बहुत दिनों बाद भरतु की ब्वारी की जिकुड़ी में कुछ हलचल हुई !!! सुबह सुबह अखबार पढ़ते ही जब उसे पता चला कि देहरादून में भयंकर भूकम्प आने की संभावना है !!!भरतु की ब्वारी खुद अपने तिमंजिले मकान की सबसे ऊपरी मंजिल पर रहती थी , भूकम्प की कल्पना करते ही ,बहुत डरने लगी !!! तुरन्त ही सबसे नीचे मंजिल में रह रहे बिजली विभाग के आर्य साब की बीबी को कमरे खाली करने के लिए बोल दिया था !!!
लोग अभी भी भूकम्प को हल्के में ले रहे थे ...पर वैज्ञानिकों का दावा कभी झूठा साबित नही होता , उदाहरण केदारनाथ के चौराबाड़ी ग्लेशियर की आपदा से पूर्व छपी खबर थी !!!
भरतु की ब्वारी अब अपने आस पड़ोस की महिलाओं से इसका खूब जिक्र कर रही थी कि ...दीदी चाहे नून और रोटी ही खाएंगे पर पहाड़ों में जिंदा तो रहेंगे .... विज्ञानियों का दावा था कि पहाड़ों में नुकसान कम होगा !!!! इसलिए भरतु की ब्वारी भी कह रही थी कि....दीदी...पहाड़ों में भूकम्प आएगा भी तो ज्यादा से ज्यादा हाथ , पाँव ही टूटेंगे...पर पट्ट मरेंगे तो नही !!! इसलिए अब जल्दी ये भी रिटायर होने वाले हैं ...अब मैं भी सोच रही हूं कि ...अपने गाँव ही जाया जाए !!!!
भरतु को भी सुबह ही फोन कर चुकी थी कि ...अजी...सुनो तो... भूकम्प की खबर सुनकर ऐसे लग रहा है कि अब इस देहरादून में रहना ठीक नही ...अपना गाँव ही ठीक है !!!! भरतु तो शुरू से ही गाँव मे रहने का हितेषी था पर ब्वारी की घुस्याट की वजह से ही देहरादून बस गया था !!! मन ही मन बड़ा खुश था ....सोच रहा था ...चलो भूकम्प की डर की वजह से ही पर ब्वारी को अक्कल तो आयी !!! भरतु के गाँव मे आज सड़क,बिजली, पानी, स्कूल सब कुछ था !!! इन्शान सकूँ से रह सकता था !!!!
भरतु की ब्वारी के मन मे इस भूकम्प का डर इतना गहरा बैठ गया था कि उसने गाँव मे अपने पठाली वाले मकान के ऊपर टीन की चद्दर डालने और थोड़ा बहुत रिपेयर करवाने के लिए गाँव के प्रसिद्ध सल्ली (मिस्त्री) को फोन करके बोल भी दिया था !!!!
इधर पलायन आयोग के जो सदस्य आजकल पलायन के कारणों की खोज में गाँव गांव भृमण कर रहे थे वो भी वापस लौटने का मन बना चुके थे !!!! राजधानी गैरसैण चाहने वालो के चेहरे पर भी रौनक थी !!!!
एक भूकम्प की सूचना से उत्तराखंड की तस्वीर बदलने जा रही थी !!!
जारी-- नवल खाली
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