ग्रहण लगने से भरतु की ब्वारी को वैसे तो कभी कोई परेशानी नही होती थी पर इस बार ग्रहण जरा लम्बा था इसलिए थोड़ा प्रॉब्लम में थी !!! प्रॉब्लम ये थी कि आजकल देहरादून राजावाला उसके घर में गाँव से सक्कु बुवा भी आयी हुई थी , जोकि एक नम्बर की आध्यात्मिक महिला थी !!! संध्या पूजा पाठ में ही रमी रहती थी !!! सुबह से ही सक्कु बुवा ने एक ही रट लगा रखी थी कि आज तो ग्रहण है ..!!!!
ग्रहण मतलब कि जब तक ग्रहण खतम नही होता कुछ भी गृहण नही करना है ... !!!! अब ये तो भरतु की ब्वारी के लिए सजा हो गयी थी कि रात 1 बजे तक भूखे रहो ..... !!!!
भरतु की ब्वारी कभी कभी इन पुराने जमाने के लोगों की बातों से चिढती भी थी कि क्या हो जाएगा ?? हमेशा बोलती थी.......भई अगर वो ग्रहण है तो मैं भी ग्रहणी हूँ !!!!
अगर ग्रहण में खाना खा लिया तो ?? कौन सा पृथ्वी प्रलय हो जाएगा ??
सक्कु बुवा का कहना था कि .... ग्रहण के दौरान हमारे देवी देवताओं पर राहु केतु जैसे दुष्टों की छाया पड़ती है , जिससे सब अपवित्र हो जाता है !!! इसलिए 1 बजे रात जब ग्रहण खतम होगा उसके बाद ही भोजन , झाड़ू पोछा व नहाना धोना होगा !!!
भरतु की ब्वारी के लिए ये बड़ी मुसीबत हो गयी थी ...अरे रात 1 बजे तक तो वो दो नींद पूरी कर लेती है .... ऊपर से 1 बजे तक भूखे रहो !!!
भरतु की ब्वारी ने इसलिए पहले से अपने भोजन का इंतजाम कर लिया था , शाम को ही मोहल्ले के मस्तु चाउमीन सेंटर से चोमिन पैक करवा के ले आयी थी और छुपा के अलमारी में रख ली थी !!!!
अब रात को आसमान में ग्रहण था तो भरतु की ब्वारी चुपके से चोमिन का थैला पकड़कर छत पर चली गयी और ग्रहण के ठीक नीचे बैठकर चाउमीन खाने लगी ..... तभी उसने झड़बड़ाहट की आवाज सुनी तो सहम गयी .... पीछे से बुवा थी ...!!!! हड़बड़ाहट में चोमिन की थैली उठायी और दुपट्टे के पीछे छुपा दी !!!! बुवा बोली .....भरतु की ब्वारी ज्वान जमान ओरतों को ग्रहण के दौरान बहार नही निकलना चाहिए ... चेहरे पे भी छाया पड़ जाती है , तू तो अच्छी खासी स्वाणी है ...क्यूँ ग्रहण के नीचे खड़ी होकर ... चेहरा खराब कर रही है ?? और ये हाथ मे क्या है ??? ये सुनकर ...भरतु की ब्वारी सकपका गयी !!!!
बोली --- वो कुछ नही बुवा जी ... वो तो बस ऐसे ही ...... ये न कपड़े थे कुछ छत पे ??? तो उनको ही लेने आई थी !!!
बुवा बोली--- रात को कोई भी कपड़े बहार नही छोड़ने चाहिए .... कपड़ों के साथ बुरी हवाएं भी आ जाती हैं .... पर इस बारिश के मौसम में कपड़े छत पर क्यूँ ???
भरतु की ब्वारी बिना कुछ बोले तेजी से कमरे में आ गयी और टॉयलेट में घुस गई !!! फिर फटाफट चोमिन की थैली निकाली और टॉयलेट में बैठकर ही चाउमीन खाने लगी !!!! पापी पेट का सवाल था भई !!!!
मन ही मन बुवा से चिढ़ने लगी ....बोली ... असली ग्रहण तो आज तू ही लग रे सक्कु बुवा आज !!!!
तभी बाहर से सक्कु बुवा बोली--- भरतु की ब्वारी ...अभी मत नहाना रे ...रात को एक बजे बाद नहाना !!!! तब तक जरा मेरे पाँव ही दबा दे .... !!!!
चाउमीन का अंतिम केंचुआ निगलते हुए भरतु की ब्वारी दबी आवाज में बोली--- आती हूँ ....आती हूँ.... दबाती हूँ बुवा जी ...दबाती हूँ ....आज तेरा गला ही दबाती हूँ ...ग्रहण कहीं की !!!!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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