यात्मिक द्रष्टिकोण छोड़कर व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाने लगा ...!!!उसने सोचा ....नौकरी तो बिना जुगाड़ के इस प्रदेश में मिलनी बड़ी मुश्किल है ...और नौकरी न मिली तो छौकरी मिलनी भी बड़ी मुश्किल हो जाएगी !!!! बहुत रातो तक रोजगार के प्लान बनाता रहा ...मिटाता रहा !!! कुछ भी समझ न आया !!!??
फिर एक दिन अपने पहाड़ी गाँव गढ़वाल से कुमाऊँ अल्मोड़ा बागेश्वर की तरफ निकल गया !!! वहाँ जाते ही उसने एक दुकान से खाली बोरा और रस्सा लिया और फिर थोड़ा पुराने से वस्त्र धारण किये और नेपाली बहादुर रूप धर कर बाजार में घूमने लगा ...!!! किसी ने आवाज दी ...ओ बहादुर ...इधर आ ...!!! आदमी बोला ....यार बहादुर बगल पर मेरा गाँव है ...आजकल मकान का काम चल रहा है ....पथ्थर सारने है ...चलेगा ?? चन्दू नेपाली पुट में बोला ...कतना चट्टा पथ्थर शारना है शाब ?? आदमी बोला बीस चट्टा !!! चन्दू बोला ठीक है शाब सार देंगे !!! आदमी ने बोला ....भई देख अभी हमारे वहाँ दस हज़ार रुपये चट्टा हिसाब चल रहा है ...करना है तो बोल ...नही तो फिर किसी और को देखता हूँ !!! चन्दू ने हाँ कर दी और आदमी का नम्बर ले लिया ...बोला शाम तक आ जाऊंगा साब !!! फिर चन्दू ने फटाफट ....दो तीन नेपालीयों से बात की और उनको 20 चट्टे डेढ़ लाख बताकर ...उनका मेट बनकर अगले दिन से पथ्थर सारने लगा !!! 10 दिन में ही बीस चट्टे लगाकर ...तीन नेपालियों सहित उसने 37 हज़ार कमा दिए और 50 हज़ार का फायदा अलग से !!!! 10 दिन में 87 हज़ार उसके हाथ लग गए !!!
फिर धीरे धीरे मेट बन गया और लाखों कमाने लगा !!! घर मे दुमंजिला मकान बना दिया ..!!! लोग जब पूछते कि क्या नौकरी करता है तो ...खुद को ठेकेदार के साथ मुंशी बताता !!! अब तो चन्द बहादुर कुमाऊँ में एक सफल मेट बन गया है ...और नवरात्रो में उसकी शादी भी तय हो गयी है !!! जीवन को व्यवहारिक द्रष्टिकोण से देखने पर चन्द बहादुर को सफलता हाथ लग गयी है !!!! और छक पैसा कमाने की वजह से घर गांव में चन्दू आज सबका बन्धु बन गया है !!!!
जारी--नवल खाली
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
ये भी पढें
- उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना
- उत्तराखंड की जलवायु
- उत्तराखण्ड में नदियाँ
- उत्तराखण्ड की मिट्टियाँ
- उत्तराखण्ड में प्राकृतिक बनस्पति एवं वनों का वितरण
- उत्तराखंड पर्यावरण सुरक्षा योजना
- उत्तराखंड का इतिहास
- स्वतंत्रता आन्दोलकन में उत्तराखंड की भूमिका
- उत्तराखण्ड संघर्ष का सफरनामा
- पृथक उत्तराखंड के संघर्ष का इतिहास
- उत्तराखंड की शासन प्रणाली
- उत्तराखंड - औद्योगिक एवं कृषि अर्थव्यवस्था
- उत्तराखंड में ऊर्जा संसाधन
- उत्तराखंड में शिक्षा और शैक्षिक संस्थान
- उत्तराखंड में परिवहन के साधन
- उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां व अनुसूचित जनजातियों के लिए संवैधानिक संरक्षण
- उत्तराखंड विविध विकास योजना व आर्थिक कार्यक्रम
- उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार
- उत्तराखंड जनस्वास्थ्य, नीतियां एवं उपलब्धियां
- उत्तराखंड में सहकारिता आंदोलन
- उत्तराखंड पर्यटन नीति
- उत्तराखंड के प्रशिद्ध बुग्याल
- उत्तराखंड के प्रमुख पर्व एवं मेले
- उत्तराखंड की विविध कलाएं : वास्तुकला, मूर्तिकला एवं मंदिर
- उत्तराखंड के लोक संगीत, लोक निर्त्य,लोक कलाएं
- उत्तराखण्ड : ललित कलाएँ
- उत्तराखंड में चित्रकारी
- उत्तराखंड के प्रमुख गीत व संस्कार
- उत्तराखंड की भाषा , छेत्रिय भाषा , बोली
- उत्तराखण्ड का लोकसाहित्य
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं पार्ट 2
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं पार्ट 3
- गढ़वाली शादियों में गालियां ओर मांगलिक गीत
- उत्तराखंड से सम्बंधित अन्य कोई भी जानकारी (euttra.com)
Follow Us