कर्ज लौटाने को लेकर फोन पर फोन आने से धरमु परेशान हो जाता था !!! कभी फोन साइलेंट में डाल देता तो कभी रिजेक्ट लिस्ट में ...!!! साला ..ये कमबख्त ...वक्त नावक्त कॉल करके अच्ची खासी जिंदगी में टेंशन पैदा कर देते थे !!! भई... जीवन है ...उधार पगाल तो चलता रहता है ...!!! और सोचता था ?? कौन सा मैंने करोड़ो रुपये कर्जा ले रखा है ?? इतना तो चलता ही है !!
दरअसल धरमु एक पहाड़ी था जोकि नौकरी की तलाश में बम्बई से लेकर पूना...पंजाब से लेकर दिल्ली ...और अंत मे देहरादून सेलाकुई की एक कम्पनी में काम करता था !!! सेलरी भी पी.एफ.कटकर बारह हजार हाथ मे आती थी !!! एकलौती पत्नी और दो बच्चो का परिवार था !!! मजबूरी में बीबी की घुस्याट और बच्चो की पढ़ाई की वजह से उनको देहरादून ही शिफ्ट कर दिया था !!!
पहाड़ो में रहकर भी क्या करना था ??? और रहना भी कैसे था ?? न ढंग का स्कूल न अस्पताल !!! सिर्फ आबोहवा अच्छी थी ....!!! पर क्या उस आबोहवा से जीवन कट जाता ?? सरकार को तो सिर्फ वोट से मतलब था ...!!! सरकार तो चाहती ही थी कि काश ..हर साल पहाड़ो में आपदा आती रहे ...और बजट को ठिकाने लगाती रहे !! और सरकार कौन सी जनता की रिश्तेदार थी या सगी सम्बन्धी थी ...जो सरकार को किसी के मरने खपने पर दुःख होता ???
इसलिए धरमु चाहे कर्जे में ही जीवन यापन कर रहा था पर देहरादून में सकून से था !!! अब कर्जे का क्या है ?? वो तो सभी पर थोड़ा बहुत रहता ही है !!!
धरमु ने एक बार सरकार के बहकावे में आकर गाँव मे स्वरोजगार करने का मन बनाया !! उसने अपनी बंजर पड़ी खेती पर सब्जियों के उदपादन के लिए विभाग में ऋण के लिए फाइल लगाई !!! महीनों चक्कर लगाता रहा तब जाकर बीस हज़ार खर्चा पर्चा करके अस्सी हजार हाथ लग पाये!!! फिर कुछ ही दिनों में धरमु ने सब्जियों के बीज बो दिए , अंकुर निकल आये तो धरमु का चेहरा भी खिल उठा !! एक दिन सुबह उठा तो देखा कई अंकुरित पौधे उखड़े हुए थे , देखकर विचलित हो गया ...!!! खेती में जूते और चपल्लो के निशान देखकर परेशान हो उठा !!! गाँव के ही कुछ शरारती तत्वो ने उसके पौधे उखाड़ दिए थे ..!!!
खेत के किनारे ही एक खाली बोतल, मुर्गे की चूसी हुई हड्डियां और डिस्पोजल गिलास पड़े हुए थे !!! दरअसल कुछ दिन पहले धरमु ने प्रधान के कामो पर आर.टी.आई.लगा दी थी तो शायद ये उसी का परिणाम था !!! धरमु ने हिम्मत नही हारी और फिर से पौधों को रोप दिया !! फसल कुछ बड़ी हो गयी थी , सब्जियों पर फूल उग आए थे !!! एक दिन धरमु रिश्तेदारी में गया हुआ था !! वापसी में लौटा तो देखा सारे पौधे मुरझा रहे थे ..किसी ने पौधों में जहर का छिड़काव कर दिया था ....!!! बहुत ही दुखी हो गया!!! और इन लफड़ों से निकल कर देहरादून कम्पनी में काम करने लगा !!!! अब बैंक की क़िस्त देने के लाले पड़ गए !! बैंक से आर.सी.कट गई !!! प्रधान जी का फोन आया कि भुल्ला कुड़की होने वाली है ..फटाफट पैसे जमा कर दे !! विजय माल्या तो था नही जो विदेश भाग जाता !!! बहुत परेशान हो गया ...!! रात को टेंशन भगाने के लिए दारू पीने लगा ...फिर घर मे भी झगड़ा होने लगा !!! सुबह होते ही फिर से वही कर्जे की टेंशन से जूझने लगा !!!!
एक दिन सुबह घर मे ये बता कर निकल गया कि कुछ दिनों के लिए कम्पनी के काम से बाहर जा रहा हूँ !! और हरिद्वार हरि की पौड़ी पर बैठकर सोचने लगा ....!!! वहीं से राम नाम की चादर ओढ़ ली और धर्माराम बनकर साधु वेष धर लिया !!! कुछ ही दिनों में दाढ़ी बढ़ गयी और साधुओं की संगत में रहकर कुछ ज्ञान की बातें भी सीख ली और पहाड़ी गांवो की तरफ रुख किया ...सबसे पहले अपनी रिश्तेदारी के गांवों में गया और सबके बारे में सच बताने लगा तो लोग मनचाही दक्षिणा भी देने लगे !!!!
एक ही दिन में दस हज़ार कमाने लगा !!! और उसी में से बैंक खाते में रुपये डालकर अपना कर्जा कम करने लगा !!! एक महीने में ही लाख रुपये का कर्जा चुका दिया !!! जितने लोगो के घर गया उनको अगले साल आने का वादा भी किया !!!! दो माह में ही राम नाम के चोले ने उसको ऋण मुक्त कर दिया !!! वापसी में हरिद्वार आया और क्लीन शेव बनाकर ,शानदार कपड़े पहनकर बच्चो के लिए खट्टी मीठी चीजें लेकर फिर से देहरादून रवाना हो गया !!!!
अब धरमराम परमानेंट ही हरिद्वार शिफ्ट हो गया ...रात को सिक्योरटी गार्ड की नौकरी करता और दिन में श्मशान घाट पर पूजा पाठ ..और दो महीने पहाड़ी गांवो की तरफ जाकर अच्छा खासा स्वरोजगार कर रहा है !!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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