भरतु की ब्वारी देहरादून राजावाला से लेकर अपने गाँव तक बांदरो से बड़ी परेशान थी ।। गाँव मे तो बांदरो का इतना उत्पात था कि ...साग भुज्जी तो छोड़ो , उन्होंने डीटीएच डिस्क से लेकर पानी की प्लास्टिक टैंक तक तोड़ दी थी । कुत्तों में बन्दरों का ऐसा खौप पैदा हो गया था कि कुत्ते भी बन्दरों के डर से घरों के अंदर छुप जाते थे
।। राजावाला में परसों ही शाम को भुज्जी लेकर आ रही थी ,एक कान पर फोन लगाकर बात कर रही थी कि तभी एक डोरयाँ बांदर ( हट्टा कठ्ठा ) बांदर आया और जबरदस्ती उसके हाथ से थैला छिनने लगा ,जब भरतु की ब्वारी चिल्लाने लगी तो बांदर ने एक झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ दिया , बेचारी बांदर के आगे हार गई । बन्दरों का और इंशानो का नाता इनके जन्म से ही है । जितने लोग गाँव छोड़कर शहर गए तो उतने ही बन्दर भी उनके पीछे पीछे शहर ही चले गए ।
सोचनीय विषय यह है कि आखिर बन्दर भी क्या खाएं?? घास तो खा नही सकते ?? बन्दरों के भोजन की व्यवस्था भी मानव सभ्यताओं के साथ मानवो के ही जिम्मे रही है । पहले जमाने के बन्दर , जंगलों में थोड़ा बहुत कन्द मूल फल खा लेते थे ,पर उनकी नई पीढी को भी इंशानो की नई पीढ़ी की तरह कुछ नया ही खाने को चाहिए । अगर बन्दरों को खाना नही मिलेगा तो वो इंशानो से छीनकर खा लेंगे । आपके घरों के बाहर डेरा डाल देंगे ।।
भरतु की ब्वारी गाँव गयी तो , पता चला कि गाँव मे परसों ही एक बन्दर ने उनके किचन की कुंडी खोलकर , सारा आटा चावल ,साग भुज्जी सब सफाचट कर दिया था ।। भरतु की ब्वारी ने कपड़े सुखाने छत पर रखे तो एक बन्दरिया उसकी नई फैशन वाली बाजू फ़टी वाली सूट लेकर भाग गई और सड़क पर खड़ी बाइक के शीशे के सामने बैठकर ,खुद पर सूट की मैचिंग ट्राई करते हुए देखने लगी ।
भरतु की ब्वारी ने तुरंत गाँव मे एक मीटिंग बुलाई, जिसमे सभापति से लेकर सबके पति तक मौजूद थे, कहने लगी -- देखो भई । इन बांदरो ने जीना खाना हराम कर दिया है, सरकार तो बन्दर बाड़े बनाएगी नही ,उल्टा हमारे बाड़े सगोड़े ही खत्म हो जाएंगे । फिर प्रधान जी को पूछने लगी-- प्रधान जी , तुमको नरसिंह भैरों की कसम सच्च बताओ? सालभर में कितना बजट आता है? प्रधान जी भी थोड़ा सकुचाते हुए बोले-- लगभग लगभग ......फिर मन ही मन गणित करते हुए बोला-- कम से कम तीस लाख ।
भरतु की ब्वारी बोली--एक साल में तीस लाख में काम क्या क्या हुए तब ?? और कमीशन कितना बना??
प्रधान जी बोले-- अजी जितने काम हमने करवाये , उतना कोई माई का लाल नही कर सकता ... खडंजा, फड़न्जा, चाल ,खाल,गेट , कक्ष ,पैरा ,पुस्ता , बोत काम करवाये जी । और कमीशन कौन नही खाता आजकल? हमने भी तो बीबी बच्चे पालने हैं । एक दो हजार मानदेय में डेली डेली बजट के चक्कर मे ब्लॉक के इतने चक्कर फ्री में लगते क्या??
