राजीव , आज बीस सालों बाद अपने पहाड़ लौट रहा था !!! अपनी कार की पिछली सीट पर बैठा ... पहाड़ों को अनायास देख रहा था !!! उसे इन पहाड़ों से अच्छा वो खुला समंदर लगता था ...जहाँ वो जीवन यापन कर रहा था !!! पर अचानक पहाड़ों के कुछ रीति रिवाज और उसकी हाल ही में विधवा हुई माँ की जिद के कारण आज वो पहाड़ों की इस सर्पीली सड़क पर गाँव की ओर जा रहा था !!!
ग्याहरह गाँव हिंदाव का मूल निवासी राजीव दरअसल अपने पिता की अस्थियां हरिद्वार में विसर्जित करने के बाद ... पिता के आत्मा रूपी गंगलोडे ( पित्र कुड़ी में रखे जाने वाले पथ्थर) को अपने मूल गाँव मे सदियों से बनी पित्र कुड़ी में रखने जा रहा था !!!
हालांकि राजीव आत्मा जैसी चीजों को नही मानता था ... क्योंकि वो इतनी किताबें और शास्त्र पढ़ चुका था कि उसके मन में सब चीजों को लेकर खिचड़ी बन चुकी थी !!! राजीव आज एक मल्टीनेशनल कंपनी का वॉइस प्रेजिडेंट था ...उसकी दिनचर्या ही बाजार मूल्यों से शुरू होती और टारगेट पर जाकर खत्म हो जाती !!!
राजीव की गाड़ी गाँव के स्टेशन पर जाकर रुकी तो ... उसने देखा ..गाँव मे काफी बदलाव था ...कुछ एक घरों में पत्थरों के ढलवा छत वाले मकानों की जगह सीमेन्टट नकाशीदार मकान थे ...अधिकांश मकान खण्डहर भी थे !!!
गाँव मे ज्यादा किसी से सम्पर्क था नही तो ऐसा कार्यक्रम बनाया था कि ...पिता को फटाफट...पितृकुडी में रखकर ...किसी नजदीकी कस्बे में रात को रुकने चले जाएगा !!!
जब गाँव से अंतिम बार विदा ली थी तो थोड़ा बहुत पित्र कुड़ी का रास्ता याद था ... सीधे पितृकुडी में जा पहुंचा तो देखा ... वहाँ कुछ भी बदलाव न था ... वही पुराने हिसाब से पठाली की बनी एक छोटी सी गुफा थी !!! जिसके अंदर ढेरों गंगलोडे बेतरतीब तरीके से गाँव वालों के पूर्वजों की आत्मा के रूप में रखे थे !!! कौन किसके माता- पिता ,दादा-दादी अथवा भाई की आत्मा के रूप में गंगलोडा है ...पहचानना मुश्किल था !!!
राजीव ने भी अपने पिता के आत्मारूपी गंगलोडे को एक कोने में सरका दिया ...!!!!
राजीव ने पिता को वहां रख तो दिया पर ... सन्तुष्टि न मिली !!! वापस अपनी गाड़ी पर पहुंचा तो ... एक बिहारी टाइप आदमी दिखाई दिया ... उस आदमी से बातचीत की तो उसने बताया कि वो एक मिस्त्री है !!
राजीव ने तुरन्त ही उसको पितृकुडी की जगह बताई और उसको पितृकुडी को थोड़ा ठीक ठाक बनाने की बात बताई ... बिहारी मिस्त्री को राजीव ने पचास हजार कैश दे दिए कि पितृकुडी को दुरुस्त कर ले !!!
और उसका नम्बर ले लिया !!!
राजीव वापस अपनी जॉब पर आ गया !!! इस बीच बिहारी मिस्त्री ने पितृकुडी का रेनोवेशन शुरू कर दिया ... उसने सबसे पहले सभी के पूर्वजों के आत्मरूपी गंगलोडे निकाले और उनको कूटकर गिट्टी बनाई ...फिर ... उसी गिट्टी से सीमेंटेड पितृकुडी बना दी !!!
चार दिन में ही काम फिनिश करके राजीव को फोन पर इत्तला दे दी कि काम खत्म हो गया है !!! राजीव के दिमाग मे आया कि क्यों न ... अपने पिता के आत्मा रूपी गंगलोडे को ...थोड़ा अन्य लोगों से अलग बनाया जाय .... तो राजीव ने बिहारी को कहा कि .... किसी भी एक गंगलोडे पर बानीश व पेंट करके रख दे !!! बिहारी तो सारी आत्माओं की गिट्टी कूट चुका था ... सो उसने भी एक मंझे हुए .... ठेकेदार की भूमिका में इस बात का खुलासा नही किया और एक आत्मा रूपी गंगलोडा गंगा किनारे से लाकर ...उसपर मॉनवरूपी चित्र बनाकर ... राजीव को उसका फोटो वट्सएप कर दिया !!! राजीव ने फटाफट उसका प्रिंटआउट लिया और अपने घर के पूजा स्थल में लगा दिया !!!
बाद में जब गाँव के लोग पितृकुडी में गए और पितृकुडी का बदला हुआ स्वरूप देखा तो ...शुरुआत में सबने राजीव के इस काम की बड़ी भर्त्सना की ... पर धीरे धीरे सबने ही ... अपने अपने पितरों की आत्मा रूपी गंगलोडे को रँगना शुरू कर दिया और ... सब उस पितृकुडी के समीप ही ...अपनी अपनी पितृकुडी बनाने लगे !!! धीरे धीरे एक ही जाति और कुटुंब के लोगो की सेल्फ पितृकुडी बनने लगी ...जिसके साथ वो सेल्फी भी खिंचवाने लगे !!!
पूर्व में पहाड़ी लोगों के एक कुटुंब एक परिवार एक जाति के लोगों की एक पितृकुडी होती थी ... जिनमें मूंडमुंडाई से लेकर सभी पितृकार्य एक साथ होते थे ... जो इन जातियों की परंपरा के विरोध में होता तो उसके साथ पितृफाडे हो जाते थे ....पर अब ...समय के साथ ...जैसे जैसे... पहाड़ी समुदाय सम्पन्न , हो रहा है व एकल परिवारों में रहने की प्रथा जन्म ले रही है ... वैसे वैसे पितरों को भी एकल रखने की नई परम्परा जन्म ले रही है !!! और सेल्फी विद सेल्फ पित्तर की नई पिक्चर शुरू हो रही है !!!
जारी---नवल खाली !!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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