आदरणीय
जेठ जी को जेठ के महीने के अंतिम दिन का प्रणाम !!!! कल से सारी स्कूलें भी खुलने वाली हैं और मैं भी गाँव में कुछ दिन बिताने के बाद वापस बच्चों की पढ़ाई की खातिर देहरादून आ गयी हूँ !!!
परसों से फेसबूक पर देख रही हूँ कि जब से आपने उत्तरकाशी की उत्तरा को डांटा है उसके बाद से कुछ लोग आपके खिलाप अनाप शनाप लिख रहे हैं ....और तो और दीदी के लिए भी लिख रहे हैं कि इतने सालों से देहरादून में ही नौकरी कर रही हैं .... अब जिसकी चलती उसकी क्या गलती ?? और दीदी तो किस्मत वाली हैं जो आप जैसा पति मिला !!! .... कहीं तैश में आकर आप सचमुच सुनीता दी का ट्रॉन्सफर खेरासैंण अपने गांव में मत करवा देना ...उत्तरा के बहाने घर मे ही राड हो जाएगी ...
लोगो को बोलने दो.... गिच्चा बाबू क्या जाणु ???
उस उत्तरा को जरा भी तमीज नही सच्ची .... भरी सभा मे चोर उचक्के बोल दिया ... अगर उसका 25 सालों से ट्रॉन्सफर नही हुआ तो कौन सी बड़ी बात हो गयी ?? दुर्गम वाले रावत गुरुजी को देखो तो 28 साल से उसी स्कूल में टिके हैं बल ....पिछली बार बीमारी के बाद खूब चक्कर लगा रहे थे देहरादून के ...अधिकारियों ने अब अतिदुर्गम में ही भेज दिया ...
!! आपने ठीक किया उसे नौकरी से निकाल दिया !!! सी.एम. की पावर उसको नही पता ...!!! और सी.एम. ने ठेका ले रखा क्या इन सब लोगो की परेशानियों का !!!
आपके बराबर मुख्यमंत्री मैंने इन 17 सालों में नही देखा !!! आप बहुत धाकड़ हो !!! भले ही आपने अपने कार्यकाल में किसी को नौकरी न दी हो पर नौकरी से निकालकर टीचरों को डरा ही दिया !!!
और तो और मैंने सुना कि उत्तरा पर पुलिस कस्टडी में देवता भी आया बल ?? भई इन उत्तरकाशी वालों के देवता भी बोत खतरनाक होते हैं बल ... पर आप चिंता मत करना ...हमारे सिम्वाल पंडित जी बहुत घाग बामण हैं .... सबकी काट उनके पास मौजूद है !!!
मेरी एक सलाह है कि इन दुर्गम वालों की तनखा बढ़ा दो ...और सुगम वालो की घटा दो ... फिर देखो आप ये सारा झंझट ही खत्म हो जाएगा !!! अब हमारे पहाड़ी लड़को को ही देख लो ....होटल और कम्पनियों में अतिसुगम दिल्ली ,बम्बे, पंजाब में नौकरी कर रहे हैं ...पर क्या करना उस सुगम का ?? वहाँ की तनखा वहीं के लिए पूरी नही होती !!!
सब कर्मो के फल होते हैं जेठ जी .... स्वर्ग भी यहीं है और नर्क भी !!! स्वर्ग मतलब सुगम और नर्क मतलब दुर्गम ही मान लो !!! इसमें आपने भी क्या करना ?? और सरकार ने भी क्या करना ?? अब कार्यकर्ताओं को तो नाराज नही कर सकते न ...जैसा वो बोलेंगे करना ही पड़ेगा ...बेचारे झंडे डंडे भी तो वही उठाते हैं ...!!!
पहले मैं भी कॉंग्रेस वाली थी और हाल फिलहॉल अब बीजेपी वाली हूँ ....पर वोट तो मैं उसी को देती हूँ जिसको मेरे वो कहते हैं !!!
कुलमिलाकर ....दो दिन की जिंदगी है ... टेंशन मत लो ...आपने भी हमेशा मुख्यमंत्री रहना नही है ... जब तक हो ...तब तक अपनी मनमर्जी करते रहो ...जैसे मैं करती हूं.... जनता का तो क्या है ...??? 17 सालों से बोलती ही आ रही है ...जब 17 सालों में कुछ नही हुआ तो अब क्या होगा ??? आप आराम से ...शराब की दुकानें खुलवाते रहो ...सबको टुन्न बनाते रहो ...सबको सुन्न बनाते रहो !!!! टाइम मिलेगा तो कभी राजावाला की तरफ भी आना ...मैं भी चुनाव की तैयारी कर रही हूँ !!!
भरतु की ब्वारी
फ्रॉम राजावाला देहरादून
उत्तराखंड
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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