सावन आया रे -पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)


भरतु की ब्वारी का सावन में हर सोमवार को बर्त रहता था !!! सुबह पाँच बजे से ही नहा धोकर ,दीया बत्ती करके , अपने लिए आलू बॉयल करने रख दिये थे और ड्राई फ्रूट की एक मुट्ठी ढूध में भिगोकर मन्दिर की तरफ चली गयी !!! मन्दिर में ॐ नमः शिवाय बोलते हुए पानी चढ़ाकर ,  ...भोलेनाथ से अपने मन की बात करने लगी ....हे..!! देवत्ता... जिस महिला को हमसे ईर्ष्या है ....जिसने हमारे घर मे कुछ दिन पहले मंत्रे हुए दाल चावल डाले थे ,उसको सजा जरूर देना.....!! आंखे खोली ...तो शायद कुछ भूल गयी थी....फिर से आंखे बन्दकर बुदबुदाने लगी...बोली....अरे..हाँ... भोलेनाथ ,मैं तो भूल ही गयी थी...हमारा...राजावाला के बगल वाला फ्लोट भी अच्छी कीमत में बिकवा देना प्लीज...मैं सिम्वाल पण्डित जी से बोत बढ़िया वाली पूजा करवाउंगी आपकी !!!
मन्दिर की सीढ़ियों से आ ही रही थी कि ... मायके की सक्कु दीदी से मुलाकात हो गयी...कुछ देर हालचाल पूछे...पता चला सक्कु दीदी ने भी राजावाला में ही  आजकल ही तीन कमरों का सेट किराए पर लिया है...!!! कहने लगी...अरे...दीदी तुम लोगो को किस चीज की कमी है....जिआजी...टीचर हैं ही...हमारी तो एक फौज की नौकरी में क्या होता है ...वो तो कर्ज कपाल करके ...दुमंजिले में दो चार लड़के किरायेदार रखे हैं ...!!! तब तक सक्कु दीदी बोली...अरे भुल्ली....मैं भी इनके पीछे बहुत लगी रही ...तब जाकर उत्तरकाशी से इतने सालों बाद हम देहरादून आये...!! बच्चो का भविष्य भी तो देखना ही है....!!! हम जो कुछ भी कर रहे हैं ...बच्चो के पीछे ही तो कर रहे हैं ...!!! अब एक झोपड़ी मुण्ड ढकाने (सर छुपाने) के लिए इस देरादून में हमारी भी बन जाती तो जरा चैन आता...कब तक किराए के कमरों में जिंदगी काटते रहेंगे ??? मेरे इन्होंने तो ...सुद्धि गाँव की कुड़ी (मकान) बनाने में पैसे फूँक दिए.....पुरानी मकान पर लेंटर डाल दिया...कौन रहेगा वहाँ.??.. सास ससुर भी सदा किसके रहे इस दुनिया में ????! दो चार साल बाद उनको भी जाना ही है !!! भरतु की ब्वारी बोली ...अरे दीदी..ये भी बोत जिद कर रहे थे कि गांव के मकान को नया बनाना है .पर....मैने तो साफ मना कर दिया कि इतना फालतू खर्चा करने की कोई जरूरत नही....वो पैसे हमारे बच्चो की पढ़ाई में तो काम आएंगे !!! वैसे भी क्या रखा है वहाँ गाँव मे ?? जब सबने एक न एक दिन आना है ही देहरादून की छाँव में ...अरे दीदी वैसे एक जमीन का टुकड़ा हमारा भी है न यही बगल में.....हम भी सस्ते में ही बेचकर ..तिमंजिला चढाने की सोच रहे हैं ...जियाजी आएंगे तो  घर पे जरूर लाना !!! फिर ...सास का विषय छिड़ा तो....दोनो  कलेजी पर छपछपि पड़ने तक जमकर बुराई करती रही !!! भरतु की ब्वारी बोली..हम तो सास ससुर को यही ले आये थे न...पर गाँव के बुढया लोगो को कहाँ सूट होता ?? इस देहरादून का पाणी पचाना हर किसी के बस का कहाँ ???.फिर...वापस चले गए !!! 
भरतु की ब्वारी के पेट में मूसे आवाज करने लगे तो ...बोली...अच्छा दीदी चलती हूँ ..आना जल्दी जियाजी को लेकर...और हाँ प्लाट वाली बात भी डाल देना उनके दिमाग मे, इतना सस्ता प्लाट कहीं नही मिलेगा उनको ... दोनो तरफ से रोड है ..बीच मे है...और अगले साल तक बाईपास भी बन रहा है वहाँ से....आपको तो पता ही है...आदमियों के जब तक पीछे न पड़े रहो ...कोई काम नही करते !!! 
फटाफट घर आई...रामदेव का ग़य्या घ्यूँ (गाय का घी) निकाला और आलू तलने लगी ...फिर एक डमडमा गिलास दूध का निकाला और टीवी खोलकर सावधान इंडिया देखते हुए..आलू चबाते चबाते....दूध के बड़े बड़े घूट .मारते हुए.... अकेले में ही बड़बड़ाने लगी...हे... भोलेनाथ...प्लाट का ग्राहक सक्कु दीदी से तूने आखिर मिला ही दिया....!!! त्येरी लीला भी अपरम्पार है ...वैसे आजतक इस देहरादून में मैंने तुझ से जो भी माँगा... तूने हमेशा ही दिया है.. ...!!! आखिर देहरादून के देबतों में शक्ति तो है !!!
 जै भोलेनाथ...जै भोलेनाथ !!!! कहते हुए जम्हाई और डकार साथ साथ लेने लगी !!!!
जारी--नवल खाली



source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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