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मन चंगा तो कठौती में गंगा - पढ़े ! भरतु की ब्वारी के किस्से(BHARATU KI BWARI)


जयनाथ का मंदिर एक पहाड़ी चोटी पर था !!! जिससे कई परिवारों के पेट पलते थे !!! 21वीं सदी के पूर्वार्द्ध में ,मन्दिर एक व्यावसायिक स्वरूप ले चुका था !!! भक्तो की आस्था में कहीं कोई कमी नजर नही आती थी !!! ज्यादातर भगत ,अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दर्शनार्थ जाते थे , कुछ अपनी गलतियों का प्रायश्चित करने और कुछ यूँ ही देखदेखी में ,ईश्वर के इस सिद्ध स्थान के रहस्य को जानने के लिए !!! देश विदेश के भक्तों का तांता लगा रहता !!!
पुजारी भी नए जमाने के युवा थे , जो भौंतिक विज्ञान की प्रयोगशालाओ से निकलकर ,अब अपने पुश्तेनी कार्य को कर रहे थे !!! चंद श्लोक की पंक्तियाँ यादकर ,बारम्बार उन्ही को दोहराकर , आँखे बन्दकर और अपनी भेष भूषा से भक्तों को सन्तुष्टि देते थे !!! मदिरा माँस को मानव उपभोग की वस्तु मानकर ...कभी.रैदास के मन चंगा तो कठौती में गंगा के सूत्र को अपनाते थे तो कभी ओशो के ज्ञान.सूत्र....समाधि....प्रेम...वासना...आदि से आकर्षित होते थे !!! इंद्र के दरबारों की खूब कहानियां उन्होंने सुनी थी !!! समुद्र मंथन पर भी खूब मंथन किया था !!!
सभी सांयकालीन पूजा निपटाने के बाद....मन्दिर की दूसरी तरफ ...पहाड़ी पर ...बकरी की बलि देकर...खुद की पेट पूजा करते थे !!! एक बार सभी मिलकर बकरी की बलि देकर उसको पका रहे थे...तो वहाँ धुँवा उठता देख...कुछ शुद्ध वैष्णवी सम्प्रदाय के भक्त वहाँ जा पहुंचे !!! देखा...तो आश्चर्यचकित रह गए .....!!! ये क्या ??? जिनपर हमारा सबसे अधिक विश्वास वही ...मांस भक्षण कर रहे हैं !!!! बोले ....घोर कलयुग आ गया ...!!!! हे ! ईश्वर के दूतों ....ये कैसा अन्याय कर रहे हो !!! पुजारी लड़के भी सकपका गए ....!!!! पर 21वी सदी की तीव्र बुद्धि से लैस थे ....!!! बोले जजमान ...!!! आप कादाचित भी भरम में न पड़ें ...हमारे संस्कार सदैव से ही वैष्णवी ही रहे है....हमे ऐसा अनुचित कार्य करके...नरक में थोड़े ही जाना है ?? जजमान...ये जानवर...ऊपर पहाड़ी से फिसल कर गिर गया था...हम तो मानव धर्म के नाते...इस पवित्र धाम में इसका अंतिम संस्कार कर रहे हैं !!!!
ऐसा सुनते ही...जजमान क्षमा याचना करते हुए कहने लगे....हमे माफ कर  दीजिये देव पुत्रो....!! हमने अनायाश ही आप लोगो पर शक किया !!! धन्य है आप ...धन्य है यह भूमि...जहाँ जानवरो तक का अंतिम संस्कार किया जाता है !!! उसके बाद जजमानों ने...उस जानवर के अंतिम संस्कार में ,उसकी आत्मा की शांति के लिए कुछ धन भी भेंट किया !!और जजमान चले गए !! बाद में देव पुत्रो ने...उस धन से मदिरा का बेहतरीन ब्रांड लिया और बकरी की अधजली लांश से कलेजी के पीस निकालकर ठहाके लगाते हुए ...अपनी तीव्र बुद्धि पर जाम टकराने लगे !!! जारी-नवल खाली !!!
नोट- इस कहानी की घटनाएं, पात्र और स्थान काल्पनिक है !!!!! 
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source:-  https://www.facebook.com/bhartukibvaari/

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