भरतु की ब्वारी बोली-- भई प्रधान जी ये काम तो हर साल हो रहे हैं बल ,कुछ फायदा हुआ क्या? चाल खाल के गड्डों में तो कई गाय गिरकर मर गई, सिमण्टेट रास्तों में कई लोगों की फिसल कर हड्डी टूट गयी । प्रतीक्षालयों में लोगो ने गाड़ियां खड़ी की हुई हैं । इन कामो से गाँव का भला नही होगा ।
और फिर भरतु की ब्वारी पहाड़ी टँग में फर्राटेदार हिंदी में भाषण देने लगी , बोली-- देखो भई, अगर अगली बार मुझे प्रधान बनाओगे तो मैं सबसे पहले इन बजट के तीस चालीस लाख रुपयों में गाँव के खेतों के चारों तरफ तार बाड़ करूंगी , जिससे न तो सुंवर आएंगे न बन्दर । और तब सबके लिए जरूरी चकबन्दी , फिर देखो गाँव भी सुरक्षित और खेती भी ।। फिर बोली-- भई , हम लोगो का देहरादून में मकान जरूर है पर अपना गाँव तो अपना गाँव ही है । मौ छोड़न पर गौं कभी नि छोड़न चेंद ।।
कुटुम्ब छोड़ दो पर गाँव कभी नही छोड़ना चाहिए ।
फिर वहाँ तालियां बजने लगी । भरतु की ब्वारी के जिंदाबाद के नारे लगने लगे । सबने कहा-- भई ,अगली बार प्रधान तो हमने भरतु की ब्वारी ही बनानी है ।
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
ये भी पढें
- उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना
- उत्तराखंड की जलवायु
- उत्तराखण्ड में नदियाँ
- उत्तराखण्ड की मिट्टियाँ
- उत्तराखण्ड में प्राकृतिक बनस्पति एवं वनों का वितरण
- उत्तराखंड पर्यावरण सुरक्षा योजना
- उत्तराखंड का इतिहास
- स्वतंत्रता आन्दोलकन में उत्तराखंड की भूमिका
- उत्तराखण्ड संघर्ष का सफरनामा
- पृथक उत्तराखंड के संघर्ष का इतिहास
- उत्तराखंड की शासन प्रणाली
- उत्तराखंड - औद्योगिक एवं कृषि अर्थव्यवस्था
- उत्तराखंड में ऊर्जा संसाधन
- उत्तराखंड में शिक्षा और शैक्षिक संस्थान
- उत्तराखंड में परिवहन के साधन
- उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां व अनुसूचित जनजातियों के लिए संवैधानिक संरक्षण
- उत्तराखंड विविध विकास योजना व आर्थिक कार्यक्रम
- उत्तराखंड : वन्य जीव, राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव विहार
- उत्तराखंड जनस्वास्थ्य, नीतियां एवं उपलब्धियां
- उत्तराखंड में सहकारिता आंदोलन
- उत्तराखंड पर्यटन नीति
- उत्तराखंड के प्रशिद्ध बुग्याल
- उत्तराखंड के प्रमुख पर्व एवं मेले
- उत्तराखंड की विविध कलाएं : वास्तुकला, मूर्तिकला एवं मंदिर
- उत्तराखंड के लोक संगीत, लोक निर्त्य,लोक कलाएं
- उत्तराखण्ड : ललित कलाएँ
- उत्तराखंड में चित्रकारी
- उत्तराखंड के प्रमुख गीत व संस्कार
- उत्तराखंड की भाषा , छेत्रिय भाषा , बोली
- उत्तराखण्ड का लोकसाहित्य
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं पार्ट 2
- उत्तराखंड की ऐतिहासिक विभूतियाँ एवं विविध गतिविधियों से जुडे शिखर पुरुष एवं महिलाएं पार्ट 3
- गढ़वाली शादियों में गालियां ओर मांगलिक गीत
- उत्तराखंड से सम्बंधित अन्य कोई भी जानकारी (euttra.com)
Follow Us